तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: ३० जून २००८: अंक ६६

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ६६
सोमवार, ३० जून २००८
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भारत सरकार ने ग्यारवें पाँच वर्षीय योजना में ४५ करोड़ रुपया दवा कंपनियों को मलेरिया और टीबी या तपेदिक जैसी बीमारियों के शोध के लिये देने का फ़ैसला किया है. यह चिंताजनक इसलिए है क्योंकि दवा कंपनी मात्र मुनाफे के लिये, न कि जन स्वस्थ्य के लिये, समर्पित रहती हैं, और सरकारी अनुदान आखिर क्यों निजी कंपनी को शोध के लिये दिया जाए? यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण बात है क्योंकि जब भारत सरकार की अपनी शोध संस्थान इस शोध को करने में समर्थ हैं, तब क्यों यह धन राशि दवा कंपनियों को दी जा रही है? दवा के इजात होने के बाद क्या यह दवा कंपनी नि:शुल्क या बिना मुनाफे के जन-हित में दवा वितरण करेंगी?

दक्षिण अफ्रीका के जोसे पारसों अस्पताल से पहले भी कई ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक के रोगी भाग चुके हैं - दो हफ्ते पहले इस अस्पताल से २० ड्रग रेसिस्तंत टीबी के रोगी सुरक्षा कर्मियों से लड़-झगड़ कर भागने में सफल हुए थे, दिसम्बर २००७ में लगभग ६० ड्रग रेसिस्तंत टीबी के रोगी इस अस्पताल की दीवाल को तोड़ कर भाग खड़े हुए थे।

पिछले हफ्ते बुधवार को इस अस्पताल में कैद टीबी या तपेदिक के रोगियों ने अस्पताल में जेल से बदतर मौहौल के विरोध में आवाज़ उठाई - जब अस्पताल प्रसाशन ने जोर-जबरदस्ती की, तो मरीजों ने पथराव किया और तोड़-फोड़ भी हुई. यह सभी रोगी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिये गए और कोर्ट में जज ने कहा कि ऐसा कोई जेल है ही नही जहाँ संक्रामक या ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक के रोगी भेजे जा सकें इसलिए इन सबको पुन: उसी अस्पताल में कैद कर के रखना बेहतर होगा.

यह सोचने का विषय है कि क्यों ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक के रोगी इस अस्पताल में कैद किए जाते हैं और क्यों वोह इलाज के बजाय भागने पर विवश हैं? अस्पताल में व्याप्त जेल से बदतर मौहौल को सुधारने के बजाय अस्पताल प्रसाशन ने सुरक्षा व्यवस्था और अधिक बढ़ा दी है.

एच.आई.वी से ग्रसित लोगों में एक टीबी दवा के बजाय अनेकों टीबी दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता पायी गई है, यानी कि टीबी या तपेदिक के रोगी इसोनिअजिद (isoniazid) और रिफम्पिसिं (rifampicin) दोनों के प्रति रेसिस्तंत पाये गए. गौर करें कि इसोनिअजिद और रिफम्पिसिं, दोनों ही सबसे प्रभावकारी टीबी या तपेदिक के इलाज के लिये दवाएं हैं, और जब एच.आई.वी से ग्रसित लोग इन दोनों से ही रेसिस्तंत हो जायेंगे, तो इलाज के विकल्प नि:संदेह ही बहुत सीमित हैं.

अधिक उम्र के लोगों में या वरिष्ठ नागरिकों में यदि मधुमेह या डायबिटीज़ नियंत्रित न की जाए तो टीबी या तपेदिक होने का खतरा तीन गुणा बढ़ जाता है.

जन-आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय - भारत-अमरीका परमाणु संधि का विरोध करता है

जन-आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय - भारत-अमरीका परमाणु संधि का विरोध करता है

जब भारत में बुनियादी सामानों की कीमतें बढ़ रही हैं, भारत के प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह भारत-अम्रीका परमाणु संधि क बारे में पुन: बात बढ़ा रहे हैं.

यह भारत-अमरीका परमाणु संधि गैर-लोकतान्त्रिक तरीके से बढाई जा रही है, यहाँ तक कि भारत की संसद तक से इसको पारित नही किया गया था. हकीक़त यह है कि अधिकाँश राजनीतिज्ञों ने इस संधि का भरसक विरोध किया है.

इस भारत-अमरीका परमाणु संधि की वजह से इस छेत्र में शान्ति भंग होने का खतरा है, खासकर कि पड़ोसी राष्ट्रों से जिनमें चीन, पाकिस्तान और इरान प्रमुख हैं. भारत-अमरीका परमाणु संधि से परमाणु निशस्त्रीकरण के ऊपर जो कार्य हो रहा है, वोह भी कुंठित होता है.

भारत-अमरीका परमाणु संधि से यह भी खतरा बढ़ता जा रहा है कि भारत कही अमरीका का छोटा सैन्यिक सहयोगी न बन के रह जाए, जिसकी वजह से अमरीकी कंपनियों को और परमाणु उद्योग को अपना बाज़ार बढ़ाने में भी खुली छूट मिल जाए.

सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पर्यावरण के लिए लाभकारी तरीकों से उर्जा बनाने के बजाये भारत परमाणु जैसे खतरनाक और नुकसानदायक तरीकों को अपना रहा है. विकसित देशों में परमाणु उर्जा एक असफल प्रयास रहा है. विश्व में अभी तक परमाणु कचरे को नष्ट करने का सुरक्षित विकल्प नही मिल पाया है, और यह एक बड़ा कारण है कि विकसित देशों में परमाणु उर्जा के प्रोजेक्ट ठंडे पड़े हुए हैं.

भारत सरकार क्यों भारत-अमरीका परमाणु संधि को अधिक तवज्जो दे रही है और इरान-पाकिस्तान-भारत तक की गैस पाइपलाइन को नकार रही है, यह समझ के बाहर है. हकीक़त यह है कि आने वाले २०-३० सालों तक गैस ही उर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत रहेगा, ऐसा अनुमान है.

जान आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, भारत-अमरीका परमाणु संधि के विरोध में अपनी भूमिका लेता है.


सुरेन्द्र मोहन, अचिन वनिक, मजोर जनरल .गया. वोम्बत्केरे (रेत्द.), जे. श्री रमन, थॉमस कोचेर्री, सुकला सेन, मुक्त श्रीवास्तव, आनंद पटवर्धन, अजित झा, फेरोज़े मिथिबोर्वाला, किशोर जगताप, पर.टी.. हुसैन, आशीष रंजन झा, कामायनी, संजय .गया., अरुंधती धुरु, मेधा पाटकर, संदीप पाण्डेय

National Alliance of People's Movements
(NAPM)
या
जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय


गोवा में धूम्रपान करते हुए जनरल की फोटो वाली किताबों को पाठ्यक्रम से हटाया जायेगा

गोवा में धूम्रपान करते हुए जनरल की फोटो वाली किताबों को पाठ्यक्रम से हटाया जायेगा

पिछले हफ्ते गोवा सरकार और NCERT के समक्ष डॉ शेखर सलकर ने, जो नेशनल ओर्गानिज़शन फॉर टोबक्को एरादिकाशन के महासचिव हैं, यह अपील की कि NCERT की सामाजिक विज्ञान की किताबों में धूम्रपान करते हुए फ्रेंच जनरल की फोटो मौजूदा तम्बाकू नियंत्रण नीतियों के विरोध में है.

डॉ सलकर ने इस किताब को पाठ्यक्रम से हटाने की मांग की क्योंकि बच्चों युवाओं पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

सामाजिक विज्ञान की इस किताब के पृष्ठ ४४ पर विएतनाम में कम्युनिस्ट आन्दोलन के पाठ में फ्रेंच जनरल हेनरी नवरे की एक तस्वीर थी जिसमे वोह सिगरेट पी रहे थे.

गोया शिक्षा विभाग ने डॉ सलकर को सूचित किया कि इस किताब को पाठ्यक्रम से हटा लिया जायेगा।

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तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
सोमवार, ३० जून २००८
अंक ४०९

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तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: २६ जून २००८: अंक ६५

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ६५
गुरूवार, २६ जून २००८
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चेन्नई के ताम्बरम टीबी या तपेदिक अस्पताल से सम्बंधित सानोटोरियम में एक रोगी की मृत्यु बिजली के नंगे तार से चिपक के हो गई. यह टीबी का रोगी अपने वार्ड से निकल कर बाहर जा रहा था और बरामदे में बिजली का नंगा तार पड़ा हुआ था. तार पर उसका पैर पड़ते ही बिजली के झटके से उसकी मृत्यु हो गई.

यदि यह हाल है टीबी के अस्पतालों का, तो नि:संदेह बहुत चिंता का विषय है. स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में कल की रपट के अनुसार रोगियों को अधिक संक्रामक रोगों का खतरा रहता है (नीचे दी गई रपट देखे). अब यह हाल है कि नंगे बिजली के तार से चिपक के मरने का भी खतरा है. उम्मीद है कि अधिकारीगण सुन रहे हैं और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का मौहौल सुधरेगा!

उज़बेकिस्तान देश के टीबी या तपेदिक विशेषज्ञ अमरीका में जा कर प्रभावकारी टीबी या तपेदिक नियंत्रण के बारे में जानकारी ले रहे हैं. उज़बेकिस्तान के टीबी डॉक्टरों को अमरीका जाने की क्या आवश्यकता है? क्या आपको लगता है कि अमरीका को प्रभावकारी टीबी नियंत्रण में महारथ प्राप्त है? या फिर उन देशों को जो इससे जूझ रहे हैं? हो सकता है अमरीकी टीबी डॉक्टरों को उज़बेकिस्तान जा कर देखना चाहिए कि कैसे वहाँ पर सीमित संसाधनों में टीबी नियंत्रण के कार्यक्रम चल रहे हैं.

अस्पतालों में भीड़ होने से और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या में कमी होने से अब स्वस्थ्य केन्द्रों में संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा अत्याधिक बढ़ गया है. इस नए शोध के अनुसार, जो मरीज संक्रामक रोगों के इलाज के लिए अस्पताल गए थे, न केवल उनके रोग का समयोचित इलाज नही हो पाया, बल्कि उनको अन्य संक्रामक रोग भी हो गए जिससे उनकी अवस्था अधिक बिगड़ गई.

अस्पतालों में संक्रामक रोगों के नियंत्रण के लिए जो तरीके बताये गए हैं, जिनमें हवादार कमरों का होना, मुंह पर मास्क पहनना, साफ़-सफाई रखना, शौचालय आदि को अत्यधिक साफ़ रखना, आदि प्रमुख हैं. विकसित देशों में अन्य प्रभावकारी तरीके अपनाए जाते हैं जिनमें अधिक वायु दबाव, वायु फिल्टर आदि प्रमुख हैं.

इस शोध से यह भी प्रमाणित हुआ कि अस्पतालों में संक्रामक रोगों के फैलने से मरीज अधिक समय तक अस्पताल में भरती रहता है, जो अस्पतालों में अधिक भीड़ बढ़ाता है, और संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है.

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: २५ जून २००८: अंक ६४

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ६४
बुधवार, २५ जून २००८
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अस्पतालों में भीड़ होने से और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या में कमी होने से अब स्वास्थ्य केन्द्रों में संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा अत्याधिक बढ़ गया है. इस नए शोध के अनुसार, जो मरीज संक्रामक रोगों के इलाज के लिए अस्पताल गए थे, न केवल उनके रोग का समयोचित इलाज नही हो पाया, बल्कि उनको अन्य संक्रामक रोग भी हो गए जिससे उनकी अवस्था अधिक बिगड़ गई.

अस्पतालों में संक्रामक रोगों के नियंत्रण के लिए जो तरीके बताये गए हैं, जिनमें हवादार कमरों का होना, मुँह पर मास्क पहनना, साफ़-सफाई रखना, शौचालय आदि को अत्यधिक साफ़ रखना, आदि प्रमुख हैं. विकसित देशों में अन्य प्रभावकारी तरीके अपनाए जाते हैं जिनमें अधिक वायु दबाव, वायु फिल्टर आदि प्रमुख हैं.

इस शोध से यह भी प्रमाणित हुआ कि अस्पतालों में संक्रामक रोगों के फैलने से मरीज अधिक समय तक अस्पताल में भरती रहता है, जो अस्पतालों में अधिक भीड़ बढ़ाता है, और संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है.

नोवार्टिस नामक दवा कंपनी और ग्लोबल अलायंस फॉर टीबी ड्रग देवेलोप्मेंट, यानि कि टीबी या तपेदिक की दवाएँ बनने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ के मध्य पाँच साल का समझौता हो गया है जिसके तहत नोवार्टिस दवा कंपनी टीबी की नई दवा खोजने के लिए शोध करेगी. इस समझौते के तहत टीबी या तपेदिक जो ड्रग रेसिस्तंत है यानि कि ऐसी टीबी जिस पर मौजूदा दवाएँ कारगर नही हैं, ऐसी ड्रग रेसिस्तंत टीबी के लिए भी नई दवाएँ खोजने के लिए नोवार्टिस शोधरत रहेगी.

जर्मनी ने डेब्ट-टू-हैल्थ समझौते के तहत इंडोनेशिया का ५० मिलियन यूरो का कर्जा माफ़ कर दिया. शर्त यह है कि इस रकम का ५० प्रतिशत धनराशि इंडोनेशिया जन-स्वास्थ्य के कार्यक्रमों को सशक्त करने में निवेश करेगा.

यह एक सराहनीय प्रयास है क्योंकि कई विकासशील देश कर्जे के कारण जन-स्वास्थ्य और विकास के कार्यक्रमों पर अपेक्षा के अनुरूप निवेश नही कर पा रहे हैं. उदाहरण के तौर पर घाना में जितना पैसा जन-स्वास्थ्य के कार्यक्रम पर व्यय होता है, उसका ८ गुणा अधिक विश्व बैंक के क़र्ज़ को लौटने में जाता है. अन्य दाता एजेन्सी से अनुरोध है कि जर्मनी के इस उदाहरण से प्रेरित हो कर विकासशील देशों में जन-स्वास्थ्य और विकास से जुड़े हुए कार्यक्रमों में निवेश को प्रोत्साहन दें, और कर्जे को माँफ करें.

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: २४ जून २००८: अंक ६३

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ६३
मंगलवार, २४ जून २००८
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जर्मनी ने डेब्ट-टू-हैल्थ समझौते के तहत इंडोनेशिया का ५० मिलियन यूरो का कर्जा माफ़ कर दिया. शर्त यह है कि इस रकम का ५० प्रतिशत धनराशि इंडोनेशिया जन-स्वास्थ्य के कार्यक्रमों को सशक्त करने में निवेश करेगा.

यह एक सराहनीय प्रयास है क्योंकि कई विकासशील देश कर्जे के कारण जन-स्वास्थ्य और विकास के कार्यक्रमों पर अपेक्षा के अनुरूप निवेश नही कर पा रहे हैं. उदाहरण के तौर पर अफ्रीका के घाना देश में जितना पैसा जन-स्वास्थ्य के कार्यक्रम पर व्यय होता है, उसका ८ गुणा अधिक विश्व बैंक के क़र्ज़ को लौटाने में जाता है. अन्य दाता एजेन्सी से अनुरोध है कि जर्मनी के इस उदाहरण से प्रेरित हो कर विकासशील देशों में जन-स्वास्थ्य और विकास से जुड़े हुए कार्यक्रमों में निवेश को प्रोत्साहन दें, और कर्जे को माँफ करें.

पाकिस्तान में टीबी या तपेदिक से सम्बंधित जागरूकता में कमी है - ऐसा मानना है वहा पर कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं का. जब तक आम लोगों में तपेदिक या टीबी के प्रारम्भिक लक्षणों के बारे में जागरूकता नही होगी, टीबी या तपेदिक से सम्बंधित शोषण कम नही होगा, टीबी या तपेदिक की जाँच के लिए कहाँ पर जाना चाहिए इसके बारे में जागरूकता नही बढ़ेगी, टीबी या तपेदिक के इलाज से सम्बंधित जानकारी नही मिलेगी इत्यादि, तब तक टीबी या तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम कैसे सुधरेंगे?

तपेदिक या टीबी के प्रभावकारी इलाज उपलब्ध होने के बावजूद रोजाना ४,००० से अधिक लोग तपेदिक या टीबी की वजह से मृत्यु के शिकार होते हैं. टीबी या तपेदिक से एक भी व्यक्ति की मृत्यु नही होनी चाहिए क्योंकि इलाज मुमकिन है, कहना है संयुक्त राष्ट्र की महा सचिव बन-की-मून का. बन-की-मून ने यह भी कहा कि नई टीबी की जाँच और दवाइयों के लिए शोध पर पर्याप्त आर्थिक निवेश नही किया गया है. बन-की-मून का यह भी कहना है कि एच.आई.वी से ग्रसित लोगों में टीबी या तपेदिक की जाँच और इलाज करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है, जिसके लिए पर्याप्त आर्थिक निवेश भी उपलब्ध कराना चाहिए.

तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन: २४ जून २००८: अंक ४०५

तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
२४ जून २००८
अंक ४०५

लखनऊ में पान मसाला फैक्ट्री को बंद करने के आदेश

लखनऊ में श्याम बहार पान मसाला बनाने वाली एक फैक्ट्री को बंद करने के आदेश दिए जा चुके हैं. उत्तर प्रदेश पोलूशन कंट्रोल बोर्ड या उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फरवरी २००८ में ही यह आदेश जारी कर दिए गए थे पर इनपर अमल नही हुआ है.

कुन्दारी रकाबगंज में स्थित यह फैक्ट्री वायु प्रदूषण करती आ रही है और नोटिस के बावजूद भी इसने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई कदम नही उठाये हैं. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य अभियंता स्वामी नाथ राम के अनुसार यह फैक्ट्री गैर-व्यापारिक छेत्र में स्थित है जहाँ पर व्यापारिक गतिविधियाँ करने की अनुमति नही है. उनके अनुसार शीघ्र ही इस फैक्ट्री की बिजली पानी काट दी जायेगी.

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डॉ अगरवाल का 'गंगा-भागीरथी बचाओ' अभियान और आमरण अनशन दिल्ली में जारी

डॉ अगरवाल का 'गंगा-भागीरथी बचाओ' अभियान और आमरण अनशन दिल्ली में जारी

आई.आई.टी कानपुर के सेवानिवृत आचार्य (प्रोफेसर) डॉ जी.डी अगर्वाल, जो ७६ वर्ष के हैं, १३ जून २००८ से उत्तराखंड में गंगा/ भागीरथी के ऊपर प्रदेश सरकार और केंद्रीय सरकार द्वारा नियोजित कई बड़े बाँध और पानी से उर्जा बनाने के प्रोजेक्ट के विरोध में आमरण-अनशन पर हैं. पहाड़ों से रास्ता काट कर गंगा के रुख को बदलने की भी सरकारी योजना है, जिससे न केवल प्रकृति के नष्ट होने का खतरा है बल्कि जो प्राकृतिक रूप से जीव और पेड़ आदि जो गंगा पर निर्भर हैं, उनके भी नष्ट होने का खतरा है. उसके बाद जो लोग इन प्रोजेक्ट से विस्थापित होंगे, और जिन लोगों की ज़िन्दगी और जीविका भी गंगा पर निर्भर है जो कुंठित होगी, उनके बारे में भी सरकारी नीति होनी चाहिए.

डॉ अगरवाल को योग गुरु रामदेव ने भी समर्थन दिया और गंगा रक्षा मंच की स्थापना की. पिछले हफ्ते उत्तराखंड के मुख्या मंत्री खंडूरी ने कहा कि वोह प्रदेश सरकार द्वारा नियोजित बाँध के प्रोजेक्ट को दर-किनार करने को तैयार हैं यदि प्रदेश की बिजली की आवश्यकता केन्द्र पूरी कर दे, परन्तु नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन का प्रोजेक्ट जो केंद्रीय सरकार द्वारा संचालित है, उसके बारे में वोह कोई निर्णय या हस्तछेप नही कर सकते.

इस घोषणा के बाद ही जिन लोगों के हित इस प्रोजेक्ट पर निर्भर हैं, जिनमें राजनीतिज्ञ और ठेकेदार दोनों शामिल हैं, उन्होंने डॉ अगर्वाल के शान्ति और अहिंसक अनशन को भंग करने का प्रयास किया.

अब डॉ अगर्वाल और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता दिल्ली पहुँच रहे हैं, जहाँ पर विरोध जारी रहेगा और केंद्रीय सरकार पर भी जोर बन पायेगा की नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन के प्रोजेक्ट को वोह लोगों के हित में रद्द करे.

इस अपील पर हस्ताक्षर करने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: २३ जून २००८: अंक ६२

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ६२
सोमवार, २३ जून २००८
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तपेदिक या टीबी के प्रभावकारी इलाज उपलब्ध होने के बावजूद रोजाना ४,००० से अधिक लोग तपेदिक या टीबी की वजह से मृत्यु के शिकार होते हैं. टीबी या तपेदिक से एक भी व्यक्ति की मृत्यु नही होनी चाहिए क्योंकि इलाज मुमकिन है, कहना है संयुक्त राष्ट्र की महा सचिव बन-की-मून का. बन-की-मून ने यह भी कहा कि नई टीबी की जाँच और दवाइयों के लिए शोध पर पर्याप्त आर्थिक निवेश नही किया गया है. बन-की-मून का यह भी कहना है कि एच.आई.वी से ग्रसित लोगों में टीबी या तपेदिक की जाँच और इलाज करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है, जिसके लिए पर्याप्त आर्थिक निवेश भी उपलब्ध कराना चाहिए.

दीज्हेर्लो नामक पेड़ से निकलने वाले एक द्रव्य को यूक्रेन में हो रह एक शोध के तहत टीबी और एच.आई.वी दोनों से ग्रसित व्यक्तियों में इस्तेमाल किया गया. इस शोध से यह स्थापित हुआ कि इसके प्रयोग से न केवल एच.आई.वी और टीबी दोनों से ग्रसित लोगों के शरीर की प्रतिरोधक छमता बढ़ जाती है, बल्कि शरीर का वाइरल लोड भी कम हो जाता है. यह प्रारम्भिक शोध है, और इस पर अधिक गहनता से शोध होने की आवश्यकता है. दीज्हेर्लो चूँकि एक पेड़ से निकलने वाला पदार्थ है, इसको यूक्रेन में सैंकड़ों सालों से लोग इस्तेमाल कर रहे हैं, और इसका शरीर पर कोई भी कु-प्रभाव ज्ञात नही है. सम्भावना है कि अधिक शोध से यह स्थापित हो पायेगा कि इसका एच.आई.वी से ग्रसित लोगों की प्रतिरोधक छमता बढ़ाने में कितना योगदान है.

टीबी और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव के लिए अत्यन्त सरल तरीकों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए. हाल ही में एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि यदि टीबी या तपेदिक का इलाज न हो तो ३० - ५० प्रतिशत मृत्यु की सम्भावना रहती है. इसी उद्बोधन में उन्होंने कहा कि कीटनाशक और मच्छर मारने की दवाइयों का इस्तेमाल करने से और भोजन से पहले हाथ धोने से अनेकों संक्रामक रोगों से बचाव मुमकिन है.

पिछले हफ्ते शुक्रवार, २० जून २००८ को, थाईलैंड के टीबी अस्पताल में जाना हुआ. वहाँ पर भी संक्रामक रोगों से बचाव के लिए कुछ निर्देश लिखे हुए थे जिनमें सबको मास्क पहनना चाहिए, खिड़की-दरवाजे खुले रखना चाहिए जिससे की वायु आर-पार जा सके, खाँसते वक्त मुंह पर हाथ रखना चाहिए, और भोजन के वक्त परोसने के लिए चमचे का इस्तेमाल करना चाहिए (यानि कि अपनी चम्मच का भोजन परोसने के लिए प्रयोग नही करना चाहिए), प्रमुख निर्देश थे.

स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में जहाँ भांति भांति प्रकार के रोगियों का आवागमन होता है, वहाँ पर विशेष तौर पर संक्रामक रोगों के नियंत्रण के लिए प्रावधान होने चाहिए और उनपर अमल भी होना चाहिए.

मीडिया मेडिकल कोर्पुस -मीडिया नेस्ट का प्रयास

मीडिया मेडिकल कोर्पुस -मीडिया नेस्ट का प्रयास


लखनऊ, उत्तर प्रदेश में पत्रकारों एवं संवेदनशील लोगों की संसथान मीडिया नेस्ट ने शनिवार, २१ जून २००८ को मीडिया मेडिकल कोर्पुस - एक प्रयास - की घोषणा करने के लिए प्रेस क्लब में कार्यक्रम आयोजित किया है.

इस अवसर पर झारखण्ड के राज्यपाल महामहिम स्येद सिब्ते राजी भी उपस्थित रहेंगे। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के मुख्य प्रबंधक श्री शिवा कुमार विशिष्ठ अतिथि रहेंगे।

तिथि: शनिवार, २१ जून २००८
समय: ४:३० बजे दोपहर
स्थान: प्रेस क्लब, लखनऊ

अधिक जानकारी के लिए, कृपया करके कुलसुम तल्हा जी को संपर्क करें:
ईमेल:
neelofarmustafa@yahoo.co.in, medianestcares@gmail.com

कर्मचारी की हत्या के बाद आई.टी.सी की नेपाल की फैक्ट्री में हड़ताल

तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
१९ जून २००८
अंक ४०३

कर्मचारी की हत्या के बाद आई.टी.सी की नेपाल की फैक्ट्री में हड़ताल

भारत की सबसे बड़ी तम्बाकू कम्पनी और अन्य उद्योगों में भी मुनाफा कमाने वाली कम्पनी आई.टी.सी की नेपाल की फैक्ट्री में एक कर्मचारी की हत्या के बाद हड़ताल हो गई.

लीला लामिछाने, जो आई.टी.सी की नेपाल की कंपनी सूर्य नेपाल की फैक्ट्री में कार्यरत थे, उनका अपहरण हो गया. कल रात उनका मृत शरीर प्राप्त हुआ.

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तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: १७ जून २००८: अंक ६१

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ६१
मंगलवार, १७ जून २००८
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राजेश कुमार, जो रियाध में कार्यरत थे, १२ मई २००८ को Qatar airways के जहाज से भारत वापस आने को थे, परन्तु हवाई अड्डे पर ही बेहोश हो गए. होश आने पर डाक्टरी परीक्षण से पता चला कि उनको तपेदिक या टीबी है.

हवाई अड्डे पर खलबली मच गयी! पिछले साल ही एक अमरीकी वकील ने ड्रग रेसिस्तंत टीबी होने पर हवाई यात्रा कर के विश्व में सनसनी पैदा कर दी थी. तब से अनेकों ऐसे उदाहरण मिल जायेंगे जहाँ पर किसी को टीबी या तपेदिक निकलने पर बाकि सभी लोगों की, जो उस व्यक्ति के सम्पर्क में आए हों, उनकी टीबी या तपेदिक की जांच होने लगी. शुक्र है कि अधिकांश ऐसे हादसों में किसी को टीबी या तपेदिक नही निकली पर एक भय अवश्य बैठ गया है कि जन परिवाहनों में टीबी या तपेदिक से ग्रसित व्यक्ति के पास बैठने से टीबी या तपेदिक का संक्रमण फ़ैल सकता है. सत्य यह है कि सम्भावना तो संक्रमण फैलने की है परन्तु भारत, चीन, आदि देशों में यह कैसे संभव है कि व्यक्ति अनजान लोगों के एकदम निकट न बैठे? ट्रेन, बस, आदि में किसी को क्या पता कि बगल में बैठे सह-यात्री को कौन से संक्रमण हैं? नि:संदेह यह बात कही जा सकती है कि टीबी या तपेदिक के नियंतरण के लिए यह प्रभावकारी नीति नही है - इससे लोगों में भय उत्पन्न हो जायेगा और संभवत: टीबी होने पर किसी अन्य को बताने में लोग भयभीत होंगे. इससे संक्रमण फैलने की सम्भावना और बढ़ जायेगी.

अमरीका में एक जेल के कैदी को टीबी या तपेदिक का संक्रमण निकलने पर न केवल उस कैदी का इलाज हो रहा है बल्कि सभी अन्य कैदियों की और जेल के कर्मचारियों की जांच भी हो रही है, और जेल पर ताला-बंद!

विश्व में १९वीं सबसे अधिक टीबी या तपेदिक के रोगी बर्मा में हैं. हाल ही में बर्मा में आए नरगिस तूफ़ान के कारणवश विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता व्यक्त की है कि बर्मा में टीबी या तपेदिक के फैलने की सम्भावना बढ़ गयी है, खासकर कि ड्रग रेसिस्तंत टीबी की क्योंकि टीबी से ग्रसित लोगों तक दवाइयाँ नियमित रूप से नहीं पहुच पा रही हैं.

दक्षिण अफ्रीका के एक टीबी अस्पताल से १९ टीबी के मरीज सुरक्षाकर्मियों से हाथापाई कर के भाग गए. यह सभी टीबी के मरीज - ड्रग रेसिस्तंत टीबी - के थे, जिनमें से ३ को एक्स्तेंसिवेली ड्रग रेसिस्तंत टीबी थी और १६ को मल्टी ड्रग रेसिस्तंत टीबी थी. गौर करने का विषय है कि अस्पताल में किस तरह का मौहौल है कि टीबी मरीजों को बिना दवा मर जाना बेहतर समझ में आया है. पिछले साल २००७ में इसी अस्पताल से ड्रग रेसिस्तंत टीबी के रोगी दीवार तोड़ कर भाग गए थे. दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने ऐलान किया है कि विशेष कवच पहने हुए स्वास्थ्यकर्मी और पुलिस इन रोगियों को दुबारा पकड़ने के लिए तलाश में लगी हुई है. क्या इसी तरह से हम प्रभावकारी टीबी या तपेदिक नियंतरण करने वाले हैं?

International Union Against Tuberculosis and Lung Disease (IUATLD, The Union), या तपेदिक या टीबी और अन्य फेफड़े की बीमारियों के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन - ने एक रपट जारी की है कि कैसे गैर-संक्रामक रोगों के नियंतरण को प्रभावकारी बनाया जाए - यह रपट खासकर इसलिए महत्व की है क्योकि २१ मई २००८ को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ल्ड हैल्थ स्तातिस्तिक रपट २००८ जारी की थी जिसके अनुसार गैर संक्रामक रोगों का मृत्यु दर संक्रामक रोगों की तुलना में कहीं अधिक है - उदाहरण के तौर पर टीबी, एच.आई.वी, आदि जैसे संक्रामक रोगों से कही अधिक मृत्युदर है गैर-संक्रामक रोगों का जैसे कि ह्रदय रोग, डायबिटीज़, या तम्बाकू-जनित और मोटापा जनित बीमारियाँ. इस वर्ल्ड हैल्थ स्तातिस्तिक रपट २००८ को डाउनलोड करने या पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक्क कीजिये

यूनियन का कहना है कि गैर संक्रामक रोग जैसे कि डायबिटीज़, उच्च रक्त का दबाव या हाई बी.पी, ऐस्थामा या दमा का रोग, epilepsy या मिर्गी का दौरा आदि के जन-स्वास्थ्य कार्यक्रमों को प्रभावकारी बनाने के लिए टीबी या तपेदिक के कार्यक्रमों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. तपेदिक या टीबी कार्यक्रमों को राजनीतिक समर्थन मिलने से और अत्यन्त सरल टीबी या तपेदिक की जांच, एक ही प्रकार का टीबी या तपेदिक का मान्यता प्राप्त इलाज जिसे डोट्स कहते हैं, नियमित रूप से टीबी या तपेदिक के इलाज के लिए दवाइयों को मुहैया करना और टीबी या तपेदिक के इन कार्यक्रमों का ठीक से मूल्यांकन करना आदि इसको सफल बनाने में कारगर रहे हैं.

यूनियन की इस रपट को डाउनलोड करने या पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक्क कीजिये

तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन: १३ जून २००८: अंक ३९९

तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
१३, १३ जून २००८
अंक ३९९


‘विधायक’ पान मसाला ने नाराज़ किया है उत्तर प्रदेश के विधायकों को


पी.टी.आई के समाचार के अनुसार (पूरा समाचार पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक्क कीजिये), 'विधायक' नामक पान मसाला ने उत्तर प्रदेश के विधायकों को नाराज़ किया है. विधायक इश्वर चंद्र शुक्ला ने उत्तर प्रदेश असेम्बली में प्रश्न उठाया और 'विधायक' पान मसाला के उत्पादनकर्ताओं को पकड़ने के लिए और उन अधिकारियों को पकड़ने के लिए जिन्होंने इस नाम से पान मसाला बनाने की अनुमति दी है, सख्त करवाई करने की मांग की.

२१ जनवरी को विधान सभा को यह नोटिक प्राप्त हुआ था कि इस 'विधायक' नाम से पान मसाला बन रहा है परन्तु अब तक कौन इस पान मसाला के उत्पादंकर्ता हैं और किन अधिकारियों ने इसको बनाने की अनुमति दी है, इस बात की जानकारी नही मिल पायी है.

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तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन: १३ जून २००८: अंक ३९८

तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
शुक्रवार, १३ जून २००८
अंक ३९८

पिछले ६ महीनों में सिगरेट का काला बाज़ार २५ प्रतिशत बढ़ा

पिछले ६ महीनों में सिगरेट का काला बाज़ार २५ प्रतिशत बढ़ गया है. रुपया १०,८०० करोड़ से अधिक की बढ़ोतरी पिछले ६ महीनों में सिगरेट के काले बाज़ार में हुई है. पिछले साल सिगरेट का काला बाज़ार लगभग रुपया १०,४०० करोड़ का था, जो अब बढ़ के रुपया १०,८०० करोड़ का हो गया है.

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तम्बाकू निर्यात १२ प्रतिशत २००८ फिनान्सिअल वर्ष में बढ़ा

फिनान्सिअल
वर्ष २००७ के मुकाबले इस फिनान्सिअल साल २००८ में तम्बाकू का निर्यात १२ प्रतिशत बढ़ गया है. इसको अगर मूल्य में देखें तो यह बढ़ोतरी १७ प्रतिशत की होगी।

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वैश्वीकरण ने तम्बाकू-जनित महामारियों को अधिक संगीन बना दिया है

कर्नाटक प्रदेश के मंगलोर शहर में मणिपाल विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुलपति डॉ बी.ऍम.हेगडे के अनुसार विश्व में तम्बाकू-जनित महामारियों को अधिक संगीन बनाने में वैश्वीकरण की भूमिका रही है. पहले विकसित देशों में ७० प्रतिशत तम्बाकू जनित रोग हुआ करते थे और अब विकासशील देशों में ७० प्रतिशत तम्बाकू जनित रोग हुआ करते हैं. अल्ज्हेइमेर बीमारी क्योंकि धूम्रपान से दिमाग के शुक्राणु मर जाते हैं, अल्सर क्योंकि तेजाब अधिक बनता है, कई प्रकार के कैंसर और ह्रदय रोग आदि तम्बाकू जनित बीमारियों में प्रमुख हैं.

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महाराष्ट्र में गोद्फ्रे फिलिप्स बहादुरी पुरुस्कार दिए जा रहे हैं

भारत की दूसरी नम्बर पर बड़ी तम्बाकू कंपनी - गोद्फ्रे फिलिप्स महाराष्ट्र में कुछ फिल्मी कलाकारों और अन्य लोगों को बहादुरी पुरुस्कार से नवाज़ रही है. दुःख की बात है कि इतने शोध क बाद भी कि तम्बाकू कितनी घातक है, तम्बाकू कम्पनियाँ इस तथ्य को नकार के तम्बाकू बाज़ार को बढाने और बचाने में लगी हुई हैं. हर साल ५४ लाख से अधिक लोग तम्बाकू जनित बीमारियों से मरते हैं. सच्ची बहादुरी तो तब होगी जब देश के और लोगों के हित में गोद्फ्रे फिलिप्स तम्बाकू जैसे घातक उत्पादन बनाने बंद करे.

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तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: १२ जून २००८: अंक ६०

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ६०
गुरूवार, १२ जून २००८
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International Union Against Tuberculosis and Lung Disease (IUATLD, The Union, www.iuatld.org), या तपेदिक या टीबी और अन्य फेफडे की बीमारियों के उन्मूलन के लिये अंतर्राष्ट्रीय संगठन - ने एक रपट जारी की है कि कैसे गैर-संक्रामक रोगों के नियंतरण को प्रभावकारी बनाया जाए - यह रपट खासकर इसलिए महत्व की है क्योंकि २१ मई २००८ को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ल्ड हैल्थ स्तातिस्तिक रपट २००८ जारी की थी जिसके अनुसार गैर संक्रामक रोगों का मृत्यु दर संक्रामक रोगों की तुलना में कहीं अधिक है - उदाहरण के तौर पर टीबी, एच.आई.वी, आदि जैसे संक्रामक रोगों से कही अधिक मृत्युदर है गैर-संक्रामक रोगों का जैसे की ह्रदय रोग, डायबिटीज़ या मधुमेह, या तम्बाकू-जनित और मोटापा जनित बीमारियाँ. परन्तु विश्व में अधिकांश ध्यान और संसाधन संक्रामक रोगों पर व्यय हो रहे हैं, और गैर संक्रामक रोगों के कार्यक्रम अभाव में संघर्ष कर रहे हैं। इस वर्ल्ड हैल्थ स्तातिस्तिक रपट २००८ को डाउनलोड करने या पढ़ने के लिये यहाँ पर क्लिक्क कीजिये

यूनियन का कहना है कि गैर संक्रामक रोग जैसे कि डायबिटीज़, उच्च रक्त का दबाव या हाई बी.पी, ऐस्थामा या दमा का रोग, एपिलेपसी या मिर्गी का दौरा आदि के जन-स्वास्थ्य कार्यक्रमों को प्रभावकारी बनाने के लिये टीबी या तपेदिक के कार्यक्रमों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. तपेदिक या टीबी कार्यक्रमों को राजनीतिक समर्थन मिलने से और अत्यन्त सरल टीबी या तपेदिक की जांच हर सम्भव जगह पर उपलब्ध कराने से, एक ही प्रकार का टीबी या तपेदिक का मान्यता प्राप्त इलाज जिसे डोट्स कहते हैं, नियमित रूप से टीबी या तपेदिक के इलाज के लिये दवाइयों को मुहैया करना और टीबी या तपेदिक के इन कार्यक्रमों का ठीक से मूल्यांकन करना आदि इसको सफल बनने में कारगर रहे हैं.

यूनियन की इस रपट को डाउनलोड करने या पढ़ने के लिये, यहाँ पर क्लिक्क कीजिये

First HIV TB Global Leaders' Forum या पहला एच.आई.वी टीबी पर लीडर्स के लिये अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन ९ जून २००८ को न्यू यार्क में आयोजित हुआ. इस अधिवेशन में, दुनिया के लगभग सभी देशों के सरकारों के वरिष्ठ प्रतिनिधि या राष्ट्रपति/ प्रधानमंत्री आदि ने भाग लिया.

इस अधिवेशन में सभी देशों के प्रतिनिधियों ने एक कॉल फॉर एक्शन पर हस्ताक्षर किया कि एच.आई.वी और टीबी या तपेदिक नियंतरण के कार्यक्रमों को मिलजुल कर चलाया जाए जिससे की एच.आई.वी और टीबी दोनों का मृत्यु दर कम हो सके.

एच.आई.वी से ग्रसित लोगों में टीबी या तपेदिक सबसे बड़ा अवसरवादी संक्रमण है, और मृत्यु का सबसे बड़ा कारण भी. जब कि टीबी या तपेदिक का इलाज मुमकिन है, डोट्स के माध्यम से नि:शुल्क है, इसलिए टीबी से होने वाली मृत्यु नि:संदेह चिंता की बात है. एच.आई.वी की जांच-इलाज की सुविधाएँ और टीबी या तपेदिक की जांच-इलाज की सुविधाएँ अभी तक अलग अलग कार्य कर रही हैं, जबकि एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित व्यक्ति अक्सर एक ही होता है, खासकर कि उन छेत्रों में जहाँ एच.आई.वी का अनुपात अधिक है.

फर्स्ट HIV टीबी ग्लोबल लीदेर्स' फॉरम का कॉल फॉर एक्शन को डाउनलोड करने के लिये यहाँ पर क्लिक्क कीजिये

एक पिता अनिश्चितकालीन उपवास पर

एक पिता अनिश्चितकालीन उपवास पर

हरदोई जिले के बेनीगंज थाना छेत्र से लगभग ४० लोग लखनऊ में पिछले ३ दिनों से धरना दिए हुए हैं और ठाकुरी प्रसाद नामक दलित अनिश्चितकालीन उपवास पर है.

ठाकुरी प्रसाद इसलिए उपवास पर है क्योंकि उसके इकलौते लड़के राज-किशोर की ५ अप्रैल २००८ को यतेन्द्र और सत्येन्द्र के हाथों हत्या कर दी गई थी.

सत्येन्द्र और यतेन्द्र दोनों कमलेश के पुत्र हैं, जो गावं मल्ह्पुर के निवासी हैं.

राजनीतिक दबाव की वजह से जो एफ.आई.आर दर्ज हुई है वह अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज हुई है, न कि सत्येन्द्र और यतेन्द्र के ख़िलाफ़.

गावं वालों का कहना है कि स्थानीय सभासद (ऍम.एल.ए) और कैबिनेट मंत्री राम पाल वर्मा जो मायावती की प्रदेश सरकार में शामिल हैं, और उसका भतीजा जो स्थानीय सांसद है - अशोक रावत - ठाकुरी प्रसाद के लड़के के कातिलों को संग्रक्षण दे रहे हैं. सांसद अशोक रावत पहले भी देह व्यापर के काण्ड में फँस चुके हैं, जब गुजरात के सांसद बाबूभाई कटारा को इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई-अड्डे पर एक महिला को अपनी बीवी के पासपोर्ट पर कनाडा भेजते हुए पकड़ा गया था.

ठाकुरी प्रसाद और उसके परिवार को स्थानिए पुलिस पर कोई विश्वास नही है, और इसीलिए इस हत्याकांड की सी.बी.आई जांच होनी चाहिए. इन लोगों ने पुलिस के महानिदेशक से इस जांच की विनती की है.

यदि धरना स्थल पर मीडिया बंधुओं को बात करनी हो, तो कृपया कर के बाबु राम कमल या राजेश से इस फ़ोन नम्बर पर सम्पर्क करें: ९७९३२७१९३०, और दिनेश से इस नम्बर पर: ९९१९८२४०६४

संदीप पाण्डेय

तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन: १० जून २००८: अंक ३९६

तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
मंगलवार, जून २००८
अंक ३९६


आई ० टी ० सी ० कर रही है अपनी मनमानी
भारत की सबसे बड़ी तम्बाकू उद्योग कम्पनी आई टी सी सरकार के नियमो का पालन करते हुए अपनी मनमानी कर रही है, जिसका उदाहरण अभी जल्द ही उत्तर प्रदेश में देखने को मिला।

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तम्बाकू नियंत्रण नियमों का सही से पालन नही हो रहा है

अभी हॉल ही में कई सारे सामाजिक संगठनों ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि सार्वजनिक स्थानों पर तम्बाकू नियंत्रण नियमो का सही से पालन नही हो रहा है।

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तम्बाकू पर सरकार को अधिक कर निर्धारित करना चाहिए

जापान के निति निर्धारकों ने कहा कि तम्बाकू पर सरकार
को अधिक कर देना चाहिए जिससे इसके प्रयोग पर थोड़ा नियंत्रण लाया जा सके।

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निमंतरण: बंगलादेश-भारत-पाकिस्तान की आवाम के फोरम का अधिवेशन

निमंतरण: बंगलादेश-भारत-पाकिस्तान की आवाम के फोरम का अधिवेशन
बंगलादेश-भारत-पाकिस्तान की आवाम का फोरम
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तिथि: रविवार, १५ जून २००८
समय: १० बजे सुबह से ८ बजे शाम तक
स्थान: युवा केन्द्र, मौलाली, कलकत्ता, पश्चिम बंगाल


"हम है इसकी मालिक हिंदुस्तान हमारा है, ग़दर जारी है”

प्रिय मित्रों,

बंगलादेश-भारत-पाकिस्तान की आवाम का फोरम - की भारतीय इकाई और लोक राज संगठन नई दिल्ली आप सब को आमंत्रित कर रही है कि आप आगामी अधिवेशन में सक्रिय भाग लें.

ये अधिवेशन, १८५७ की आज़ादी कि पहली लड़ाई की स्मृति में बंगलादेश-भारत-पाकिस्तान की आवाम का फोरम के पूरे एक साल से हो रहे अनेकों कार्यक्रमों में से एक है.

आप सबका इस कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत है.

तिथि: रविवार, १५ जून २००८
समय: १० बजे सुबह से ८ बजे शाम तक
स्थान: युवा केन्द्र, मौलाली, कलकत्ता, पश्चिम बंगाल

साधुवाद,


मानिक समज्दर
महा-सचिव
बंगलादेश-भारत-पाकिस्तान की आवाम का फोरम - की भारतीय इकाई
फ़ोन: (+९१) ०९३३९३१७७६१

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: ९ जून २००८: अंक ५९

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ५९
सोमवार, ९ जून २००८
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First HIV TB Global Leaders' Forum या पहला एच.आई.वी टीबी पर लीडर्स के लिये अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन आज ९ जून २००८ को न्यू यार्क में आयोजित हो रहा है. इस अधिवेशन में, दुनिया के लगभग सभी देशों की सरकारों के वरिष्ठ प्रतिनिधि या राष्ट्रपति/ प्रधानमंत्री आदि भाग ले रहे हैं.

इस अधिवेशन में सभी देशों के प्रतिनिधि एक कॉल फॉर एक्शन पर हस्ताक्षर करेंगे कि कैसे एच.आई.वी और टीबी या तपेदिक नियंतरण के कार्यक्रमों को मिलजुल कर चलाया जाये जिससे कि एच.आई.वी और टीबी दोनों का मृत्यु दर कम हो सके.

एच.आई.वी से ग्रसित लोगों में टीबी या तपेदिक सबसे बडा अवसरवादी संक्रमण है, और मृत्यु का सबसे बडा कारण भी. जब कि टीबी या तपेदिक का इलाज मुमकिन है, डोट्स के माध्यम से नि:शुल्क है, इसलिए टीबी से होने वाली मृत्यु नि:संदेह चिंता की बात है. एच.आई.वी की जांच-इलाज की सुविधाएँ और टीबी या तपेदिक की जांच-इलाज की सुविधाएँ अभी तक अलग अलग कार्य कर रही हैं, जबकि एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित व्यक्ति अक्सर एक ही होता है, खासकर कि उन छेत्रों में जहाँ एच.आई.वी का अनुपात अधिक है.

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अमरीका के राष्ट्रपति महोदय जॉर्ज बुश ने G8 या आठ विकसित देशों के समूह को फटकारा है कि एच.आई.वी, टीबी या तपेदिक और मलेरिया नियंतरण के लिये जो धनराशी इन देशों ने देने का वचन दिया था, उसपर खरे उतरें. G8 की अगली बैठक जुलाई २००८ में है.

अफ्रीका पर वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम का अधिवेशन पिछले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका के केप तौन शहर में संपन्न हुआ. यह अधिवेशन टीबी या तपेदिक, खासकर कि ड्रग रेसिस्तंत टीबी के मुद्दे पर केंद्रित है. इस अधिवेशन में एक टूलकिट भी जारी की गई है कि उद्योग किस तरह से प्रभावकारी टीबी या तपेदिक के नियंतरण में भूमिका निभा सकते हैं. एक रपट के अनुसार दक्षिण अफ्रीका के ८६% उद्योग किसी-न-किसी तरह से टीबी या तपेदिक से कु-प्रभावित थे.

इस टूलकिट को पढ़ने के लिये या डाउनलोड करने के लिये, यहाँ पर क्लिक्क कीजिये

टीबी या तपेदिक का उद्योगों पर कु-प्रभाव रपट पढ़ने या डाउनलोड करने के लिये यहाँ पर क्लिक्क कीजिये

तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन: ८ जून २००८: अंक ३९५

तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
जून २००८
अंक ३९५


तेंदू पत्ते पर सरकार की घोषणा

हाल ही में सरकार द्वारा तेंदू के पत्ते और उत्पादन पर घोषणा की गई है। ज्ञात हो कि बीड़ी उद्योग करीब ७० लाख लोगों को रोज़गार प्रदान करता है।

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अब आप अपने कार्यालय में धूम्रपान नहीं कर सकते

अब आपका कर्मचारी आपके कार्यालय में धूम्रपान नही कर सकता और शायद ऐसे में उसे इसकी आदत त्यागनी पड़े ।


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तम्बाकू से १० लाख मौत भारत में प्रति वर्ष परन्तु आई०टी०सी० को मिला 'सामाजिक जिम्मेदारी' के लिए पुरुस्कार

भारत की सबसे बड़ी तम्बाकू उद्योग कम्पनी आई ० टी ० सी ० को सामाजिक जिम्मेदारी के लिए उद्योग जगत के पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है।

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आई ० टी ० सी ० कम्पनी के सेंसेक्स में गिरावट
भारत की सबसे बड़ी तम्बाकू उद्योग कम्पनी आई ० टी ० सी ० के सेंसेक्स में गिरावट आई है।

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उत्तर प्रदेश सरकार ने आई।टी.सी कंपनी का लाइसेंस रद्द किया

उत्तर प्रदेश सरकार ने आई.टी.सी कंपनी का लाइसेंस रद्द किया

मायावती की उत्तर प्रदेश सरकार ने आई.टी.सी कंपनी, जो भारत की सबसे बड़ी तम्बाकू कंपनी है, उसका लाइसेंस ३० जून २००८ तक रद्द कर दिया। यह एक और प्रमाण है कि तम्बाकू कम्पनियाँ केवल तम्बाकू के व्यापार में बल्कि अन्य व्यापार में भी जन-हित को दर-किनार कर राजनितिक और अन्य उचित-अनुचित तरीकों से अपने बाज़ार को बचाती हैं और मात्र मुनाफे के लिए समर्पित रहती हैं।

आई.टी.सी कंपनी अब गेहूं के व्यापार में भी प्रवेश कर चुकी है। प्रदेश सरकार के कैबिनेट ने निर्णय लिया था कि राबी के समय में ३० जून २००८ तक कंपनियों के गेहूं खरीदने पर रोक लगाई जाए. इसके अलावा स्वयं उत्तर प्रदेश सरकार ने २५ मई २००८ को आदेश पारित किया था जिसके अनुसार किसानों से व्यापारियों के गेहूं खरीदने पर कोटा आधारित किया गया था।

इस कैबिनेट निर्णय को दर-किनार कर कि ३० जून २००८ तक कोई व्यापारी गेहूं नही खरीद सकता है, और प्रदेश सरकार के आदेश को नज़रंदाज़ करके कि कोई भी व्यापारी असीमित गेहूं नही खरीद सकता है, आई.टी.सी ने कृषि विभाग/ मंत्रालय से ३० मई २००८ को आदेश निकलवाया कि वह किसानों से सीधा ५ लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीद सकती है।

गनीमत है कि मायावती जो उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री हैं, उनकी सरकार ने इस आदेश को खारिज किया और आई.टी.सी के गेहूं खरीदने के लाईसेन्स को ३० जून २००८ तक रद्द कर दिया।

इस गेहूं घोटाले का खुलासा किया है टाइमस ऑफ़ इंडिया अखबार ने - जून २००८ को इस घोटाले का पर्दाफार्श करते हुए टाइमस ऑफ़ इंडिया ने सरकार को कारवाई करने पर विवश कर दिया। शुक्र है इस अखबार का, जो आज भी जनहित की ख़बरों को प्राथमिकता देता है।


तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: ६ जून २००८: अंक ५८

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ५८
शुक्रवार, ६ जून २००८
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भारत में प्रति वर्ष ३ लाख ७० हज़ार से अधिक लोग टीबी या तपेदिक से मरते हैं. सदियों से टीबी या तपेदिक नियंतरण कार्यक्रम भारत में सक्रिय रूप से चल रहे हैं, परन्तु इसके बावजूद भी टीबी या तपेदिक का मृत्युदर बढ़ता ही जा रहा है.

अब ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक, यानि कि ऐसी टीबी जिस पर अधिकांश दवाएं कारगर न रहे, अत्यन्त घातक है.

दिल्ली में गृहणियों ने टीबी या तपेदिक नियंतरण कार्यक्रम को और जागरूकता को बढ़ाने के लिये सक्रिय भूमिका निभानी आरंभ की है. मुहल्लों में नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से टीबी या तपेदिक के प्रारंभिक लक्षणों के बारे में, टीबी या तपेदिक के संक्रमण से बचाव के बारे में, इलाज के बारे में और टीबी या तपेदिक से जुड़े हुए शोषण युक्त रवैये के विरोध में अनेकों कार्यक्रम हो रहे हैं.

टीबी अलर्ट नामक संस्थान की भारत की प्रतिनिधि सपना नवीन का कहना है कि टीबी या तपेदिक का परीक्षण और पूरा इलाज करने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. टीबी की दवाएं सख्त होती हैं, और इनके प्रभाव अक्सर लोगों को भयभीत कर देते हैं, जैसे कि जौंदिस, बुखार, उलटी, पेशाब में खून का आना, या आंखों की दृष्टि का कमजोर होना आदि इन दवाओं को लेने पर आम लक्षण हैं.

अफ्रीका पर वर्ल्ड इकोनोमिक फॉरम का अधिवेशन ४ जून २००८ को दक्षिण अफ्रीका के केप तोउन शहर में आरंभ हुआ है. यह अधिवेशन टीबी या तपेदिक, खासकर कि ड्रग रेसिस्तंत टीबी के मुद्दे पर केंद्रित है. इस अधिवेशन में एक टूलकिट भी जारी की गई है कि उद्योग किस तरह से प्रभावकारी टीबी या तपेदिक के नियंतरण में भूमिका निभा सकते हैं. एक रपट के अनुसार दक्षिण अफ्रीका के ८६% उद्योग किसी-न-किसी तरह से टीबी या तपेदिक से कु-प्रभावित थे.

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टीबी या तपेदिक का उद्योगों पर कु-प्रभाव रपट पढ़ने या डाउनलोड करने के लिये यहाँ पर क्लिक्क कीजिये

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: ५ जून २००८: अंक ५७

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ५७
गुरूवार, ५ जून २००८


अफ्रीका पर वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम का अधिवेशन कल ४ जून २००८ को दक्षिण अफ्रीका के केप ताऊन शहर में आरंभ हुआ है. यह अधिवेशन टीबी या तपेदिक, खासकर कि ड्रग रेसिस्तंत टीबी के मुद्दे पर केंद्रित है. इस अधिवेशन में एक टूलकिट भी जारी की गई है कि उद्योग किस तरह से प्रभावकारी टीबी या तपेदिक के नियंतरण में भूमिका निभा सकते हैं. एक रपट के अनुसार दक्षिण अफ्रीका के ८६% उद्योग किसी-न-किसी तरह से टीबी या तपेदिक से कु-प्रभावित थे.

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विश्व स्तर पर फिलिप्पींस में ९वीं सबसे अधिक टीबी या तपेदिक के रोगी हैं. इस रपट के अनुसार टीबी या तपेदिक से ग्रसित, खासकर की ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक से ग्रसित रोगियों के ऊपर आर्थिक रूप से बहुत गंभीर कु-प्रभाव पड़ता है. यदपि टीबी या तपेदिक का इलाज नि:शुल्क है परन्तु टीबी या तपेदिक का रोगी महीनों के लिये बेरोज़गार हो जाता है और अन्य दवाइयों पर, विटामिन आदि पर और जांच पर जो व्यय आता है, वो टीबी या तपेदिक के रोगियों को आर्थिक रूप से भी निचोड़ रहा है.

२ जून २००८ को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा जारी एक रपट के अनुसार टीबी या तपेदिक और एच.आई.वी के उपचार के कार्यक्रम अभीतक संग मिलजुल कर काम नही करते हैं. एच.आई.वी से ग्रसित लोगों में टीबी या तपेदिक ही सबसे बड़ा मृत्यु का कारण है. टीबी या तपेदिक का इलाज मुमकिन है, और एच.आई.वी से ग्रसित लोगों की प्रतिरोधक छमता कम होने की वजह से उनको टीबी या तपेदिक होने का खतरा कई गुणा अधिक होता है. इसलिए आवश्यक है कि एच.आई.वी से ग्रसित लोग टीबी या तपेदिक संक्रमण से बचने के लिये नियमित परीक्षण करायें, यदि लेटेंट टीबी या तपेदिक हो तो इसोनिअजिद दवा ले के सक्रिय रोग होने से बचें, और यदि सक्रिय टीबी रोग हो तो उपयुक्त दवा समय से और पूरी अवधी तक लें.

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी इस रपट, "Towards Universal Access: Scaling up priority HIV and TB interventions in the health sector" या 'एच.आई.वी और टीबी के प्रभावकारी उपचार के कार्यक्रमों को बढाया जाए' रपट को डाउनलोड करने के लिये यहाँ पर क्लिक्क कीजिये.

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: ३ जून २००८: अंक ५६

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ५६
मंगलवार, ३ जून २००८


२ जून २००८ को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा जारी एक रपट के अनुसार टीबी या तपेदिक और एच.आई.वी के उपचार के कार्यक्रम अभी तक संग मिलजुल कर काम नही करते हैं. एच.आई.वी से ग्रसित लोगों में टीबी या तपेदिक ही सबसे बड़ा मृत्यु का कारण है. टीबी या तपेदिक का इलाज मुमकिन है, और एच.आई.वी से ग्रसित लोगों की प्रतिरोधक छमता कम होने की वजह से उनको टीबी या तपेदिक होने का खतरा कई गुणा अधिक होता है. इसलिए आवश्यक है कि एच.आई.वी से ग्रसित लोग टीबी या तपेदिक संक्रमण से बचने के लिये नियमित परीक्षण करायें, यदि लेटेंट टीबी या तपेदिक हो तो इसोनिअजिद दवा ले के सक्रिय रोग होने से बचें, और यदि सक्रिय टीबी रोग हो तो उपयुक्त दवा समय से और पूरी अवधी तक लें.

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी इस रपट, "Towards Universal Access: Scaling up priority HIV and TB interventions in the health sector" या 'एच.आई.वी और टीबी के प्रभावकारी उपचार के कार्यक्रमों को बढाया जाए' रपट को डाउनलोड करने के लिये यहाँ पर क्लिक्क कीजिये.

यूरोपियन यूनियन ने संक्रामक रोगों के नियंतरण के लिये अब तक का सबसे बड़ा अनुदान दिया है - यूरो ४० मिलियन! इस अनुदान को टीबी या तपेदिक के लिये वैक्सीन के शोध में, और अन्य संक्रामक रोगों के शोध आदि में निवेशित किया जाएगा.

ग्रेनाडा में स्वास्थ्यकर्मी इसलिए चिंतित हैं क्योकि अब अस्पताल में टीबी या तपेदिक के रोगियों के लिये कोई अलग से वार्ड नही है. यानि कि जो पहले टीबी या तपेदिक के विशेष अस्पताल थे, अब उनको खत्म कर के इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि सामान्य अस्पताल में ही इन रोगियों का इलाज किया जाए. स्वास्थ्यकर्मी इसलिए चिंतित हैं क्योकि अस्पताल में संक्रमण के रोकधाम के लिये पर्याप्त इंतजाम नही हैं.

डॉ बिनायक सेन के समर्थन में १० दिन का उपवास

डॉ बिनायक सेन के समर्थन में १० दिन का उपवास

नोट: यदि आप डॉ सेन क समर्थन में १ -१० दिन तक (आपके ऊपर निर्भर है) उपवास रख सकते हैं, तो कृपया कर के यहाँ पर क्लिक्क कीजिये और पंजीकरण करें
http://www.ashaparivar.org/petition/binayaksen/
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क्रूर कानून के विरोध में और डॉ बिनायक सेन, अजय टी.जी और अन्य लोगों कीरिहाई समर्थन में १० दिन का उपवास

१६ - २५ जून २००८


रायपुर, छत्तीसगढ़ में डॉ बिनायक सेन, फ़िल्म निर्माता अजय टी.गी, दोनों ही PUCL के सदस्य हैं, और अन्य लोग जो छत्तीसगढ़ स्पेशल पब्लिक सिक्यूरिटी एक्ट २००५ के तहत और अन्लाव्फुल अकतिवितिस प्रेवेंशन एक्ट (१९६७) - जो २००४ में संशोधित हुआ था - उसके तहत, गिरफ्तार हैं, उनकी रिहाई की मांग करते हुए १० दिन का उपवास आयोजित हो रहा है. यह उपवास १६ - २५ जून २००८ तक आयोजित होगा.

यह क्रूर कानून न केवल सरकार को बिना किसी लोकतांत्रिक करवाई के निर्णय पर पहुचने का अधिकार देते हैं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार के मायने हुए उसूलों को भी नकारते हैं. एक वरिष्ठ वकील के.गी कन्नाबिरण, जो कि पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबेर्तिएस (PUCL) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ स्पेशल पब्लिक सिक्यूरिटी एक्ट २००५ और उन्लाव्फुल अक्तिवितिएस् प्रेवेंशन एक्ट दोनों ही लोगों की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी बात रखने के अधिकारों को गैर-कानूनी बना के जुर्म करार देते हैं, और व्यक्ति पर इल्ज़ाम सबूत के आधार पर नही बल्कि किसी संगठन या विचारधारा से जुडाव पर साबित होता है.

PUCL छत्तीसगढ़ के महा-सचिव डॉ बिनायक सेन ने प्रदेश सरकार द्वारा प्रायोजित सलवा जुडूम का खुलासा कर के रख दिया था जो संवैधानिक व्यवस्था से बाहर हिंसा को मान्यता देता है और आदिवासी को आदिवासी के ही विरोध में खड़ा करने पर मजबूर कर देता है.

इस उपवास के जरिये यह सुनाश्चित करने का आह्वान है कि हाशिया पर रह रहे लोगों क मानवाधिकार की संग्रक्षा हो सके और
मानवाधिकार कार्यकर्ता निडर हो कर अपना कार्य कर सके.

यह उपवास २५ जून को समाप्त होगा. २५ जून को ही १९७५ में भारत ने अमेर्जेंसी घोषित की थी. उपवास के समाप्त होने क बाद २५-२६ जून २००८ को रायपुर में क्रूर कानून और
मानवाधिकार पर केंद्रित राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन होगा.

आप सब से निवेदन है कि इस उपवास में भाग लें. उपवास में भाग लेने के लिए आप जहाँ-से-चाहें और जितने भी दिनों के लिए चाहे, उपवास रख सकते हैं.

इस उपवास के लिए पंजीकरण करने के लिए, यहाँ पर जाएं:
http://www.ashaparivar.org/petition/binayaksen/

राजेंद्र सैल (९८२६८०४५१९),
गौतम बंदोपाध्याय (९८२६१७१३०४),
इलिना सेन (९४२५२०६८७५),
कविता श्रीवास्तव (९३५१५६२९६५),
फैसल खान (९३१३१०६७४५),
संदीप पाण्डेय (ashaashram@yahoo.com)
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नोट: यदि आप डॉ सेन के समर्थन में १ - १० दिन तक (आपके ऊपर निर्भर है) उपवास रख सकते हैं, तो कृपया कर के यहाँ पर क्लिक्क कीजिये और पंजीकरण करें
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तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन: १ जून २००८: अंक ३९२

तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
१ जून २००८

अंक ३९२


बॉलीवुड ने रामदास के अनुरोध को नकारा

भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री अंबुमणि रामदास ने यह स्वीकार किया है कि बॉलीवुड फिल्मों में तम्बाकू के प्रयोग को न दिखाए जाने की बात नही मान रहा है।

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तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम को लोग धुएं में उडा रहे हैं।

लुधियाना शहर में लोग आसानी से तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम को तोड़ रहे हैं। सड़क पर हम आसानी से छोटे बच्चों को स्कूल के बाहर तम्बाकू लेते हुए देख सकते है।

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अब दिल्ली विश्वविद्यालय के फार्म पर धूम्रपान की चेतावनी होगी

अब दिल्ली विश्वविद्यालय अपने प्रत्येक फार्म पर धुम्रपान की चेतावनी अंकित करेगा ऐसे ही कदम और भी विश्वविद्यालयों को उठाने चाहिए।

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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण ख़ुद ही तोड़ रहा है तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण भवन के कई कर्मचारी ख़ुद कर रहे हैं इसका सेवन अपने काम के दौरान।

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चंडीगढ़ में प्रशासन ढीला पड़ा तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम के पालन में

भारत का पहला धूम्रपान रहित शहर चंडीगढ़ में प्रशासन तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम को सही से पालन करने में ढीला पड़ रहा है।

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