बसंत
बस अंत हुआ
सर्दीली रातों का
होठों से निकलते ही
धुआं हुई बातों का
पतझड़ के पत्तों से
बिखरते हुए सपनों का
मुह फेर कर जो चल दिए
ऐसे बेगाने अपनों का
बस अंत हुआ
तब ही तो बसंत हुआ
वसंत पंचमी की शुभकामनाओं सहित
शोभा शुक्ला
संपादिका
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस
- गैर संक्रामक रोग(NCD)
- तम्बाकू नियंत्रण
- टीबी या तपेदिक
- एचआईवी/ एड्स
- मधुमेह या डायबिटीज
- अस्थमा या दमा
- बाल निमोनिया
- कैंसर
- मलेरिया
- काला अजार या Leishmaniasis
- सूचना का अधिकार (आरटीआई)
- परमाणु निशस्त्रीकरण
- राजनीति एवं जन मुद्दे
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (नरेगा)
- विश्व शांति

No comments:
Post a Comment