फांसी तो हो गई किन्तु यह तो पता चले कि संसद पर हमला किया किसने था?

[English] (नोटः हाल ही में लियाकत शाह के मामले से साफ हो गया है कि किस तरह पुलिस श्रेय लेने के लिए आत्मसमर्पण किए हुए उग्रवादियों को फर्जी मामलों में फंसा कर आतंकवादी के रूप में पेश करती है। यदि जम्मू-कश्मीर पुलिस और मुख्य मंत्री उमर अब्दुल्लाह ने खुल कर लियाकत के पक्ष में भूमिका नहीं ली होती तो सारा देश यही मानता कि लियाकत होली के समय दिल्ली में विस्फोट करने आया था। यह भी सवाल उठता है कि पुरानी दिल्ली में बरामद हथियार-बारूद किसने रखे थे? हमारा मानना है कि अफजल गुरु का मामला लियाकत जैसा ही था। एस.टी.एफ. और दिल्ली पुलिस के विशेष सेल ने उसे बलि का बकरा बना दिया। इस देश में पुलिस अपनी अक्षमता को छिपाने के लिए अन्य मामलों में भी निर्दोष लोगों को फंसाती रही है।)

एमडीआर-टीबी: एक नई महामारी

डॉ सूर्य कान्त
जैसा की हम सभी जानते हैं कि टी0बी0 सदियों से मानव जाति के लिए एक अभिशाप की तरह रही है। जहाँ तक चिकित्सा इतिहास की नजर जाती है वहाँ तक टी0बी0 के प्रमाण मौजूद हैं और शायद टी0बी0 आज तक पता लगी बीमारियों में सबसे पुरानी है। वेदों में भी टी0बी0 के प्रमाण मोजूद हैं जिनमें इसे ‘‘राज्यक्षमा’अर्थात शरीर को गलाने वाला कहा गया है। चरक संहिता में भी इसे ‘‘यक्षमा’कहा गया है। इसे ‘‘कैप्टन आफ मैन आफ डेथ’कहा जाता है। पहले टी0बी0 का कोई कारगर इलाज नही था। उस समय अच्छे खानपान व शुद्ध वातावरण के सहारे इसका इलाज करने का प्रयास किया जाता था । परन्तु जैसे-जैसे अधुनिक दवाईयों का अविष्कार हुआ इसका इलाज सम्भव माना जाने लगा।

भारत के हृदय-रोग विशेषज्ञों को मिला अमरीकी पुरुस्कार

डॉ ऋषि सेठी, हृदय-रोग विशेषज्ञ
डॉ ऋषि सेठी, डॉ शरद चंद्रा: अमेरीकन कॉलेज ऑफ कार्डिओलोजिस्ट द्वारा पुरुस्कृत 
[English] किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के हृदय रोग विभाग के लिए यह अत्यंत गर्व का विषय है कि एक ही वर्ष में इस विभाग के दो हृदय-रोग विशेषज्ञों को अमेरीकन कॉलेज ऑफ कार्डिओलोजिस्ट की प्रतिष्ठित एफ़एसीसी फ़ेलोशिप प्रदान की गयी है। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ ऋषि सेठी एवं डॉ शरद चंद्रा, दोनों को अमरीका के सैन-फ्रांसिसको शहर में 11 मार्च 2013 को आयोजित वार्षिक दीक्षांत समारोह में यह फ़ेलोशिप प्रदान की गयी।