चीन से आयात बंद हो: सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) की मांग

भारतीय सीमा में चीन के अनाधिकृत पैठ के संदर्भ में, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने मांग की है कि भारत सरकार तुरंत चीन से सभी प्रकार के आयात बंद करे। हमारे बाज़ारों में चीनी समान भरा हुआ है, जैसे कि बनारसी साड़ियाँ, होली की पिचकारियाँ, गरम कपड़े, मूर्तियाँ, विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रोनिक समान, आदि। हम किसी भी प्रकार के सैन्य प्रतिक्रिया का समर्थन नहीं करते हैं और हमारा मानना है कि यह मुद्दा दो-पक्षीय संवाद से सुलझाया जाये। परंतु हमारा पूरा समर्थन है उन नीतियों को जो लघु और मध्यम वर्गीय उद्योग और अन्य कारीगरों के बाज़ार की रक्षा करे। इस तरह के निर्णय से भारत की अर्थ-व्यवस्था जमीनी स्तर पर मजबूत होगी। चीन से आयात को बंद करके और स्वदेसी लघु और माध्यम वर्गीय उद्योग और कारीगरों के बाज़ार को बढ़ावा दे कर हमारा दोहरा लाभ होगा और चीन पर भी दबाव बनेगा कि वो अंतर्राष्ट्रीय सरहदों को सम्मान दे।

कैंसर-दवा पर पेटेंट के खिलाफ फैसले का सोशलिस्ट पार्टी ने स्वागत किया

सोशलिस्ट पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पुरजोर स्वागत किया है जिसके कारणवश जरूरतमन्द लोगों को कैंसर दवा मिल पाएँगी। सेवा निवृत्त जस्टिस रजिन्दर सच्चर ने भी इस मुद्दे पर सोशलिस्ट पार्टी की भूमिका को पूरा समर्थन दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता और संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य आयुक्त आनंद ग्रोवर के अनुसार, नोवर्टिस दवा कंपनी नवरचना की आड़ में पुरानी दवा में जरा सा परिवर्तन करके नया पेटेंट मांग रही थी जिसको सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। नोवर्टिस की यह कैंसर दवा (जिसका मूल अंश है ‘इमाटिनिब’ और ब्रांड का नाम है ‘ग्लीवेक’) रुपया 1,20,000 की बिकती आई है परंतु सुप्रीम कोर्ट के पेटेंट मना करने के फैसले के पश्चात यही दवा अब रुपया 8,000 तक में बिकेगी, ऐसा विश्वास है।

जन स्वास्थ्य नीति में तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप को रोकें: नयी चित्रमय चेतावनी और गुटखे पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करें

हालांकि 1 अप्रैल 2013 से सभी तंबाकू उत्पादनों पर प्रभावकारी नयी चित्रमय चेतावनी हों इसके लिए भारत सरकार ने 27 सितंबर 2012 को गज़ट नोटिफ़िकेशन जारी कर दिया था, तंबाकू उद्योग 6 माह से अधिक अवधि के बाद भी नयी चित्रमय चेतावनी लागू करने में असफल रहा है। यह सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 का खुला उलंघन है और जन स्वास्थ्य को भी कुप्रभावित करता है। पहले भी हमारी सरकार ने कई बार, तम्बाकू उद्योग के दबाव में आकर नई चेतावनियों को कम असरदार बनाने के साथ साथ उनके लागू करने की तारीख को भी आगे बढ़ाया है. नवम्बर २००८ में स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सूचना आयोग को बताया था कि तम्बाकू उद्योग के निरंतर दबाव के कारण वह  तम्बाकू नियंत्रण स्वास्थ्य नीतियाँ प्रभावकारी ढंग से लागू नहीं कर पा रही है. सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम के अनुसार हर साल नयी चित्रमय चेतावनी आनी चाहिए। परंतु पहली बार चित्रमय चेतावनी 1 जून 2009 से लागू हो पायी, उसके बाद उनको ढाई साल बाद 1 दिसम्बर 2011 को ही बदला जा सका, और अब तीसरी मर्तबा 1 अप्रैल 2013 को डेढ़ साल बाद बदलना था जो अब तक लागू नहीं हो पाया है। जब गज़ट नोटिफ़िकेशन 6 माह पहले आ गया था तब तंबाकू उद्योग ने नयी चित्रमय चेतावनी को 1 अप्रैल 2013 से क्यों नहीं लागू किया है?