तंबाकू सेवन से टीबी दुबारा होने का खतरा दोगुना: नया शोध

[English] 24 मार्च 2014 को प्रकाशित नए शोध पत्र के अनुसार तंबाकू सेवन से टूबेर्कुलोसिस (टीबी, तपेदिक या क्षय रोग) होने का खतरा दो-गुना हो जाता है।  जिन लोगों ने टीबी का इलाज पूरा कर लिया है और पूर्णत: ठीक हो गए हैं यदि वे तंबाकू सेवन करेंगे तो टीबी रोग दोबारा होने का खतरा दोगुना होता है। यह शोध अब तक का सबसे ठोस चिकित्सकीय वैज्ञानिक प्रमाण है कि तंबाकू सेवन और टीबी में सीधा और खतरनाक संबंध है। यह शोध पत्र “इंटरनेशनल जर्नल ऑफ टूबेर्कुलोसिस एंड लंग डीजीस” के अप्रैल 2014 अंक में प्रकाशित हुआ है जो आज विश्व टीबी दिवस पर ऑनलाइन हुआ।

कैसे मदद करे उन 30 लाख टीबी रोगियों की जिनतक सेवाएँ नहीं पहुँच रही हैं

[English] इस साल विश्व तपेदिक (टीबी) दिवस का मुख्य ज़ोर है कि कैसे 30 लाख टीबी रोगियों तक पहुंचा जाये जिनतक टीबी सेवाएँ नहीं पहुँच पा रही हैं। ये वो 30 लाख टीबी रोगी हैं जिनकी या तो टीबी जांच तक नहीं हो पाती है, या जिन तक इलाज नहीं पहुँच पाता है।  डॉ मारिया मोंटेस डे ओका जो “फॉरम फॉर इंटरनेशनल रेस्पिरेटरी सोसाइटीज़” (एफ़आईआरएस) की अध्यक्ष हैं, उनका कहना है कि “एफ़आईआरएस 70,000 श्वास संबंधी संस्थाओं का संगठन है और वे प्रतिबद्ध हैं कि कैसे मदद करें और 30 लाख ऐसे टीबी रोगियों को खोजे और सेवाएँ पहुंचाए जो इनसे वंचित हैं”। डॉ ओका का कहना है कि हर टीबी रोगी को मानक के अनुसार टीबी जांच और इलाज प्राप्त होना चाहिए तभी टीबी नियंत्रण संभव है।

सरकार द्वारा टीबी दवाओं के विक्रय को विधिवत नियंत्रित करना जन-हितैषी कदम

1 मार्च 2014 से भारत सरकार ने ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक अधिनियम 1940 में संशोधन करके 46 ऐन्टीबाइओटिक दवाओं को, बिना चिकित्सकीय परामर्श के बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन 46 ऐन्टीबाइओटिक दवाओं में टीबी की दवाएं भी शामिल हैं। टीबी नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश राज्य टास्क फोर्स के अध्यक्ष एवं इंडियन चेस्ट सोसाइटी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ सूर्य कान्त का कहना है कि “सरकार इस जन हितैषी और जन-स्वास्थ्य हितैषी कदम के लिए बधाई का पात्र है। टीबी दवाओं की बे-रोकटोक बिक्री पर बहुत पहले ही प्रतिबंध लगना चाहिए था। अनियमित टीबी दवाएं लेने से दवा-प्रतिरोधक टीबी उत्पन्न हो सकती है इसलिए टीबी दवाओं के साथ-साथ 45 अन्य ऐन्टीबाइओटिक दवाओं को “शैड्यूल एच1” में शामिल करके, उनको बिना चिकित्सकीय परामर्श के बेचने पर रोक लगाने का यह कदम सराहनीय है”।

सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) ने पूर्वांचल से बनाया जन आंदोलनों के नेताओं को उम्मीदवार

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), जो गरीबों और वंचितों के अधिकारों के लिए संघर्ष में विश्वास करती है ने पूर्वांचल की दो सीटों से लोक सभा चुनाव हेतु उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। सोशलिस्ट पार्टी के कुलदीप नैयर, न्यायमूर्ति राजिन्दर सच्चर, गिरीश कुमार पाण्डेय, ओंकार सिंह, संदीप पाण्डेय, एवं बॉबी रमाकांत ने बताया कि कुशीनगर सीट से मैत्रेय परियोजना के खिलाफ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले जुझारु नेता गोवर्द्धन प्रसाद गोंड़ को उम्मीदवार बनाया है।

अधिकतम चुनाव खर्च सीमा को बढ़ाना जन विरोधी

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का मानना है कि चुनाव आयोग द्वारा अधिकतम चुनाव खर्च सीमा को 25 लाख रुपए से बढ़ा कर 70 लाख रुपए करना और जमानत राशि 10 हज़ार रुपए से बढ़ा कर 25 हज़ार करना जन विरोधी है। अधिकतम चुनाव खर्च सीमा और जमानत राशि को बढ़ाने से अमीर पैसे वाले उम्मीदवारों और पार्टियों के लिए ही चुनाव लड़ना आसान होगा और अधिकांश गरीब जनता के लिए अत्यंत मुश्किल।

अन्य पाटियों जैसी बनती जा रही आप

(दैनिक जागरण में 16 मार्च 2014 को सर्वप्रथम प्रकाशित)
भारतीय जनता पार्टी शुरु में दावा करती थी कि वह अलग किस्म की पार्टी है। मुख्य रुप से उसका दावा था कि उसके अंदर भ्रष्ट लोग नहीं हैं और वह अपराधियों को सदस्य नहीं बनाती। किंतु धीरे-धीरे उसने यह दावा करना बंद कर दिया और उसकी राजनीति भी भ्रष्टाचार और अपराधीकरण का शिकार हो गई। अब आम आदमी पार्टी आई है जो एक अलग किस्म का दल होने का दावा कर रही है। अभी उसको अस्तित्व में आए डेढ़ साल भी नहीं हुए और जिन चीजें को चुनौती देने के लिए यह पार्टी बनाई गई थी वह उसी राह पर चल पड़ी है।

जिस मीडिया ने अरविंद केजरीवाल को बनाया उसी को कोस रहे

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का कहना है कि अरविंद केजरीवाल का ताजा आरोप मीडिया पर है। उनका कहना है कि मीडिया पैसे लेकर नरेन्द्र मोदी को ज्यादा दिखा रही है। उन्होंने जब उनकी सरकार बन जाएगी तो जांच करवा कर सबको जेल भेजने का भी ऐलान कर दिया है। सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मेगसेसे पुरुस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय का कहना है कि केजरीवाल को यह याद रखना चाहिए कि उनका आंदोलन भी मीडिया की ही देन है।

अब साम्प्रदायिकता की काट बने अरविंद केजरीवाल


देश में नरेन्द्र मोदी की लहर है। उनके प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवारी की घोषणा से जैसे भारतीय जनता पार्टी में जान आ गई है। कांग्रेस व भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर अमरीका जैसी द्विदलीय प्रणाली चाह रहे थे। क्षेत्रीय दलों में से काफी कोशिश के बाद भी कोई सही अर्थों में राष्ट्रीय दल नहीं बन पा रहा था।