क्यों सरकारों ने अधिकतम गति सीमा 30 किमी प्रति घंटे करने का वादा किया है?

कोविड महामारी के दौरान पिछले साल हुई तालाबंदी के कारणवश सड़क दुर्घटनाएं तो कम हुई हैं पर सड़क दुर्घटनाओं में मृत होने वालों की संख्या उस अनुपात में कम नहीं हुईं क्योंकि लोग बहुत तेज़ गति से मोटर वाहन चलाते हैं जिसके कारणवश जानलेवा सड़क दुर्घटनाएं होती रहीं. हर साल 13 लाख से अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं में मृत होते हैं - हर 24 सेकंड में 1 व्यक्ति मृत. तेज़ रफ़्तार से मोटर वाहन चलाना सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण रहा है जिससे पूर्णत: बचाव मुमकिन है. 40-50 प्रतिशत लोग तय गति सीमा से अधिक रफ़्तार से गाड़ी चालते हैं. हर 1 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार बढ़ाने पर 4-5% जानलेवा सड़क दुर्घटना होने का खतरा बढ़ जाता है. 

क्या कर रहे हैं करोना काल में भाजपा नेता

जब लखनऊ के कुछ अस्पतालों ने ऑक्सीजन की कमी की सूचना अपनी दीवारों पर चिपकाई तो उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री ने 24 अप्रैल 2021 को चेतावनी दी कि जो लोग अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की अफवाह फैलाएंगे उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की जाएगी और उनकी सम्पत्ति जब्त की जाएगी। इससे पहले प्रदेश के विधि मंत्री बृजेश पाठक ने अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य को एक पत्र लिख कर शिकायत की कि कोविड की जांच आख्या मिलने में 4 से 5 दिन का समय लग रहा है, प्रदेश में पर्याप्त जांच की सुविधा नहीं है और अधिकारी फोन नहीं उठाते। स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत करने पर जब फोन उठाते भी हैं तो उनसे जनता को कोई मदद नहीं मिलती। उन्होंने यह भी बताया कि लखनऊ के जाने माने इतिहासकार योगेश प्रवीण के लिए जब उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को एम्बुलेंस हेतु फोन किया तो भी एम्बुलेंस आई नहीं और योगेश प्रवीण की मौत हो गई। मोहनलालगंज से भारतीय जनता पार्टी के सांसद कौशल किशोर यह कहते हुए कि चुनाव से ज्यादा जरूरी लोगों की जान बचाना है चुनाव आयोग से उ.प्र. पंचायत चुनाव टालने की अपील कर चुके थे। कौशल किशोर ने यह भी आरोप लगाया कि लखनऊ के प्रतिष्ठित किंग जार्ज चिकित्सीय विश्वविद्यालय के श्वसन चिकित्सा विभाग में 100 के ऊपर ऑक्सीजन के साथ शैय्या व छह शैय्या आई.सी.यू. में खाली पड़ी हैं और मरीज ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पास के ही बलरामपुर अस्पताल में 20 में से सिर्फ 5 वेंटीलेटर काम में लिए जा रहे हैं क्योंकि वहां वेंटीलेटर संचालन हेतु तकनीकी रूप से प्रशिक्षित कर्मचारी ही नहीं हैं। मरीजों को ऑक्सीजन न मिलने की स्थिति में उन्होंने धरना तक देने की चेतावनी दी। कौशल किशोर के बड़े भाई का आखिर में किंग जार्ज चिकित्सीय विश्वविद्यालय में ऑक्सीजन की कमी के कारण ही निधन हो गया। इन दोनों भाजपा नेताओं ने बोलने की हिम्मत दिखाई क्योंकि शायद वे अन्य राजनीतिक दलों जैसे बहुजन समाज पार्टी या भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की पृष्ठभूमि से आते हैं। यदि वे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आते तो शायद सरकार की छवि की उन्हें ज्यादा चिंता होती।

यदि अस्थमा प्रबंधन सही हो तो सामान्य जीवन संभव है

यदि अस्थमा या दमा का सही चिकित्सकीय प्रबंधन, इलाज और देखभाल मिले तो सामान्य जीवनयापन संभव है. चूँकि ज़रूरतमंद लोगों को सही अस्थमा प्रबंधन, इलाज और देखभाल समय पर नहीं मिलती इसीलिए अस्थमा के कारणवश चिकित्सकीय आपात स्थिति होने का खतरा बढ़ जाता है और मृत्यु तक हो सकती है. अस्थमा या दमा से बच्चे और व्यसक सभी देशों में प्रभावित होते हैं परन्तु अस्थमा से अधिकाँश मृत्यु विकाशसील देशों में ही होती हैं. दुनिया में कुल अस्थमा-मृत्यु में से 50% तो भारत में ही होती हैं. विश्व अस्थमा दिवस पर ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के श्वास रोग विशेषज्ञ और इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्लोसिस एंड लंग डिजीज के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) गाए मार्क्स और किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के श्वास रोग विशेषज्ञ और भारतीय अस्थमा एलर्जी और एप्लाइड इमयूनोलाजी कॉलेज के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) सूर्य कान्त ने अस्थमा के कुशल प्रबंधन और सही देखभाल पर जोर दिया.

भय व प्रलोभन की राजनीति

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इण्डिया, जो भारत की दो में से एक कोविड के टीके बनाने वाली कम्पनी है, के मालिक अडार पूनावाला ने एक ट्वीट कर कहा है कि राज्य सरकारों को टीके बेचने की दर रु. 400 प्रति टीके से घटा कर रु. 300 कर वे सरकार के हजारों करोड़ रुपए बचा रहे हैं और अनगिनत लोगों की जानें। सीरम इंस्टीट्यूट को ऑक्सफ़ोर्ड-एसट्राजेनेका द्वारा शोध कर यह टीका बनाने के लिए दिया गया था। ऑक्सफ़ोर्ड-एसट्राजेनेका ने कह दिया था कि वह इस जीवनरक्षक टीके पर कोई मुनाफा नहीं कमाएंगे क्योंकि इस शोध में 97 प्रतिशत पैसा जनता का लगा था। अडार पूनावाला पहले इसे रु. 1000 प्रति टीका बेचना चाहते थे। सरकार ने रु. 250 की ऊपरी सीमा तय की तो सीरम इसे रु. 210 प्रति टीका बेचने को तैयार हुआ। बाद में इसका दाम घटा कर रु. 150 कर दिया। अडार पूनावाला ने माना है कि इस दर पर भी वे मुनाफे में हैं। फिर उन्होंने घोषणा कर दी कि 1 मई 2021 से, जब यह टीका 18 से 44 वर्ष आयु वालों को भी लगने लगेगा, वह केन्द्र सरकार को तो उसी दर पर देंगे लेकिन राज्य सरकारों को रु. 400 पर व निजी अस्पतालों को रु. 600 में। निर्यात की दरें अलग होंगी लेकिन मुख्य बात यह है कि पूरी दुनिया में यह टीेका भारत में ही सबसे महंगा होगा। काफी हंगामा होने के बाद अब उन्होंने राज्य सरकारों के लिए दर घटाई है।

[विडियो] श्रम अधिकार आन्दोलन और मधु लिमये