2023 ने दी टीबी उन्मूलन को एक कतरा उम्मीद पर चुनौती अनेक

[English] विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2023 (जो पिछले महीने ही जारी हुई है) के अनुसार, एक साल में अब तक के सबसे अधिक नये टीबी रोगियों की पुष्टि पिछले साल ही हुई है। 2022 में 75 लाख से अधिक लोगों को टीबी से ग्रसित पाया गया - जो पिछले सालों की तुलना में अब तक की सबसे अधिक संख्या है। हालाँकि दुनिया में कुल अनुमानित टीबी रोगियों की संख्या पिछले साल 1.06 करोड़ थी - साफ़ ज़ाहिर है कि अधिक रोगियों तक टीबी सेवाएँ पहुँचाने के बावजूद 30% टीबी रोगी सेवाओं से वंचित रहे।

बढ़ती ऑनलाइन महिला हिंसा बन रही चुनौती


[English] आज के समय में अनेक मानवीय संपर्क, ऑनलाइन स्थानों पर हो रहे हैं। जैसे-जैसे इंटरनेट और मोबाइल प्रौद्योगिकियाँ, तथा सोशल मीडिया हमें सुलभ होते जा रहे हैं, हमारे वास्तविक जीवन की कई गतिविधियाँ यहीं होने लगी हैं। हम में से बहुत से लोग अपने घरों से बाहर निकले बिना भी राय साझा करने, विचारों का आदान-प्रदान करने, अपना ज्ञान बढ़ाने और मनोरंजन खोजने के लिए वर्चुअल / ऑनलाइन ज़रियों को सुरक्षित और सुविधाजनक पाते हैं।

महिलाओं के लिए श्रम और प्रवास को सुरक्षित और न्यायोचित न बनाने का अब कोई बहाना नहीं


[English] अर्थ व्यवस्था में महिला प्रवासी श्रमिक एक बड़ा योगदान देती आ रही हैं परंतु वे स्वयं अनेक प्रकार की लैंगिक और योनिक हिंसा और शोषण का शिकार होती हैं। उनके श्रम और प्रवास को सुरक्षित और न्यायोचित बनाने के जो भी प्रयास हुए हैं वे नाम मात्र और असंतोषजनक हैं।

दवाओं के दुरुपयोग से साधारण संक्रमण हो रहे लाइलाज

जो दवाएँ हमें रोग या पीड़ा से बचाती हैं और अक्सर जीवनरक्षक होती हैं, यदि हम उनका दुरुपयोग करेंगे तो वह रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु पर असर नहीं करेंगी और रोग लाइलाज तक हो सकता है। यदि दवाएँ बेअसर हो जायेंगी तो ऐसे में, रोग के उपचार के लिए नयी दवा चाहिए होगी, और यदि नई दवा नहीं है तो रोग लाइलाज हो सकता है। अनेक ऐसे गंभीर और साधारण संक्रमण हैं जिनका इलाज मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि दवाओं का दुरुपयोग हो रहा है।

मेघालय में अनेक रोग का "जिस दिन जाँच, उसी दिन इलाज" शुरू होना हुआ संभव

जब तक, सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा आम-जनमानस तक नहीं पहुँचेगी, तक तब सबका स्वास्थ्य सबका विकास कैसे मुमकिन होगा? अक्सर, जहां सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है, वहाँ तक अधिकांश ज़रूरतमंद नहीं पहुँच पाते। मेघालय के पश्चिम जान्तिया हिल्स ज़िले के थडलसकींस ब्लॉक में, अनेक सरकारी कार्यक्रमों की साझेदारी से आयोजित अनोखे स्वास्थ्य मेले में एकत्रित स्वास्थ्य सेवा संभव हो सकी।

जब तक हर संभावित टीबी-रोगी को पक्की जाँच नहीं मिलेगी तब तक टीबी उन्मूलन कैसे होगा?

[English] यदि टीबी उन्मूलन का सपना आगामी 28 महीने में साकार करना है तो यह आवश्यक है कि हर संभावित टीबी-रोगी को बिना-विलंब पक्की जाँच मिले, सही प्रभावकारी इलाज मिले, और देखभाल और सहयोग मिले जिससे कि वह सफलतापूर्वक अपना इलाज पूरा कर सके। ऐसा करने से संक्रमण के फैलाव पर भी विराम लगेगा। यदि टीबी से जूझ रहे लोगों को पक्की जाँच नहीं मिलेगी या उसके बाद सही इलाज नहीं मुहैया कराया जाएगा, तो न केवल वह अनावश्यक पीड़ा झेल रहे होंगे और उनकी असामयिक मृत होने का ख़तरा बढ़ेगा, बल्कि  संक्रमण का फैलाव भी बढ़ता रहेगा।

देशों के शीर्ष नेताओं की कथनी और करनी में अंतर क्यों?

[English] विश्व के सभी देशों के शीर्ष नेता आगामी सितंबर 2023 को न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासम्मेलन में भाग लेंगे जहां टीबी पर दूसरी संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय बैठक भी होगी। टीबी पर प्रथम उच्च स्तरीय बैठक 2018 में हुई थी (जिसमें शामिल होने का सौभाग्य मुझे भी मिला था) जब देशों के शीर्ष नेताओं ने एक "राजनीतिक घोषणापत्र" जारी करके अनेक वायदे किए थे जो 2022 तक पूरे करने थे। पर इन सभी वायदों पर अधिकांश देशों ने असंतोषजनक प्रगति की है। अब आगामी सितंबर में यही नेता टीबी उन्मूलन हेतु एक नया "राजनीतिक घोषणापत्र" जारी करेंगे। क्या 2023 का नया घोषणापत्र ज़मीनी असलियत में भी बदलेगा या पुराने घोषणापत्र की तरह काग़ज़ों में ही क़ैद रह जाएगा?

एचआईवी सेल्फ-टेस्ट बिना विलंब एड्स कार्यक्रम में शामिल हो


[English] गर्भावस्था, डायबिटीज, कोविड-19 आदि के सेल्फ़-टेस्ट (आत्म-परीक्षण) भारत में उपलब्ध हैं और जन स्वास्थ्य और विकास के प्रति सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। एचआईवी सेल्फ-टेस्ट को भी उपलब्ध करवाना चाहिए जिससे कि जन स्वास्थ्य के लिए अपेक्षित लाभ मिल सके।

कोविड-19 टीकाकरण: प्रशंसा की गूंज में कहीं महत्वपूर्ण सीख न खो जाए

[English] इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि कोविड-19 टीकाकरण ऐतिहासिक रहा है। एक साल से कम समय में टीके के शोध को पूरा कर के, टीकाकरण वैश्विक स्तर पर इस गति से पहले कभी नहीं हुआ था। दुनिया (कुल आबादी 8 अरब) में 13 अरब से अधिक खुराक लग चुकी हैं, भारत में ही 2 अरब से अधिक खुराक लग चुकी हैं पर अधिकांश गरीब देशों में बड़ी आबादी को एक खुराक मुहैया नहीं। वैश्विक टीकाकरण अभियान में अनेक त्रुटियाँ रहीं हैं जिनके कारणवश स्वास्थ्य सुरक्षा ख़तरे में पड़ी। भविष्य में महामारी प्रबंधन और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए ज़रूरी है कि हम कोविड-19 टीकाकरण से सीखें कि क्या सुधार हो सकता था।

कैंसर बढ़ाने वाले कारणों पर बिना विराम लगाये कैसे होगी कैंसर रोकधाम?


भारत समेत दुनिया के सभी देशों ने वादा किया है कि 2025 तक कैंसर दरों में 25% गिरावट आएगी परंतु हर साल विभिन्न प्रकार के कैंसर से ग्रसित होने वाले लोगों की संख्या और कैंसर मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती जा रही है। कैंसर बढ़ेंगे क्यों नहीं जब कैंसर का ख़तरा बढ़ाने वाले कारणों पर विराम नहीं लग रहा है। अनेक कैंसर जनने वाले कारण ऐसे हैं जिनपर रोक के बजाय उनमें बढ़ोतरी हो रही है।