महिलाओं के लिए श्रम और प्रवास को सुरक्षित और न्यायोचित न बनाने का अब कोई बहाना नहीं
[English] अर्थ व्यवस्था में महिला प्रवासी श्रमिक एक बड़ा योगदान देती आ रही हैं परंतु वे स्वयं अनेक प्रकार की लैंगिक और योनिक हिंसा और शोषण का शिकार होती हैं। उनके श्रम और प्रवास को सुरक्षित और न्यायोचित बनाने के जो भी प्रयास हुए हैं वे नाम मात्र और असंतोषजनक हैं।
दवाओं के दुरुपयोग से साधारण संक्रमण हो रहे लाइलाज
जो दवाएँ हमें रोग या पीड़ा से बचाती हैं और अक्सर जीवनरक्षक होती हैं, यदि हम उनका दुरुपयोग करेंगे तो वह रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु पर असर नहीं करेंगी और रोग लाइलाज तक हो सकता है। यदि दवाएँ बेअसर हो जायेंगी तो ऐसे में, रोग के उपचार के लिए नयी दवा चाहिए होगी, और यदि नई दवा नहीं है तो रोग लाइलाज हो सकता है। अनेक ऐसे गंभीर और साधारण संक्रमण हैं जिनका इलाज मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि दवाओं का दुरुपयोग हो रहा है।
मेघालय में अनेक रोग का "जिस दिन जाँच, उसी दिन इलाज" शुरू होना हुआ संभव
जब तक, सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा आम-जनमानस तक नहीं पहुँचेगी, तक तब सबका स्वास्थ्य सबका विकास कैसे मुमकिन होगा? अक्सर, जहां सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है, वहाँ तक अधिकांश ज़रूरतमंद नहीं पहुँच पाते। मेघालय के पश्चिम जान्तिया हिल्स ज़िले के थडलसकींस ब्लॉक में, अनेक सरकारी कार्यक्रमों की साझेदारी से आयोजित अनोखे स्वास्थ्य मेले में एकत्रित स्वास्थ्य सेवा संभव हो सकी।
जब तक हर संभावित टीबी-रोगी को पक्की जाँच नहीं मिलेगी तब तक टीबी उन्मूलन कैसे होगा?
[English] यदि टीबी उन्मूलन का सपना आगामी 28 महीने में साकार करना है तो यह आवश्यक है कि हर संभावित टीबी-रोगी को बिना-विलंब पक्की जाँच मिले, सही प्रभावकारी इलाज मिले, और देखभाल और सहयोग मिले जिससे कि वह सफलतापूर्वक अपना इलाज पूरा कर सके। ऐसा करने से संक्रमण के फैलाव पर भी विराम लगेगा। यदि टीबी से जूझ रहे लोगों को पक्की जाँच नहीं मिलेगी या उसके बाद सही इलाज नहीं मुहैया कराया जाएगा, तो न केवल वह अनावश्यक पीड़ा झेल रहे होंगे और उनकी असामयिक मृत होने का ख़तरा बढ़ेगा, बल्कि संक्रमण का फैलाव भी बढ़ता रहेगा।
देशों के शीर्ष नेताओं की कथनी और करनी में अंतर क्यों?
[English] विश्व के सभी देशों के शीर्ष नेता आगामी सितंबर 2023 को न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासम्मेलन में भाग लेंगे जहां टीबी पर दूसरी संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय बैठक भी होगी। टीबी पर प्रथम उच्च स्तरीय बैठक 2018 में हुई थी (जिसमें शामिल होने का सौभाग्य मुझे भी मिला था) जब देशों के शीर्ष नेताओं ने एक "राजनीतिक घोषणापत्र" जारी करके अनेक वायदे किए थे जो 2022 तक पूरे करने थे। पर इन सभी वायदों पर अधिकांश देशों ने असंतोषजनक प्रगति की है। अब आगामी सितंबर में यही नेता टीबी उन्मूलन हेतु एक नया "राजनीतिक घोषणापत्र" जारी करेंगे। क्या 2023 का नया घोषणापत्र ज़मीनी असलियत में भी बदलेगा या पुराने घोषणापत्र की तरह काग़ज़ों में ही क़ैद रह जाएगा?
एचआईवी सेल्फ-टेस्ट बिना विलंब एड्स कार्यक्रम में शामिल हो
[English] गर्भावस्था, डायबिटीज, कोविड-19 आदि के सेल्फ़-टेस्ट (आत्म-परीक्षण) भारत में उपलब्ध हैं और जन स्वास्थ्य और विकास के प्रति सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। एचआईवी सेल्फ-टेस्ट को भी उपलब्ध करवाना चाहिए जिससे कि जन स्वास्थ्य के लिए अपेक्षित लाभ मिल सके।
कोविड-19 टीकाकरण: प्रशंसा की गूंज में कहीं महत्वपूर्ण सीख न खो जाए
[English] इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि कोविड-19 टीकाकरण ऐतिहासिक रहा है। एक साल से कम समय में टीके के शोध को पूरा कर के, टीकाकरण वैश्विक स्तर पर इस गति से पहले कभी नहीं हुआ था। दुनिया (कुल आबादी 8 अरब) में 13 अरब से अधिक खुराक लग चुकी हैं, भारत में ही 2 अरब से अधिक खुराक लग चुकी हैं पर अधिकांश गरीब देशों में बड़ी आबादी को एक खुराक मुहैया नहीं। वैश्विक टीकाकरण अभियान में अनेक त्रुटियाँ रहीं हैं जिनके कारणवश स्वास्थ्य सुरक्षा ख़तरे में पड़ी। भविष्य में महामारी प्रबंधन और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए ज़रूरी है कि हम कोविड-19 टीकाकरण से सीखें कि क्या सुधार हो सकता था।
कैंसर बढ़ाने वाले कारणों पर बिना विराम लगाये कैसे होगी कैंसर रोकधाम?
जो दवाएँ रोग से हमें बचाती हैं क्या हम उन्हें बचा पायेंगे?
कोविड-19 महामारी के दौरान यह हम सबको स्पष्ट हो गया है कि ऐसा रोग, जिसका इलाज संभव न हो, उसका स्वास्थ्य, अर्थ-व्यवस्था और विकास पर कितना वीभत्स प्रभाव पड़ सकता है। दवाएँ हमें रोग या पीड़ा से बचाती हैं और अक्सर जीवनरक्षक होती हैं परंतु उनके अनावश्यक और अनुचित दुरुपयोग से, रोग उत्पन्न करने वाला कीटाणु, प्रतिरोधकता विकसित कर लेता है और दवाओं को बेअसर कर देता है। दवा प्रतिरोधकता की स्थिति उत्पन्न होने पर रोग का इलाज अधिक जटिल या असंभव तक हो सकता है। साधारण से रोग जिनका पक्का इलाज मुमकिन है वह तक लाइलाज हो सकते हैं।
ज़ीनिक्स शोध: दवा-प्रतिरोधक टीबी का इलाज बेहतर हुआ सम्भव
[English] पिछले माह प्रकाशित "ज़ीनिक्स" (ZeNix) शोध के नतीजों ने यह सिद्ध कर दिया है कि दवा प्रतिरोधक टीबी का इलाज सिर्फ़ 6 महीने में हो सकता है (वर्तमान में अक्सर जिसमें 20-24 महीने या अधिक लगते थे), और इलाज की सफलता दर 40% - 50% से बढ़ कर 93% तक हो सकती है। इससे भी ज़्यादा ज़रूरी तथ्य यह है कि इस नए शोध में इस्तेमाल हुई दवाओं के कारण विषाक्तता बहुत कम हुई है।
जब 8 घंटे में हेपटाइटिस जाँच-पश्चात इलाज शुरू हो सकता है तो क्यों लगते हैं हफ़्तों?
[English] भारत के मणिपुर राज्य के हेपटाइटिस और एचआईवी से प्रभावित समुदाय ने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के साथ महत्वपूर्ण बात साबित कीः हेपटाइटिस की जाँच और इलाज आरम्भ करने के मध्य 8 घंटे 12 मिनट के औसत समय से अधिक नहीं आना चाहिए। उन्होंने शोध के ज़रिए यह मणिपुर में कर के दिखाया कि जिस दिन व्यक्ति हेपटाइटिस जाँच करवाने आती/ आता है, उसी दिन सभी जाँच प्रक्रिया पूरी करके, यदि वह पॉज़िटिव है तो, इलाज आरम्भ किया जा सकता है।
आख़िर क्यों एचआईवी के साथ जीवित लोग एक महीने से निरंतर आंदोलनरत हैं?
[English] एक महीने से अधिक हो गया है और एचआईवी के साथ जीवित लोग, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के कार्यालय के बाहर अनिश्चितक़ालीन धरने पर हैं। 21 जुलाई 2022 से यह लोग दिन-रात यहाँ निरंतर शांतिपूर्वक ढंग से बैठे हुए हैं। इनकी माँग स्पष्ट है कि एचआईवी दवाओं की कमी दूर हो, और नियमित एक-महीने की खुराक हर एचआईवी के साथ जीवित व्यक्ति को मिले जब वह अस्पताल दवा लेने जाए।
गृह ए में जलवायु न्याय" प्रकाशन विमोचित
29 जुलाई 2022 को, मांट्रीऑल, कनाडा में आयोजित विश्व के सबसे बड़े एड्स अधिवेशन (24वीं इंटरनेशनल एड्स कॉन्फ़्रेन्स) में, एरो (एशियन पैसिफ़िक रीसॉर्स एंड रीसर्च सेंटर फ़ॉर वूमेन) और सीएनएस ने संयुक्त रूप से, "गृह ए में जलवायु न्याय" प्रकाशन को एक विशेष सत्र में विमोचित किया। इस प्रकाशन को डाउनलोड करने के लिए, यहाँ क्लिक करें
एड्स उन्मूलन कैसे होगा यदि सरकारें अमीर देशों पर निर्भर रहेंगी?
इस बात में कोई संशय नहीं है कि स्वास्थ्य-चिकित्सा क्षेत्र में तमाम नवीनतम तकनीकी, जैसे कि वैक्सीन, जाँच प्रणाली, दवाएँ, आदि अमीर देशों में विकसित हुए हैं। 4 दशकों से अधिक हो गए हैं जब एचआईवी से संक्रमित पहले व्यक्ति की पुष्टि हुई थी। यदि मूल्यांकन करें तो एचआईवी से प्रभावित समुदाय के निरंतर संघर्ष करने की हिम्मत, और विकासशील देशों (जैसे कि भारत) की जेनेरिक दवाएँ, टीके आदि को बनाने की क्षमता न होती, तो क्या दवाएँ सैंकड़ों गुणा सस्ती हुई होती और ग़रीब देशों तक पहुँची होतीं? आज भी, अमीर देशों में दवाएँ, भारत की तुलना में, सैंकड़ों गुणा महँगी हैं। अमीर देशों पर निर्भर रहते तो कैसे लगभग 3 करोड़ लोगों को जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवाइरल दवाएँ मिल रही होतीं? गौर करें कि इनमें से अधिकांश लोग जो एचआईवी के साथ जीवित हैं ज़िन तक यह जीवनरक्षक दवाएँ पहुँच रही हैं वह अमीर देशों में नहीं बल्कि माध्यम और निम्न आय वाले देशों के हैं।
जो लोग जलवायु आपदा का सबसे तीव्रतम प्रभाव झेलते हैं वहीं जलवायु नीति-निर्माण से क्यों ग़ायब हैं?

[English] पैसिफ़िक क्षेत्र के द्वीप देश, फ़िजी की मेनका गौंदन ने कहा कि पैसिफ़िक महासागर (प्रशांत महासागर) दुनिया का सबसे विशाल सागर है परंतु भीषण जलवायु आपदाएँ भी यहीं पर व्याप्त हैं। पैसिफ़िक क्षेत्र के द्वीप देशों ने जलवायु को सबसे कम क्षति पहुँचायी है परंतु जलवायु आपदा का सबसे भीषण कुप्रभाव इन्हीं को झेलना पड़ रहा है। प्रशांत महासागर का तापमान बढ़ रहा है जिसके कारणवश जल-स्तर में बढ़ोतरी हो रही है और छोटे पैसिफ़िक द्वीप देश जैसे कि नाउरु और तुवालू पर यह ख़तरा मंडरा रहा है कि कहीं वह समुद्री जल में विलुप्त न हो जाएँ।
एचआईवी-दवाओं की कमी के कारण लोग अनिश्चितक़ालीन धरने पर
[English] दिल्ली-स्थित सरकारी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संस्था के कार्यालय के बाहर, अनेक एचआईवी के साथ जीवित लोगों ने 21 जुलाई 2022 से अनिश्चितक़ालीन धरना आरम्भ कर दिया है। देश में अनेक स्थानों पर, पिछले 5-6 महीनों से 'दाउलतग्रविर (dolutegravir) एंटीरेट्रोवाइरल दवा और बच्चों की एचआईवी दवाओं की कमी बनी हुई है। इसीलिए एचआईवी के साथ जीवित लोगों की माँग है कि एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं की आपूर्ति ऋंखला दुरुस्त हो और भविष्य में जीवनरक्षक दवाओं की कमी न हो पाए।
क्यों जरूरी है, "केवल एक पृथ्वी" नारे की प्रति हमारी जागरूकता
प्रत्यक्षा सक्सेना
5 जून 2022, विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष
हर साल की तरह इस वर्ष भी पर्यावरण की तरफ़ आम जन की जागरूकता बढ़ाने के लिए, पर्यावरण दिवस ५ जून को पूरे विश्व मे मनाया जा रहा है। वर्ष 1973 से शुरू हुए पर्यावरण दिवस में उस समय कुल 143 देशों ने भागेदारी की। इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यावसायिक लोग, सांसद, महापौर एवं अन्य प्रतिष्ठित लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या, समाधान आदि विषयों पर बात करते हैं। इस दिवस को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाना है जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन माना जाता रहा है। लोगों मे पर्यावरण के प्रति सजगता लाने के लिये एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हर वर्ष एक थीम रखा जाता है।
एकीकृत स्वास्थ्य के बिना स्वास्थ्य सुरक्षा कैसी?
[English] इंडोनेशिया में ६-७ जून २०२२ को जी-२० (G20) देशों के स्वास्थ्य कार्य समूह की दूसरी बैठक होगी। इस बैठक से पूर्व, एशिया-पैसिफ़िक देशों के अनेक शहरों के स्थानीय नेतृत्व ने (जिनमें महापौर, सांसद, आदि शामिल थे), एकीकृत स्वास्थ्य (One Health) प्रणाली की माँग की है जो मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण के अंतर-सम्बंध को समझते हुए, साझेदारी में क्रियान्वित हो। अनेक स्थानीय प्रशासन के प्रमुखों ने स्थानीय स्तर पर एकीकृत स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर कुछ काम करना आरम्भ भी कर दिया है। क्या जी-२० देशों के प्रमुख, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एकीकृत स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूती से आगे बढ़ाएँगे?
तम्बाकू उद्योग की कोविड वैक्सीन को क्या सरकारें अस्वीकार करेंगी?
दुनिया की सबसे बड़े तम्बाकू उद्योग ने कोविड वैक्सीन बनायी है। क्या सरकारों को जनता के पैसे से, तम्बाकू उद्योग की वैक्सीन ख़रीदनी चाहिए या इस उद्योग को हर साल तम्बाकू से होने वाली 90 लाख लोगों की मौत और करोड़ों लोग जो हृदय रोग, कैन्सर, मधुमेह, पक्षाघात से झेलते हैं, उसके लिए ज़िम्मेदार और जवाबदेह ठहराना चाहिए? कनाडा-स्थित मेडीकागो कम्पनी, जिसमें विश्व की सबसे बड़ी तम्बाकू कम्पनी फ़िलिप मोरिस इंटरनैशनल (पीएमआई) का आंशिक रूप से स्वामित्व है, ने कोविड वैक्सीन बनायी है।
दवा-प्रतिरोधक टीबी: क्या नवीनतम जाँच-इलाज सभी जरूरतमंदों तक पहुँच रहे हैं?
[English] दवा-प्रतिरोधक टीबी सम्बंधित जाँच और इलाज में जो शोध पिछले दशक में हुए हैं वह निसंदेह सराहनीय हैं। पर क्या हम इन नवीनतम पक्की जाँच से हर दवा-प्रतिरोधक टीबी से ग्रसित व्यक्ति को चिन्हित कर पा रहे हैं? क्या हम हर जरूरतमंद की नवीनतम बेहतर उपचार से इलाज कर पा रहे हैं?
महामारी से बचने के लिए वैश्विक संधि को मुनाफ़ाख़ोरों से कैसे बचाएँ?
संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च स्वास्थ्य संस्था (विश्व स्वास्थ्य संगठन) महामारी आपदा प्रबंधन और महामारी से बचाव के लिए वैश्विक संधि बनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है। जन सुनवाई हो रही हैं और सरकारों द्वारा आधिकारिक संवाद आगे बढ़ रहा है। पर आरम्भ से ही यह प्रक्रिया संदेह उत्पन्न कर रही है क्योंकि सबको आधिकारिक रूप से अपनी बात कहने का अवसर नहीं मिल रहा है। २०० से अधिक संस्थाओं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और कानूनविद ने सरकारों से अपील की है कि प्रभावकारी संधि बनाने के लिए यह ज़रूरी है कि सभी को अपनी बात कहने का मौक़ा मिले और जिन लोगों ने महामारी के दौरान भी मुनाफ़ाख़ोरी की है उनको संधि प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करने दिया जाए।
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