[वर्ल्ड अस्थमा डे वेबिनार रिकॉर्डिंग] [सुने और डाउनलोड करें पॉडकास्ट] [English] भारत सरकार एवं अन्य 194 देशों की सरकारों ने 2030 तक, गैर-संक्रामक रोगों (जैसे कि दमा/ अस्थमा) से होने वाली असामयिक मृत्यु को एक-तिहाई कम करने का वादा किया है (सतत विकास लक्ष्य/ SDGs). भारत सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 (National Health Policy 2017) का भी एक लक्ष्य यह है कि भारत में दीर्घकालिक श्वास रोगों (जैसे कि दमा/ अस्थमा) से होने वाली असामयिक मृत्यु 2025 तक, 25% कम हों. पर बिना पक्की चिकित्सकीय जांच और सर्वगत प्रभावकारी इलाज के यह लक्ष्य कैसे पूरे होंगे?
अखिलेश शुक्ला जी की आकास्मक मृत्यु पर शोक
हम सभी के प्यारे मित्र अखिलेश शुक्ला जी का यूँ अचानक से चले जाना बहुत ही पीड़ादायक तथा विश्वास न कर पाने वाली घटना है. आप निश्चित तौर पर एक जीवन्त, खुशनुमा, सज्जन तथा प्रेरक व्यक्तित्व वाले इंसान थे.
आपकी अपूरणीय कमी हम लोगों को सैदाव याद दिलाएगी कि कैसे ह्रदय और रक्त-कोष्ठक रोग हमारी ज़िन्दगी को प्रभावित कर रहे हैं. अखिलेश, आपकी कर्तव्यनिष्ठा, कर्मठता और मूल्यवान जीवन हमें हमेशा प्रेरित करेगा.
आपकी अपूरणीय कमी हम लोगों को सैदाव याद दिलाएगी कि कैसे ह्रदय और रक्त-कोष्ठक रोग हमारी ज़िन्दगी को प्रभावित कर रहे हैं. अखिलेश, आपकी कर्तव्यनिष्ठा, कर्मठता और मूल्यवान जीवन हमें हमेशा प्रेरित करेगा.
सड़क-दुर्घटना-मृत्यु दर 2020 तक आधा करने के वादे के बावजूद थाईलैंड में 'सोंगक्रान' त्यौहार में दर बढ़ा!
2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए जरुरी है स्वास्थ्य एवं गैर-स्वास्थ्य वर्गों में साझेदारी
अब इसमें कोई संदेह नहीं कि टीबी मुक्त भारत का सपना सिर्फ स्वास्थ्य कार्यक्रम के ज़रिए नहीं पूरा किया जा सकता है. टीबी होने का खतरा अनेक कारणों से बढ़ता है जिनमें से कुछ स्वास्थ्य विभाग की परिधि से बाहर हैं. उसी तरह टीबी के इलाज पूरा करने में जो बाधाएं हैं वे अक्सर सिर्फ स्वास्थ्य कार्यक्रमों से पूरी तरह दूर हो ही नहीं सकतीं - उदहारण के तौर पर - गरीबी, कुपोषण, आदि. इसीलिए टीबी मुक्त भारत का सपना, सभी स्वास्थ्य और ग़ैर-स्वास्थ्य वर्गों के एकजुट होने पर ही पूरा हो सकता है. इसी केंद्रीय विचार से प्रेरित हो कर, विश्व स्वास्थ्य दिवस 2017 के उपलक्ष्य में, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित, हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) के परिसर में, टीबी मुक्त भारत सम्मेलन का आयोजन हुआ.
"टीबी हारेगा, देश जीतेगा" जब हम सब एकजुट होकर टीबी उन्मूलन के लिए कार्य करेंगे!
[English] टीबी (ट्यूबरक्लोसिस या तपेदिक) रोग से बचाव मुमकिन है, दशकों से देश भर में पक्की जांच और पक्का इलाज सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में नि:शुल्क उपलब्ध है, पर इसके बावजूद टीबी जन स्वास्थ्य के लिए एक विकराल चुनौती बना हुआ है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट देखें तो भारत में 2015 में, 28 लाख नए टीबी रोगी रिपोर्ट हुए (2014 में 22 लाख थे), 4.8 लाख टीबी मृत्यु हुईं (2014 में 2.2 लाख मृत्यु हुईं थीं), और 79,000 दवा प्रतिरोधक टीबी (मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी या MDR-TB) के रोगी रिपोर्ट हुए (2015 में 11% वृद्धि). "टीबी उन्मूलन संभव है पर अभी 'लड़ाई' जटिल और लम्बी प्रतीत होती है" कहना है शोभा शुक्ला का जो सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस) का संपादन कर रही हैं और टीबी उन्मूलन आन्दोलन से दशकों से जुड़ीं हुई हैं.
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