फिल्लिप मौरिस तम्बाकू कंपनी के स्वतंत्र होने पर तम्बाकू महामारी को बिगाड़ने से बचाएं

फिल्लिप मौरिस तम्बाकू कंपनी के स्वतंत्र होने पर तम्बाकू महामारी को बिगाड़ने से बचाएं

३० जनवरी २००८ को सम्भावना है कि दुनिया की सबसे बड़ी तम्बाकू कंपनी फिलिप मौरिस या अल्त्रिया अपने अमरीका के भीतर के तम्बाकू व्यापर को अंतराष्ट्रीय तम्बाकू व्यापर को कानूनन रुप से अलग कर देगी। जन-स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकारों के लिए अति-आवश्यक हो गया है कि हर देस अपने स्तर पर कानून व्यवस्था को सख्त करे जिससे कि तम्बाकू कंपनियों को नियंतारिक किया जा सके और कड़ी नज़र रखी जा सके।

"फिल्लिप मौरिस अमरीका और फिल्लिप मौरिस अंतराष्ट्रीय के अलग अलग हो जाने से ये तम्बाकू कंपनी दुनिया भर के युवाओं के लिए खासकर अधिक घातक हो जायेगी" कहना है अन्ना व्हाइट का जो एस्सेंतिअल एक्शन नामक संगठन का नेत्रितिव कर रही हैं। "ये स्वतंत्र फिलिप मौरिस संभवत स्विटजरलैंड में स्थापित होगी और अमरीका के लोगों के प्रति और सरकार के प्रति जिम्मेदार और जवाबदेह नही होगी"।

फिलिप मौरिस की ८० प्रतिशत तम्बाकू व्यापर अमरीका से बाहर के देशों में हैंइस कंपनी ने पिछले साल ही अपने देसी और विदेसी व्यापर को अलग अलग करने का आह्वान किया थाआज बोर्ड ऑफ़ दिरेक्टोर्स की बैठक में इस बात का निर्णय होने की सम्भावना है.

१५० से अधिक संगठनों ने अनेकों देशों की सरकारों के लिए एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये ठी जिसमे विनती की गयी थी कि सरकारें अपन तम्बाकू नियंत्रण कानून को सशक्त करें जिससे कि फिलिप मौरिस के देसी और विदेसी व्यापर के अलग अलग हो जाने से उनके देशों में तम्बाकू महामारी अधिक बिगड़ेइसके साथ ही इस पत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया था कि जिन देशों ने अंतराष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण त्रेअटी (Framework Convention for Tobacco Control (FCTC)) पर हस्ताक्षर एवं अपने संसद से पारित नही किया है, वे हस्ताक्षर आर पारित करेंइस ज्ञापन में लिखी हुई मांगों को यह पढ़ जा सकता है: www.philipmorrisbreakup.org/calltogovs

"एक स्वतंत्र फिलिप मौरिस अमरीका के कानून से भी सुरक्षित रहेगी" कहना है अन्ना व्हाइट का

फिलिप मौरिस के ऊपर अमरीका में कानूनन करवाई होने की सम्भावना बढ़ गयी थी, खासकर कि जब अमरीका के जज ग्लाद्य्स केस्स्लेर ने आदेश पारित किया कि फिलिप मौरिस एवं अन्य तम्बाकू कंपनी भ्रामक शब्दों का इस्तेमाल बंद करें, जैसे कि 'मिल्ड', लाइट', या 'लो'। जैसे कि फिलिप मौरिस का ब्रांड मर्ल्बोरो लिघ्ट्स पर असर पड़ता. तम्बाकू कंपनियों ने एन शब्दों का इस्तिमाल जम के किया है जिससे लोगों को लगे कि ये ब्रांड से कम खतरा हैतमाम शोधों से ये प्रमाणित होता है कि मिल्ड लाइट या लो वाले तम्बाकू ब्रांड का सेवन करने से तम्बाकू जनित जानलेवा बीमारियों का खतरा कम नही होता हैअक्सर विपरीत प्रभाव पड़ता हैजज केस्स्लेर ने ये भी आदेश में कहा कि फिलिप मौरिस अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसे भ्रामक शब्दों का इस्तिमाल नही कर सकती है, गौर करें कि यदि फिलिप मौरिस अंतराष्ट्रीय अमरीका के भीतर नही स्थापित होती तो जज केस्स्लेर ऐसा आदेश नही कर सकती थीं

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार २०३० तक लगभग करोड़ लोग तम्बाकू जनित कारन से मृत को प्राप्त होंगेये आवश्यक है कि इस तम्बाकू जनित मृतु दर को कम करने के लिए हर मुमकिन प्रयास करना चाहिऐ, जिसमे फिलिप मौरिस एवं अन्य तम्बकोऊ कंपनियों को नियंतारिन करना और उनपर कड़ी निगरानी रखना शामिल है

फिल्मों में तम्बाकू सेवन न करें: रामादोस ने अमिताभ बच्चन और शाहरुख़ खान से कहा

फिल्मों में तम्बाकू सेवन न करें:
रामादोस ने अमिताभ बच्चन और शाहरुख़ खान से कहा
फिल्मों में तम्बाकू का सेवन करने से युवाओं और बच्चों पर असर पड़ता है और अनेकों शोधों के अनुसार उनमें तम्बाकू का सेवन शुरू करने का ये एक बड़ा कारन है, इसीलिए भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ अंबुमणि रामादोस ने सिने अभिनेता अमिताभ बच्चन और शाहरुख़ खान से निवेदन किया की वह लोग तम्बाकू का सेवन कम-से-कम फिल्मों में तो कतई न करें।
"धूम्रपान शुरू करने का सबसे बड़ा कारन फिल्मों मी धूम्रपान को प्रदर्शित करना है। ५२% बच्चे और युवा में धूम्रपान फिल्मों की वजह से धुरु हुआ है, ऐसा शोध के अनुसार प्रमाणित हुआ है और इसीलिए फिल्मों में धूम्रपान प्रदर्शित करने पर बंदी लगी है" कहा डॉ रामादोस ने।
"मैं पहले भी शाहरुख़ खान से अपील कर चूका हूँ और दुबारा करना चाहूँगा कि वो और अमिताभ बच्चन और अन्य फिल्म कलाकार परदे पर धूम्रपान न करें" डॉ रामादोस ने न्यूज़ चैनल के इन्तेर्विएव में कहा।
डॉ रामादोस ने शाहरुख़ खान के हाल ही में हुए क्रिकेट मैच में धूम्रपान करने का भी खंडन किया।
तम्बाकू के उत्पादनों पर तस्वीर या फोटो वाली चेतावनी पर डॉ रामादोस ने दुबारा जोर डाला और कहा कि उनका मानना है कि ऐसी चेतावनी प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण के लिए असरकारी सिद्ध होंगी। "अब तक हम लोगों से तम्बाकू सेवन न करने की विनती करते आये हैं, आवश्यक है कि तम्बाकू के कु-प्रभावों वाली तस्वीर या फोट से लोगों को चेता जा सके" डॉ रामादोस ने कहा।
विकसित देशों में तम्बाकू सेवन कम होता जा रहा है परन्तु भारत में तम्बाकू सेवन बढोतरी पर है, डॉ रामादोस ने चिंता जाहिर की।
१८ महीनों पहले भारत सरकार ने तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो वाली चेतावनी लगाने की रजामंदी दे दी थी पर अब तक इसको लागु नही कर पायी है। डॉ रामादोस ने कहा कि १८ महीनों का विलम्ब राजनितिक अवरोधों और विधि प्रक्रिया की वजह से हुआ है। परन्तु भारत सरकार तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो वाली चेतावनी लगाने के लिए व्चंबध है, आश्वासन दिया डॉ रामादोस ने।

तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो-वाली चेतावनी पर विचार कर रहे मंत्री मंडल को पत्र लिखें

तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो-वाली चेतावनी पर विचार कर रहे मंत्री मंडल को पत्र लिखें
(नीचे मंत्री मंडल के सदस्यों के पते एवं सम्पर्क जानकारी दी गयी है)
तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो वाली चेतावनी को एक बार फिर से विलंबित कर दिया गया है, जिस पर अनेकों कार्यकर्ताओं ने रोष व्यक्त किया है।

हालांकि The Cigarette and other tobacco products Act 2003 या तम्बाकू एवं अन्य उत्पाद अधिनियम २००३ को पारित हुए लगभग ५ साल होने को हैं, परन्तु किसी न किसी कारणवश इसके अनेकों जन-स्वास्थ्य के लिए समर्पित कानून अभी तक नही लागू हो पा रहे हैं। इनमे से एक है, तम्बाकू के हर तरह के उत्पाद पर फोटो वाली चेतावनी छापना।
एन जन-स्वास्थ्य हिताशी कानूनों को लागू करने में कोई देरी नही होनी चाहिऐ, ऐसा कहना है शिमला हाई कोर्ट का और अनेकों सामाजिक संगठनों का जिसको भारत सरकार ने एक बार फिर नज़र-अंदाज़ कर दिया है और कानून को लागू करने की तिथि फिर विलंबित कर दी है। ये चौथी बार है कि भारत सरकार ने इसको लागू करने की तिथि तो पुनः विलंबित कर दिया है. पहले हर तम्बाकू उत्पाद पर ये फोटो वाली चेतावनी १ जून २००७ से कानूनन जरूरी हो जानी चाहिऐ थीं.

तम्बाकू से असौतन १० लाख लोग भारत में प्रति वर्ष मृतु को प्राप्त होते हैं. आने वाले बीस सालों में ये तम्बाकू जनित मृतु दर २० लाख तक पहुचने का अंदेशा है. न केवल शहरों में बल्कि ग्रामीण छेत्रों में एवं विशेषकर कि आर्थिक रुप से कम्जूर वर्ग को तम्बाकू का सबसे भ्यावाही प्रकोप झेलना पड़ता है.
ऐसा अनुमान है कि तम्बाकू कम्पनियाँ बड़ी चतुराई से भारत सरकार की नीतियों को अपने बाज़ार के हित में प्रभावित कर लेटी हैं।

तम्बाकू कंपनियों की एवं भारत सरकार की ये जिम्मेदारी बनती है कि जनता तक तम्बाकू से होने वाले तमाम स्वास्थ्य पर कु-प्रभावों के बारे में पूरी जानकारी दे।

लगता है कि भारत सरकार को तम्बाकू कंपनियों ने बड़ी चतुराई से ये समझा दिया है कि फोटो वाली चेतावनी से तम्बाकू का सेवन करने वालों की संख्या कम हो जायेगी जिसका सीधा असर झेलना पड़ेगा तम्बाकू की खेती करने वाले किसानों को जो बे-रोजगार हो जायेंगे। जब कि तमाम शोध ये सिद्ध करते हैं कि ऐसा नही होगा क्योकि तम्बाकू का सेवन करने वाले लोगों की संख्या में कमी आने वाले २० सालों में धीरे-धीरे आएगी और बढ़ती जन-संख्या से ये प्रभाव और भी कम हो जाएगा।
अनेकों शोध ये भी प्रमाणित करते हैं कि तम्बाकू के उत्पादनों पर फोटो वाली चेतावनी लगाने से विशेषकर बच्चों और युवाओं पर, खासकर कि जो पढे लिखे नही हैं, उनको तम्बाकू-जनित कु-प्रभावों के बारे में सही जानकारी मिलेगी।

अनेकों विकास-शील देशों में फोटो वाली चेतावनी को लागो कर दिया गया है, जैसे कि थाईलैंड, सिंगापुर, ब्राजील, चिले, साउथ अफ्रीका एवं अन्य।

भारत के प्रधान मंत्री ने एक उच्च-स्तारिये मंत्रियों का समूह बनाया है जो इस मुद्दे पर विशेष ध्यान दे। इस मंत्रियों के समूह में शामिल हैं: एक्स्तेर्नल अफेयर्स मंत्री श्री प्रणब मुख़र्जी, पर्लिअमेंतारी अफेयर्स मंत्री श्री प्रियरंजन दासमुंशी, उर्बन देवेलोप्मेंट मंत्री श्री जैपाल रेड्डी, कोम्मेर्स मंत्री श्री कमल नाथ, श्रम एवं रोज़गार मंत्र श्री ऑस्कर फेर्नान्देस, एवं केन्द्रिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ अम्बुमणि रामादोस.

ऐसा अनुमान है कि ये मंत्रियों का समूह तम्बाकू कंपनियों के हित के लिए संवेदनशील होगा, और न कि लोगों के हित के लिए क्योकि उदाहरण के लिए प्रणब मुख़र्जी की संसदिये छेत्र में बीडी उद्योग व्याप्त है, आंध्र प्रदेश जहाँ जो जैपाल रेड्डी का चुनाव छेत्र है, वहाँ भी तम्बाकू की खेती होती है।

हर तम्बाकू उत्पाद पर फोटो वाली चेतावनी लगाने से तम्बाकू का व्यापर एकदम से कम नही हो जाएगा. तम्बाकू कंपनियों के पास और तम्बाकू की खेती करने वाले किसानों के पास काफी समय है या तो किसी और फसल की खेती आरंभ कर ले या किसी और व्यापर में निवेश कर ले.
तम्बाकू जनित मृतु दर को नाकारा नही का सकता।

भारत सरकार से अनुरोध है और आशा भी कि वो जन हित में और जन-स्वास्थ्य को प्राथमिकता देगी और न कि तम्बाकू कम्पनियों के हित को।

(डॉ शेखर सलकर, महा-सचिव, नोट इंडिया। फ़ोन सम्पर्क: ९८२२४८५७६९ और ईमेल: sssalkar@yahoo.com)
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भारत के प्रधान मंत्री का बनाया उच्च-स्तारिये मंत्रियों के समूह के सदस्यों के पते:

श्री प्रणब मुख़र्जी
स्थाई पता: २-अ, पहला तल, ६०/२७, कबी भारती सारणी
(लाके रोड), कोलकता-७०००२९,
टेल: (०३३) २४६४८३६६

श्री जैपाल सुदिनी रेड्डी
६-७०, गावं और मंडल मद्गुल,
जिला महबूबनगर-५०९ ००१ (आंध्र प्रदेश)
(०४०)२३५४७१२२

श्री प्रिय रंजन दस्मुंसी
वर्त्तमान पता: ७, लोधी इस्टेट, नयी दिल्ली - ११० ००३
फ़ोन .(०११) २४६५३७७८, २४६५३८९५
फैक्स.(०११) २४६५३७२७
स्थाई पता: ६अ, रानी भवानी रोड,
कोलकता- ७०० ०२६ (पश्चिम बंगाल)
फ़ोन: (०३३)४६४०७०७,४६४०५०५
फैक्स: (०३३) ४६४०२०२

श्री कमल नाथ
वर्त्तमान पता:: १, तुघ्लक रोड, नयी दिल्ली - ११० ०११
फ़ोन. (०११) २३७९२२३३, २३७९३३९६, २३०११३००
स्थाई पता: गावं शिकारपुर, प.ओ. लिंगा, जिला छिन्द्वारा - ४८० ००१
(मध्य प्रदेश). फ़ोन एवं फैक्स.(०७१६२)२४२२३३

श्री ऑस्कर फेर्नान्देस
वर्त्तमान पता: ८, पंडित पन्त मार्ग, नयी दिल्ली -११०००१
स्थाई पता: डोरिस रेस्ट हवें, अम्बल्पद्य, उडुपी, कर्नाटक-५७५१०३.

डॉ अंबुमणि रामादोस
स्थाई पता : नया नो.१०, पुराना नो.४४, कमात्ची अम्मान, कोइल स्ट्रीट, जिला विल्लुपुरम, तिन्दिवानाम ६०४००१

जत्था के लिए आह्वान - नंदीग्राम से नर्मदा और नर्मदा से गोरे (मुम्बई) तक -

जत्था के लिए आह्वान

- नंदीग्राम से नर्मदा और नर्मदा से गोरे (मुम्बई) तक -

जन आन्दोलनों को जोड़ता हुआ एक जत्था

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(ये नोट अंग्रेजी में मौलिक रुप से लिखा गया था. इसका हिन्दी अनुवाद करने की कोशिश की गयी है. त्रुटियों के लिए छमा कीजिए. मौलिक पत्र अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यह क्लिक्क करें)

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नंदीग्राम के संघर्ष ने एक इतिहास बना दिया है. पूंजीवादियों के हित में जिस तरह से बाज़ार और धन ने भारत की राजनीती और नीतियों पर जो कु-प्रभावित किया है, व्हो साफ झलकता है न केवल नंदीग्राम में लोगों के संघर्ष से, बल्कि देश भर में चल रहे किसानों के, देड़ी मजदूरों के, दलितों के, आदिवासियों के संघर्ष में भी इसका भयंकर कु-प्रभाव साफ दिखाई देता है. दिल को लुभाने वाला को ‘विकास’ का नारा इस प्रक्रिया में इस्तिमाल होता है, वह न केवल भारत के प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर को नष्ट करता है बल्कि समाज में लोगों के बीच सादगी, लोकतंत्र, और बराबरी के साथ मिलजुल के रहने के स्वाभाव भी नष्ट होता है.

देश भर में अपनी जमीन, रोज़गार, पानी और जीवन-यापन को बचने के लिए महिलाएं, किसान, एवं मजदूर वर्ग अनेकों बडे संगीन संघर्षों से झूझ रहे है. लोगों को रोज़गार देने के लिए ग्रामीण उद्योग, स्वावलम्बी बनने के लिए कृषि और विकास के वैकल्पिक नीतियों के लिए, जिससे कि एक स्थाई विकास के मॉडल सामने उभर सके, आज देश भर में संघर्ष खडे हो गए हैं. परन्तु ६०० सेज (स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन) या विशेष आर्थिक ज़ोन को पारित करके हमारी सरकार पूरे जोर से लोगों-पर-केन्द्रित विकास के मॉडल को कुचलने का पूरा प्रयास कर रही है. अनेकों SEZ न केवल अति-आवश्यक कृषि का नाश कर रहे हैं बल्कि प्राकृतिक धरोहर, लोगों के रोज़गार और जीवन-यापन भी नष्ट हो रहे हैं, और इन विस्थापित लोगों को पुनर-स्थापित भी नही किया जा रह है.

हमारे पास कोई विकल्प नही बचा है सिवाए इसके कि इस वैश्वीकरण की प्रक्रिया जिसकी वजह से एक लाख से अधिक किसानों को आत्मा-हत्या करनी पड़ी है, हालांकि इनको किसी भी तरीके से सुसाईड या आत्महत्या नही कहना चाहिऐ, ये साफ कत्ल है गरीब लाचार किसानों का ‘विकास’ के नाम पर, इस वैश्वीकरण की प्रक्रिया को चुनौती देने के अलावा कोई और विकल्प है ही नही.

दुर्भाग्य से जो मुख्य धारा की राजनीती पार्टी हैं, वह ये मानने के लिए तैयार नही है, क्योकि अधिकांश मुख्य धारा की राजनीती पार्टियों ने इम्पेरिअलिस्म, पूंजीवादी और पश्चिम की उपभोगता संस्कृति से समझौता कर लिया है. लोग स्वयम सवाल खडे कर रहे है और जवाब और समाधान भी ढूंढ रहे हैं क्योकि वह जानते हैं कि वह तभी जीवित रह सकते हैं सब वह मंविये संबंधों को, प्रकृति को, लोकतंत्र को और समाजवाद को जीवित रख सकेंगे. ऐसी परिस्थिति में, जरूरत है कि हमलोग देश भर में और देश के बाहर भी चल रहे जन आन्दोलनों को जोड़ दे. नंदीग्राम, महाराष्ट्र, गोया, उड़ीसा आदि में चल रहे आन्दोलनों से हमें नयी उम्मीद मिली है.

ये धयान में रखते हुए, जन आन्दोलनों के राष्ट्रीय समंवाए, एक्शन-२००७, नंदीग्राम, जंगल बचाओ आन्दोलन, समाजवादी जन परिषद, आदि ने मिल के एक मार्च निकलने का आह्वान किया है जो अनेकों प्रदेशों के जन आन्दोलनों जो जोड़ती हुई गुजरेगी.

नंदीग्राम, जो आज न केवल पूंजीवादियों के और सरकार के दबदबे के खिलाफ संघर्ष है बल्कि जन-हित में एक शहीद जैसा प्रतीक मात्र भी है, वहाँ से ये यात्रा या जत्था शुरू होगा.

नंदीग्राम से जत्था २६ जनवरी २००८ को शुरू होगा, और झारखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि से गुज़रता हुआ ४ फरवरी २००८ को गोरे, मुम्बई में खतम होगा.

आप सब से अनुरोध है कि भारी मात्र में इस जत्थे में शामिल हो. खासकर कि नंदीग्राम में, जब ये जत्था आरंभ होगा, विशेष निवेदन है कि शामिल होने का प्रयास कीजिए. २५ जनवरी की शाम तक कलकत्ता या २६ जनवरी की सुबह नंदीग्राम पहुचने की योजना बनाइये.

सम्पर्क:

सक्तिमान घोष- ०३३-२२१९६६८८

सुदिप्तो ०९४३३९७२६६२

  • कृषि जमी रक्षा कमिटी
  • भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमिटी
  • एक्शन २००७
  • नेशनल हव्केर्स फेडेरेशन
  • नर्मदा बचाओ आन्दोलन
  • नेशनल अलायंस ऑफ़ पीपुल'एस मोवेमेंट्स
  • नेशनल फिश वोर्केर्स फोरम
  • समाजवादी जन परिषद, मध्य प्रदेश
  • एक्विरा जमीं बचाओ संघर्ष समिति , लोनावाला , महाराष्ट्र
  • टाटा धरण ग्रस्त संघर्ष समिति, लोनावाला , महाराष्ट्र
  • धारावी, पथ बचाओ समिति , गोरे, मुम्बई
  • झारखण्ड क्रांतिकारी मजदूर उनिओं, बोकारो
  • जंगल बचाओ आन्दोलन, झारखण्ड
  • नगरी हक सुराषा समिति, पिम्परी चिन्चावत, महाराष्ट्र
  • उल्गुलन मंच , झारखण्ड

मुक्त श्रीवास्तव जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समंवाए

National Alliance of People's Movements

(NAPM)

Schedule

From Nadigram to Narmda to Gorai: Linking People & Struggles


26th Jan 2008

Yatra launch from Nandigram

Programme at Nandigram

Debjit, Sawapan Da , Saktiman Ghosh

By road

26th Jan 2008

Start form

Nandigram

Reach Singur

Stay over night

in Singur

27th January

Programme at Singur

In the morning

Leave for purulia in the afternoon

Reach Purulia

Programme at purulia in the evening

Start for Bokaro in the night

Anuradh Talwar

28th January

-

Reach bokaro in the morning

A full day programme at Bokaro

Stay over night in Bokaro

DC Gohain , Vishwanath Bagi

29th January

Start for Ranchi Early morning

Reach Ranchi late morning

A day prgramme in Ranchi

Go to Jamshedpur (90 km) by road and take a train for Raigarh

2810 HWH MUMBAI MAIL at 23.45

Sanjay Basu Malik

and Ghanshyam

30 January

Reach Raigarh at 4.59 in the morning

Programme at Raigarh

One can also take a train from Raigarh at 16.50 and reach Bilaspur at 20.15 ( train no- 3275)

Take a train from Bilaspur at 22.20 to Satana at by

88201 DURG GKP EXPRES

Gautam and others

By Train

31st January

Reach Satna at 6.15 and start for Rewa (50 Km) by road

Programme at in Rewa

Take a train from Satna at 23.15 to Khandawa by

9048 BGP SURAT EXP

Sunil Bhai and Subrat

By road / train

1st February

Reach Khandawa at 9.45 and start for Badwani from Khndawa

Reach Badwani

Meeting at Badwani and stay over night

Stay over Night

Medha Patkar

2nd February

reach Narmada Valley

Programme at Narmada Valley

Leave for Pune in the night

Medha Patkar and others

3rd February

Reach Pune in the morning

Programme at Pimpari , Chinchawat Pune

Leave for Gorai and stay overnight at Gorai

Maruti Bhapkar , Palekar ji and Prasad Bagve

By Road

4th February

Programme at Gorai

The Yatra Concludes

Chandrashekhar and Ulka mahajan

बंगला-बंगला बॉर्डर मार्च

बंगला-बंगला बॉर्डर मार्च
१ - १२ फरवरी २००८
२४ उत्तर पर्गानस से कोच बिहार तक

प्रिय मित्रों,
१ - १२ फरवरी २००८ के दौरान बंगला-बंगला बॉर्डर मार्च में आप सब शामिल होने के लिए आमंतरित हैं। यह भारत के पश्चिम बंगाल प्रदेश में आयोजित हो रही है।
यह मार्च जिला उत्तर २४ पर्गानस में घोजदंगा से आरंभ होगी और जिला कोच बिहार में च्यान्ग्रबंधा पर इसका समापन होगा. इस मार्च का jo मार्ग है वह भारत और बंगलादेश के बॉर्डर के बहुत निकट है।

११ फरवरी २००८ को एक तीन-राष्ट्रीय अधिवेशन होगा जिसमें भारत, बंगलादेश और पाकिस्तान के लोग शरीक होंगे, और १२ फरवरी २००८ को एन्क्लावे में, जो हर और से भारत और बंगलादेश से घिरा हुआ है, एक महा रैली का आयोजन होगा।

आब सब से निवेदन है कि इस मार्च में शामिल हों, हो सके तो पूरे समय के लिए वर्ना जिस भाग में आपको सहूलियत हो। आप सब तीन-देशों के लोगों के अधिवेशन में शामिल होने के लिए भी अमंतरित हैं। १२ फरवरी की रैली भी शामिल होने के लिए उपयुक्त रहेगी।

मानिक समज्दर - संयोजक
देबब्रता बिस्वास - अध्यक्ष

भारत बंगाल्देश और पाकिस्तान के लोगों का फोरम

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मार्च का रास्ता

१ फरवरी से १२ फरवरी २००८ तक

उत्तर २४ पर्गानस से कोच बिहार तक


1.02.08. २४ परगना (उत्तरी)

घोजदंगा , ताकि , बसिर्हत , स्वरुप नगर , बोंगों

2.02.08 - बग्दः , हलेंचा , सिन्ध्रानी .

3.02.08 - नदिया

दुत्तापुलिया , हंसखाली , भजन घटा , क्रिस्त्नगंज , मज्डिया , कृष्णानगर, चपरा , तेहत्ता , करीमपुर , शिकारपुर .

4.02.08 - मुर्शिदाबाद

जलंगी , शेख पर , रानी नगर , भागबंगोला , लालगोला , धुलियन , फर्रक्का ,

5.02.08 – मालदह

कलिअचक , मालदह , गजोल , हबिब्पुर ,

६.०२.08

बुल्बुल्चंदी , बमोंगोला , अम्तुलिघट , भिकाहर , पारदः , तपन ,

6.02.08 - दिनाजपुर (दाख्स्हीं )

लास्कर्बलापुर , जालघर , बलुर्घट , कमार्पारा , टोर , प्रिमोहिनी , हिल्ली ,

खपुर , पतिराम , गोपालगंज (2), गोपालगंज , फुलबारी , गंगारामपुर , बुनिअदपुर , कुश्मुन्दी / कलिअगंज , हल्दिबारी .

7.02.08 – दिनाजपुर (उत्तरी )

हेम्ताबाद , रैगंज , राष्कोया , सहपुर , इस्लामपुर

8.02.08 – सिलीगुरी

9.02.08 - जल्पैगुरी

फ़न्सिदेओअ , राजगंज बॉर्डर , जल्पैगुरी सदर सिमंता*.

१०.०२.०८ - कोच बिहार

मानिक गंज, च्यान्र्गाबंधा*,

११.०२.०८, सिटी, सिताल्दः, गुकरुर कुठी, चोव्धुरी हट, साहेबगंज, नज़िर्हत, शाल्घारा,

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सम्पर्क

मानिक समज्दर: ९३३९३१७७६१,हरिपदा बिस्वास: ९४३३०६२२३३,हाफिज आलम सैरानी: ९४३३००७०८६,रबिन्द्रनाथ चक्रबोर्टी: ९३३१९०३१५२,दिब्ककर भट्टाचार्य: ९४३३०९७३३६,सुबोध मित्र: ९४३४१७७१९७,समीर पुतुतुन्दा: ९४३३०८४६४४,सहादत अली: ९३१९५८६३८,प्रदीप सिंह ठाकुर: ९८३६७८४७६८

बंगलादेश – भारत - पाकिस्तान पीपुल's फोरम

२८.गुरुद्वारा रोड, न्यू डेल्ही ११० ००१

ईमेल: bbp_peoples_forum@hotmail.com

Phones: (+91) 011 23714131, 011 23352273,033 2528 0427

काकिनाडा में SEZ के लिए लोगों पर सरकार का जबरदस्त दबाव

काकिनाडा में SEZ के लिए लोगों पर सरकार का जबरदस्त दबाव


पिछले तीन दिनों से आंध्र प्रदेश के पूरबी गोदावरी जिलों में कोथापल्ली और थोंग्दंगी मंडल में सरकार द्वारा प्रायोजित भय और आतंक का माहौल छाया हुआ है। सरकार यहाँ पर SEZ (Special Economic Zone) या विशेष आर्थिक छेत्र स्थापित करने पट डटी हुई है।

रेवेनुए विभाग के अधिकारी, पुलिस, जमीन व्यापारियों के ब्रोकर या बिचोलिये जो जबरन लोगों की जमीनें खरीद रहे हैं और SEZ अधिकारियों के लिए जमीन को घेर रहे हैं।

aधिकारी लोगों को धमका रहे हैं, भ्रमित करने वाली जानकारी दे रहे हैं जिससे लोग जमीन बेचने के लिए विवश हो जाये।

यह के किसान जमीन हथियाने का प्रयास को निष्फल करते रहे हैं। पहले भी सरकार की भरसक कोशिश के बावजूद सितम्बर २००७ में किसानों ने जमीन पर कब्जा नही करने दिया था। यह के किसानों के पास प्रदेश के मनाव्धिकार आयोग का आर्डर या आदेश है जिसके मुताबित प्रदेश सरकार को कोई भी बहलाने फुसलाने जैसा अनुचित तरीका नही इस्तिमाल करना चाहिऐ जमीन पर कब्जा बनने के लिए। ११० किसानों ने प्रदेश के मनाव्धिकार आयोग में अफ्फिदावित दाखिल किये थे. ७ फरवरी २००८ को अगली सुनवाई है। जो पत्थर और खंभे अधिकारियों ने SEZ के लिए जमीन घेरने के लिए खडे किये थे, लोगों ने हटा दिए हैं और जबरदस्त रोष प्रकट किया है. यह के लोग २००५ से जबसे SEZ की बात हो रही है, तब से इसका भरसक विरोध किया हैं.

स्थानिये समाचार पत्रों के मुताबिक जो अधिकारियों द्वारा प्रभावित हैं और दबा में हैं, उनमे लोगों के खिलाफ खबर छाप रही है कि लोगों ने लाखों की प्रोपर्टी को नुकसान पहुचाया। भारतीय पेनल कोड के तहत सेक्शन १४८, ४४७, ४२७, ५०६, १४९ आदि के tahat सूर्य नारायण मुर्थी, नारायणा स्वामी और गंगा धर के खिलाफ केस दाखिल किया गए हैं। पुलिस सुबह ४ बजे उनके घर गयी और इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया. राजेंद्र, जो SEZ के खिलाफ बैठकों को आयोजित करता रह हैं, उसको भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और ३१ जनवरी २००८ तक जुदिसिअल रेमंड पर भेज दिया गया है। लगभग १५० किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

पूरबी गोदावरी जिले के दोनो मंडल में सेक्शन १४४ लागू कर दिया गया है। हर तरफ पुलिस भय और आतंक का वातावरण बनती दिखाई दे रही है। जमीन को घेरने का काम फिर से कायम हो गया है और कोई भी गाड़ी बाहर से अन्दर नही जा सकती है. जिला कलेक्टर का केगने है कि प्रदेश मनाव्धिकार आयोग ने ये नही खा है कि सरकार SEZ स्थापित करने के अपने काम को रोक दे और आगे न बढाये। जिला कलेक्टर के अनुसार जब सरकार शांति पूर्वक अपना काम कर रही है, लोग हिंसक होर रहे हैं और विरोध कर रहे हैं।

आन्ध्र प्रदेश सरकार का ये कायरता भरा और छल कपट भरा कार्य की नि:संदेह निंदा होनी चाहिऐ।

कृपया कर के अपने विरोध पत्र नीचे दिए गए सम्पर्क सूत्र पर भेजे और लोगों के लिए समर्थन जाहिर करें:

प्रदेश मनाव्धिकार आयोग
Fax No.: 040 24601573 (Chairperson Retd. Justice Subhashan Reddy)

Chief Secretary, Andhra Pradesh
Fax: 040 23453700

Chief Minister, Rajashekhar Reddy
Fax: 040 23452498, 23410555

Governor, A.P., Fax: 040 23312650

District Collector, East Godavari, Fax: 0844 2353480, e-mail: collector_eg@ap.gov.in

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय
सम्पर्क: राम कृष्ण राजू

Contact: Ram Krishna Raju, 09866887299, Pawan, 09490430944, 040 27228316

गोया में गैर-कानूनी तम्बाकू के विज्ञापन हटाये गए

गोया में गैर-कानूनी तम्बाकू के विज्ञापन हटाये गए

म्बाकू कंपनी के ऊपर कानूनी करवायी होगी

गोया में जिन तम्बाकू के विज्ञापनों से भारतीय तम्बाकू नियांतरण अधिनियम का उलंघन हो रहा था, वो १६ जनवरी २००८ की शाम तक हटा दिए गए हैं.

गोया में कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एवं मीडिया ने फोटो के साथ इस उलंघन का पर्दाफर्ष कर दीया था. “The Cigarette and other tobacco products Act” या सिगारेत्ते एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम एवं विज्ञापन से संबंधित रुलिंग्स का उलंघन हो रहा था.

जाहिर है कि दबाव के कारन तम्बाकू के एन विज्ञापनों को हटाया गया है.

“में बेहद खुश ह कि ये तम्बाकू के विज्ञापन हटा दिए गए हैं. परन्तु हम लोग तम्बकोऊ कंपनी गोद्फ्रे फिल्लिप्स को, देअलेर्स को, कोर्ट ले के जायेंगे, और उचित कानूनी करवाई करेंगे” कहा डॉ शेखर सलकर ने, जो NOTE India (नेशनल ओर्गानिज़शन फॉर तोबक्को एरादिकाशन) या तम्बाकू उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय संगठन के महा-सचिव हैं. “सभी कार्यकर्ताओं को सतर्क रहना चाहिऐ और यदि कही पर भी भारतीय कानून का उलंघन हो, तो जन-हित में तुरंत उचित करवाई करनी चाहिऐ, खासकर कि उन उद्योगपतियों के खिलाफ जो गैर-जिम्मेदार हैं”.

भारत में सिगारेत्ते एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ की रूलिंग जो तम्बाकू के विज्ञापन पर रोक लगाती है, १ जनवरी २००६ से लागू हो चुके है. इसके अनुसार यदि कोई उलंघन हो, तो भारत सरकार को एवं प्रदेश सरकार को बिना विलम्ब और सख्त करवायी करनी चाहिऐ.

एन रूल्स के अनुसार, तम्बाकू के हर उत्पादनों पर पूरे भारत वर्ष में रोक लग चुकी है. सिर्फ एक जगह तम्बाकू का सिग्न-बोर्ड लग सकता है, और वह है जहाँ तम्बाकू का विक्रय होता है, और उसका भी साइज़ निर्धारित कर दीया गया है और ये भी स्पष्ट किया गया है कि सिग्न-बोर्ड पर क्या लिखा जा सख्त है.

तम्बाकू की दुकान पर सिग्न-बोर्ड का साइज़ तय है, और उस पर चेतावनी के स्साथ सिर्फ ये लिखा जा सकता है कि किस प्रकार की तम्बाकू दुकान में बिकती है. इस सिग्न-बोर्ड पर न तो कोई भी तम्बाकू का ब्रांड-नेम, या कोई भी स्लोगन आदि जैसा संदेश या कोई अन्य तस्वीर लगाने की अनुमति नही है.

परन्तु गोया में फिलिप मौरिस के विज्ञापन इस रूलिंग का खुला उलंघन कर रहे थे.

“य हमारे कानून का खुला उलंघन है” कहा था वरिष्ट तम्बाकू नियांतरण कार्यकर्ता और नोट इंडिया (तम्बाकू उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय संगठन) के महा-सचिव डॉ शेखर सलकर का.

“भारतीय तम्बाकू नियांतरण अधिनियम के अनुसार तम्बाकू के विक्रय स्थान पर सिग्न-बोर्ड पर कोई भी तस्वीर लगाने की अनुमति नही है, परन्तु पणजी गोया में मुनिसिपल गार्डन के सामने होटल लुच्क्य के पास जो तम्बाकू के विज्ञापन लगे हैं उनपर तस्वीर भी है. ऐसा ही उलंघन हो रहा है उन विज्ञापनों से जो दव तालौलिकार हॉस्पिटल, खलाप मेंसिओं, वास्को, गोया में लगे हैं. इस कानून के मुताबिक तम्बाकू की दुकान पर सिर्फ ये लिखा जा सकता है कि यह सिगारेत्ते बिकती है” रिपोर्ट की थी डॉ सलकर ने.

“विश्व-व्यापी तम्बाकू नियांतरण त्रेअटी को लागू करने में सबसे बड़ी चुनौती दे रही हैं बड़ी तम्बाकू कम्पनियाँ जो जन-स्वास्थ्य नीतियों में हस्त-छेप करती हैं. फिलिप मौरिस या अल्त्रिया, ब्रिटिश अमेरिकन तोबक्को (BAT) और जापान तोबक्को (JT) तम्बाकू नियांतरण प्रयासों को कम्जूर, स्थगित और नकार करने में अपना राजनितिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं” ऐसा कहना है कार्पोरेट अच्कोउन्ताबिलिटी इंटरनेशनल (विश्व में उद्योगों को जवाबदेह ठहराने लिए संगठन) के कथ्य मुल्वेय का.

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सिगारेत्ते एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ की इस रूलिंग क इक भाग का हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है (त्रुटियों के लिए छमा):

१) पुराने तम्बाकू उत्पादनों के सारे विज्ञापन बोर्ड जो तम्बाकू की दुकान पर लगे हैं, उनको हटना होगा

२) तम्बाकू के विक्रिये स्थान पर जो विज्ञापन बोर्ड लगाने की अनुमति है, उसका साइज़ आकार निर्धारित है जो इस प्रकार है: बोर्ड ६० सेंटीमीटर क्ष ४५ सेंटीमीटर से बड़ा नही होना चाहिऐ. हर बोर्ड पर उपयुक्त चेतावनी होनी चाहिऐ, जो बोर्ड के उपरी भाग में लिखी गयी हो, और २० सेंटीमीटर क्ष १५ सेंटीमीटर साइज़ में हो. इस बोर्ड पर सिर्फ ये लिखा होना चाहिऐ कि किस प्रकार की तम्बाकू का विक्रय होता है और कोई भी ब्रांड नेम का लिखना, तस्वीर लगना या अन्य कोई भी संदेश लिखना वर्जित है.

३) तम्बाकू के विक्रय स्थल पर कोई भी तम्बाकू उत्पाद प्रदर्शित नही होना चाहिऐ.

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वर्त्तमान कानून के मुताबिक भारत सरकार को एवं प्रदेश सरकार को ‘बिना विलम्ब और सख्त’ करवाई करनी चाहिऐ.

ये तो समय ही बताएगा कि भारत सरकार जन-स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती है या तम्बाकू कंपनियों के मुनाफे की राजनीती को?

फिलिप मौरिस की भारतीय सुब्सिदिअरी ने तम्बाकू नियांतरणअधिनियम का उलंघन किया

फिलिप मौरिस की भारतीय सुब्सिदिअरी ने तम्बाकू नियांतरणअधिनियम का उलंघन किया

ोया में विश्व की सबसे बड़ी तम्बाकू कंपनी फिलिप मौरिस की भारतीय सुब्सिदिअरी ने तम्बाकू उत्पादनों के ऐसे विज्ञापन लगाएं हैं जो भारतीय तम्बाकू नियांतरण अधिनियम का खुला उलंघन करते हैं.

तम्बाकू कम्पनियाँ अनेकों देशों में जन-स्वास्थ्य वाले अधिनियमों को नकार रही हैं” कहना है डॉ डगलस बेत्चेर का, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के तोबक्को-फ्री इनितिअतिवे या ‘तम्बाकू मुक्ति के लिए पहल’ कार्यक्राम के निदेशक हैं.

भारत में सिगारेत्ते एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३की रूलिंग जो तम्बाकू के विज्ञापन पर रोक लगाती है, १ जनवरी २००६ से लागू हो चुके है. इसके अनुसार यदि कोई उलंघन हो, तो भारत सरकार को एवं प्रदेश सरकार को बिना विलम्ब और सख्त करवायी करनी चाहिऐ.

एन रूल्स के अनुसार, तम्बाकू के हर उत्पादनों पर पूरे भारत वर्ष में रोक लग चुकी है. सिर्फ एक जगह तम्बाकू का सिग्न-बोर्ड लग सकता है, और वह है जहाँ तम्बाकू का विक्रय होता है, और उसका भी साइज़ निर्धारित कर दिया गया है और ये भी स्पष्ट किया गया है कि सिग्न-बोर्ड पर क्या लिखा जा सख्त है.

तम्बाकू की दुकान पर सिग्न-बोर्ड का साइज़ तय है, और उस पर चेतावनी के स्साथ सिर्फ ये लिखा जा सकता है कि किस प्रकार की तम्बाकू दुकान में बिकत है. इस सिग्न-बोर्ड पर न तो कोई भी तम्बाकू का ब्रांड-नेम, या कोई भी स्लोगन आदि जैसा संदेश या कोई अन्य तस्वीर लगाने की अनुमति नही है.

परन्तु गोया में फिलिप मौरिस के विज्ञापन इस रूलिंग का खुला उलंघन करते हैं.”ये हमारे कानून का खुला उलंघन है” कहना है वरिष्ट तम्बाकू नियांतरण कार्यकर्ता और नोट इंडिया (तम्बाकू उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय संगठन) के महा-सचिव डॉ शेखर सलकर का.

भारतीय तम्बाकू नियांतरण अधिनियम के अनुसार तम्बाकू के विक्रय स्थान पर सिग्न-बोर्ड पर कोई भी तस्वीर लगाने की अनुमति नही , परन्तु पणजी गोया में मुनिसिपल गार्डन के सामने होटल लुच्क्य के पास जो तम्बाकू के विज्ञापन लगे हैं उनपर तस्वीर भी है. ऐसा ही उलंघन हो रह है उन विज्ञापनों से जो दव तालौलिकार हॉस्पिटल, खलाप मेंसिओं, वास्को, गोया में लगे हैं. इस कानून के मुताबिक तम्बाकू की दुकान पर सिर्फ ये लिखा जा सकता है कि यह सिगारेत्ते बिकती है” कहना है डॉ सलकर का.

विश्व-व्यापी तम्बाकू नियांतरण त्रेअटी को लागू करने में सबसे बड़ी चुनौती दे रही हैं बड़ी तम्बाकू कम्पनियाँ जो जन-स्वास्थ्य नीतियों में हस्त-छेप करती हैं. फिलिप मौरिस या अल्त्रिया, ब्रिटिश अमेरिकन तोबक्को (बात) और जापान तोबक्को (जत) तम्बाकू नियांतरण प्रयासों को कम्जूर, स्थगित और नकार करने में अपना राजनितिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं” ऐसा कहना है कार्पोरेट अच्कोउन्ताबिलिटी इंटरनेशनल (विश्व में उद्योगों को जवाबदेह ठहराने लिए संगठन) के कथ्य मुल्वेय का.

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सिगारेत्ते एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ की इस रूलिंग क इक भाग का हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है (त्रुटियों के लिए छमा):

१) पुराने तम्बाकू उत्पादनों के सारे विज्ञापन बोर्ड जो तम्बाकू की दुकान पर लगे हैं, उनको हटना होगा

२) तम्बाकू के विक्रिये स्थान पर जो विज्ञापन बोर्ड लगाने की अनुमति है, उसका साइज़ आकार निर्धारित है जो इस प्रकार है: बोर्ड ६० सेंटीमीटर क्ष ४५ सेंटीमीटर से बड़ा नही होना चाहिऐ. हर बोर्ड पर उपयुक्त चेतावनी होनी चाहिऐ, जो बोर्ड के उपरी भाग में लिखी गयी हो, और २० सेंटीमीटर क्ष १५ सेंटीमीटर साइज़ में हो. इस बोर्ड पर सिर्फ ये लिखा होना चाहिऐ कि किस प्रकार की तम्बाकू का विक्रय होता है और कोई भी ब्रांड नेम का लिखना, तस्वीर लगना या अन्य कोई भी संदेश लिखना वर्जित है.

३) तम्बाकू के विक्रय स्थल पर कोई भी तम्बाकू उत्पाद प्रदर्शित नही होना चाहिऐ.

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अभी जनता पूरी तरह भारत के तम्बाकू नियांतरण अधिनियम के बारे में जागरूक नही है, और तम्बाकू से होने वाले जान लेवा कु-प्रभावों को भी अक्सर नज़र-अंदाज़ करती है. अव्शय्कता है सामाजिक संगठनों को सरकार के साथ मिल कर जिम्मेदारी लेना का कि वे सतर्कता के साथ तम्बाकू कंपनियों पर नज़र रखेंगी कि वो उलंघन करें, और यदि ऐसा हो, तो डॉ सलकर की तरह, चुस्ती से सरकार के साथ मिलकर तम्बाकू कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया जाये और कानून के तहत उचित करवायी की जाये कहा प्रोफेस्सर डॉ राम कान्त ने जो एक लंबे अरसे से तम्बाकू नियांतरण पर कार्यरत हैं और नोट इंडिया के साथ भी जुडे रहे हैं.

वर्त्तमान कानून के मुताबिक भारत सरकार को एवं प्रदेश सरकार को ‘बिना विलम्ब और सख्त’ करवाई करनी चाहिऐ.

ये तो समय ही बताएगा कि भारत सरकार जन-स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती है या तम्बाकू कंपनियों के मुनाफे की राजनीती को?

तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो-वाली चेतावनी एक बार फिर स्थगित

तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो-वाली चेतावनी एक बार फिर स्थगित

तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो वाली चेतावनी को एक बार फिर से विलंबित कर दिया गया है, जिस पर अनेकों कार्यकर्ताओं ने तम्बाकू उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय संगठन (National Organization for Tobacco Eradication NOTE INDIA) के तत्वाधान रोष व्यक्त किया है.

हालांकि The Cigarette and other tobacco products Act 2003 या तम्बाकू एवं अन्य उत्पाद अधिनियम २००३ को पारित हुए लगभग ५ साल होने को हैं, परन्तु किसी न किसी कारणवश इसके अनेकों जन-स्वास्थ्य के लिए समर्पित कानून अभी तक नही लागू हो पा रहे हैं. इनमे से एक है, तम्बाकू के हर तरह के उत्पाद पर फोटो वाली चेतावनी छापना.

एन जन-स्वास्थ्य हिताशी कानूनों को लागू करने में कोई देरी नही होनी चाहिऐ, ऐसा कहना है शिमला हाई कोर्ट का और अनेकों सामाजिक संगठनों का जिसको भारत सरकार ने एक बार फिर नज़र-अंदाज़ कर दिया है और कानून को लागू करने की तिथि फिर विलंबित कर दी है. ये चौथी बार है कि भारत सरकार ने इसको लागू करने की तिथि तो पुनः विलंबित कर दिया है. पहले हर तम्बाकू उत्पाद पर ये फोटो वाली चेतावनी १ जून २००७ से कानूनन जरूरी हो जानी चाहिऐ थीं.

तम्बाकू से असौतन १० लाख लोग भारत में प्रति वर्ष मृतु को प्राप्त होते हैं. आने वाले बीस सालों में ये तम्बाकू जनित मृतु दर २० लाख तक पहुचने का अंदेशा है. न केवल शहरों में बल्कि ग्रामीण छेत्रों में एवं विशेषकर कि आर्थिक रुप से कम्जूर वर्ग को तम्बाकू का सबसे भ्यावाही प्रकोप झेलना पड़ता है.

ऐसा अनुमान है कि तम्बाकू कम्पनियाँ बड़ी चतुराई से भारत सरकार की नीतियों को अपने बाज़ार के हित में प्रभावित कर लेटी हैं.

तम्बाकू कंपनियों की एवं भारत सरकार की ये जिम्मेदारी बनती है कि जनता तक तम्बाकू से होने वाले तमाम स्वास्थ्य पर कु-प्रभावों के बारे में पूरी जानकारी दे.

लगता है कि भारत सरकार को तम्बाकू कंपनियों ने बड़ी चतुराई से ये समझा दिया है कि फोटो वाली चेतावनी से तम्बाकू का सेवन करने वालों की संख्या कम हो जायेगी जिसका सीधा असर झेलना पड़ेगा तम्बाकू की खेती करने वाले किसानों को जो बे-रोजगार हो जायेंगे. जब कि तमाम शोध ये सिद्ध करते हैं कि ऐसा नही होगा क्योकि तम्बाकू का सेवन करने वाले लोगों की संख्या में कमी आने वाले २० सालों में धीरे-धीरे आएगी और बढ़ती जन-संख्या से ये प्रभाव और भी कम हो जाएगा.

अनेकों शोध ये भी प्रमाणित करते हैं कि तम्बाकू के उत्पादनों पर फोटो वाली चेतावनी लगाने से विशेषकर बच्चों और युवाओं पर, खासकर कि जो पढे लिखे नही हैं, उनको तम्बाकू-जनित कु-प्रभावों के बारे में सही जानकारी मिलेगी.

अनेकों विकास-शील देशों में फोटो वाली चेतावनी को लागो कर दिया गया है, जैसे कि थाईलैंड, सिंगापुर, ब्राजील, चिले, साउथ अफ्रीका एवं अन्य.

भारत के प्रधान मंत्री ने एक उच्च-स्तारिये मंत्रियों का समूह बनाया है जो इस मुद्दे पर विशेष ध्यान दे. इस मंत्रियों के समूह में शामिल हैं: एक्स्तेर्नल अफेयर्स मंत्री श्री प्रणब मुख़र्जी, पर्लिअमेंतारी अफेयर्स मंत्री श्री प्रियरंजन दासमुंशी, उर्बन देवेलोप्मेंट मंत्री श्री जैपाल रेड्डी, कोम्मेर्स मंत्री श्री कमल नाथ, श्रम एवं रोज़गार मंत्र श्री ऑस्कर फेर्नान्देस, एवं केन्द्रिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ अम्बुमणि रामादोस.

ऐसा अनुमान है कि ये मंत्रियों का समूह तम्बाकू कंपनियों के हित के लिए संवेदनशील होगा, और न कि लोगों के हित के लिए क्योकि उदाहरण के लिए प्रणब मुख़र्जी की संसदिये छेत्र में बीडी उद्योग व्याप्त है, आंध्र प्रदेश जहाँ जो जैपाल रेड्डी का चुनाव छेत्र है, वहाँ भी तम्बाकू की खेती होती है.

हर तम्बाकू उत्पाद पर फोटो वाली चेतावनी लगाने से तम्बाकू का व्यापर एकदम से कम नही हो जाएगा. तम्बाकू कंपनियों के पास और तम्बाकू की खेती करने वाले किसानों के पास काफी समय है या तो किसी और फसल की खेती आरंभ कर ले या किसी और व्यापर में निवेश कर ले.

तम्बाकू जनित मृतु दर को नाकारा नही का सकता.

भारत सरकार से अनुरोध है और आशा भी कि वो जन हित में और जन-स्वास्थ्य को प्राथमिकता देगी और न कि तम्बाकू कम्पनियों के हित को.

(ये प्रेस विज्ञप्ति डॉ शेखर सलकर, महा-सचिव, नोट इंडिया, ने जारी की है. फ़ोन सम्पर्क: ९८२२४८५७६९ और ईमेल: sssalkar@yahoo.com)