“हमारे परिप्रेक्ष्य में विश्व टीबी रिपोर्ट 2012 के क्या मायने हैं?” नामक रिपोर्ट हिन्दी एवं अँग्रेजी भाषाओं में प्रख्यात सर्जन एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त द्वारा विमोचित हुई। यह रिपोर्ट, “सीएनएस दृष्टिकोण” शृंखला के अंतर्गत जारी की गयी है जो स्वास्थ्य से जुड़े सामयिक प्रकाशनों का हमारे परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण प्रस्तुत करती है। इस रिपोर्ट में, विश्व टीबी रिपोर्ट 2012 को पढ़ कर भारत के पुनरीक्षित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम, पूर्व वर्षों में जारी हुई टीबी रिपोर्टों और स्टॉप-टीबी ग्लोबल प्लान 2011-2015 के परिप्रेक्ष्य में सीएनएस द्वारा विश्लेषण किया गया है। इसको सीएनएस संपादिका शोभा शुक्ला ने बंगलुरु की भारती घनश्याम, बाबी रमाकांत, राहुल द्विवेदी और रितेश आर्या के साथ लिखा है और स्वास्थ्य को वोट अभियान, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस (सीएनएस), जर्नलिस्ट्स अगेन्स्ट टीबी, हेल्थ राइटर्स, आशा परिवार, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, और ग्लोबल स्टॉप-टीबी ई-फोरम ने संयुक्त रूप से प्रकाशित किया है।
पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त ने सुप्रीम कोर्ट निर्णय की समालोचना की
[English] हाल ही में सेवा-निवृत्त हुए केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी लखनऊ में सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की समालोचना की जिसमें कि सूचना आयुक्त का न्यायिक पृष्ठभूमि से होना अनिवार्य किया गया है और सब सुनवाई 2 सूचना आयुक्त की बेंच द्वारा होना (2 में से 1 सूचना आयुक्त कम-से-कम न्यायिक पृष्ठभूमि का हो) भी अनिवार्य किया गया है। उन्होने वाजिब तर्क दिये कि सूचना आयोग में क्यों न्यायिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति का होना अनिवार्य नहीं होना चाहिए। उनका तर्क था कि सूचना आयोग को सिर्फ यह निर्णय लेना होता है कि सूचना देनी है या नहीं।
टीबी-डायबिटीज का बढ़ता प्रकोप
शोध से यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि डायबिटीज का सम्बंध टीबी रोग से है। शोध के अनुसार डायबिटीज होने पर टीबी रोग के होने का खतरा 3 गुना बढ़ जाता है, और यदि व्यक्ति तंबाकू सेवन या धूम्रपान करता हो, तो टीबी रोग होने का खतरा 5 गुना तक बढ़ जाता है। डायबिटीज एक ऐसी भयंकर रोग है जिसमें रक्त में शर्करा की मात्रा बहुत बढ़ जाती है, क्योंकि या तो शरीर में रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने वाले इंसुलिन नामक हार्मोन का निर्माण बंद हो जाता है या इंसुलिन हार्मोन अपने कार्य को ठीक से नहीं कर पाता है। सम्पूर्ण विश्व में लगभग 3660 लाख लोग डायबिटीज के साथ जीवन यापन कर रहे हैं, जिसमें से 90% वयस्क द्वितीय प्रकार की डायबिटीज से ग्रस्त है। वर्ष 2011 में पूरे विश्व में लगभग 46 लाख लोग डाइबेटीज़ जनित रोगों के कारण मृत्यु का शिकार हुए, जिनमे से 80% लोग निम्न व मध्यम आय वाले देशों से थे, और 2030 तक यह संख्या दुगुनी हो सकती है।
मधुमेह और तपेदिक (टीबी) स्वास्थ्य कार्यक्रमों में समन्वयन जरूरी
अनेक मजबूत शोध और आंकड़े यह प्रमाणित करते हैं कि मधुमेह (डाइबिटीस) और तपेदिक (टीबी) सह-रोगों में सीधा संबंध है। मधुमेह और टीबी सह-रोगों से जूझ रहे लोगों की संख्या इतनी है कि यह जरूरी हो गया है कि मधुमेह और टीबी स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भी आवश्यक समन्वयन हो। इंटरनेशनल यूनियन अगेन्स्ट टीबी अँड लंग डीसीज (द यूनियन) के वरिष्ठ सलाहकार प्रोफेसर (डॉ) एंथनी हैरिस ने कहा कि जैसे एच0आई0वी0 और टीबी सह-संक्रमण एक चुनौती है उसी तरह से यदि पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए तो मधुमेह से भी टीबी महामारी में बढ़ोतरी हो सकती है। डॉ हैरिस, सी-ब्लॉक चौराहा, इन्दिरा नगर स्थित प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त केंद्र पर वेबिनार द्वारा मीडिया संवाद को संबोधित कर रहे थे। इस मीडिया संवाद को स्वास्थ्य को वोट अभियान, आशा परिवार, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस और जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय ने आयोजित किया था।
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