बिना एकीकृत स्वास्थ्य (वन हेल्थ) के महामारियाँ चुनौती देती रहेंगी
बिना हेपटाइटिस नियंत्रण के कैसे मिलेगी सबको स्वास्थ्य सुरक्षा?
9वीं कोविड वैक्सीन "कोवोवैक्स" को डबल्यूएचओ ने दी संस्तुति: टीकाकरण बढ़ेगा या बूस्टर लगेगी?
तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप से मुक्त होने का घोषणापत्र क्यों है सरकारों के लिए ज़रूरी
वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की बैठकों में सरकारों ने गत वर्षों में मजबूरन निर्णय लिया कि चूँकि तम्बाकू उद्योग इन बैठकों में जन स्वास्थ्य नीति में निरंतर हस्तक्षेप करता रहा है और जन हितैषी नीतियों को बनने में एक बड़ा अड़ंगा है, इसलिए जन स्वास्थ्य नीति में उद्योग के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसीलिए सरकारों ने 2008 में वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया और आर्टिकल 5.3 की मार्गनिर्देशिका पारित की। पर बीबीसी समेत अनेक ऐसे रिपोर्ट ने खुलासा किया कि तम्बाकू उद्योग चूँकि अब सीधे तौर पर बैठक में नहीं हस्तक्षेप कर पा रहा तो अनेक अन्य हथकंडे अपना रहा है जैसे कि सरकारी दल कि सदस्यों को रिश्वत देना आदि।
दवाएँ कारगर नहीं रहीं और रोग लाइलाज हो गए तो कैसे होगी स्वास्थ्य सुरक्षा?
78 शहरों के स्थानीय नेतृत्व ने एकीकृत और समन्वित स्वास्थ्य नीति को दिया समर्थन
[English] एशिया पेसिफ़िक़ क्षेत्र के 78 शहरों के महापौर और अन्य स्थानीय नेतृत्व और अधिकारियों ने एकीकृत और समन्वित स्वास्थ्य नीति और कार्यक्रम को समर्थन दिया। 12 देशों के 78 शहरों से यह 800 से अधिक स्थानीय नेतृत्व प्रदान कर रहे प्रतिभागी, 7 दिसम्बर 2021 को सम्पन्न हुए 6वें एपीकैट महासम्मेलन में भाग ले रहे थे।
जब एचआईवी पोज़िटिव लोग सामान्य ज़िंदगी जी सकते हैं तो फिर 2020 में 680,000 लोग एड्स से मृत क्यों?
दक्षिण अफ़्रीका से रिपोर्ट हुए 'ओमिक्रोन' कोरोना वाइरस के ज़िम्मेदार हैं अमीर देश
दवा प्रतिरोधकता, खाद्य सुरक्षा, पशुपालन, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य में क्या है सम्बन्ध?
यदि दवाएँ कारगर नहीं रहीं तो साधारण रोग भी हो जाएँगे घातक
मील का पत्थर 1 अरब टीका नहीं बल्कि सभी पात्र लोगों का पूरा टीकाकरण है
म्यांमार में सारे तम्बाकू उत्पाद पर होगी "प्लेन पैकिजिंग"
दवा प्रतिरोधकता: सोचें यदि टीबी, एचआईवी दवायें कारगर न रहीं तो क्या होगा?
दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन अत्यंत महत्वपूर्ण पर रोग उन्मूलन के लिए काफ़ी नहीं
वायु प्रदूषण अधिक ज़हरीला: 6 प्रदूषकों की अधिकतम सीमा घटी वरना जानलेवा ख़तरा
कोविड महामारी पर रोक लगाने के लिए रोज़ाना 1 करोड़ टीकाकरण है ज़रूरी
अमीर-ग़रीब में भेदभाव रहेगा तो कैसे कोविड महामारी का अंत होगा?
113 साल पहले 1918 में वैश्विक महामारी से जितने लोग अमरीका में मृत हुए थे उससे ज़्यादा वहाँ पर अब कोविड से मृत हो चुके हैं। अमरीका जैसे साधन सम्पन्न राष्ट्र का यह हाल है तो अन्य विकासशील देशों में स्वास्थ्य सुरक्षा की कल्पना कीजिए कि महामारी ने कितनी वीभत्स मानवीय त्रासदी उत्पन्न की है। यह बात सच है कि कोरोना वाइरस के कारण जान गयी हैं परंतु यह भी कटु सत्य है कि कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली, ग़ैर बराबरी वाली व्यवस्था के कारण भी अनेक जाने गयी हैं। कहीं लोग अस्पताल में भर्ती न होने के कारण मृत हुए तो कहीं ऑक्सिजन न मिल पाने के कारण। हर इंसान के लिए सशक्त जन स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सुरक्षा कितनी ज़रूरी है यह हमने सीखने में सदियाँ लगा दी हैं।
विकास ही सबसे अच्छा गर्भ-निरोधक है
सामाजिक न्याय और पर्यावरण के लिए जो हितकारी नहीं वह लक्षद्वीप का 'विकास' नहीं
क्यों सरकारों ने अधिकतम गति सीमा 30 किमी प्रति घंटे करने का वादा किया है?
क्या कर रहे हैं करोना काल में भाजपा नेता
जब लखनऊ के कुछ अस्पतालों ने ऑक्सीजन की कमी की सूचना अपनी दीवारों पर चिपकाई तो उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री ने 24 अप्रैल 2021 को चेतावनी दी कि जो लोग अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की अफवाह फैलाएंगे उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की जाएगी और उनकी सम्पत्ति जब्त की जाएगी। इससे पहले प्रदेश के विधि मंत्री बृजेश पाठक ने अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य को एक पत्र लिख कर शिकायत की कि कोविड की जांच आख्या मिलने में 4 से 5 दिन का समय लग रहा है, प्रदेश में पर्याप्त जांच की सुविधा नहीं है और अधिकारी फोन नहीं उठाते। स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत करने पर जब फोन उठाते भी हैं तो उनसे जनता को कोई मदद नहीं मिलती। उन्होंने यह भी बताया कि लखनऊ के जाने माने इतिहासकार योगेश प्रवीण के लिए जब उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को एम्बुलेंस हेतु फोन किया तो भी एम्बुलेंस आई नहीं और योगेश प्रवीण की मौत हो गई। मोहनलालगंज से भारतीय जनता पार्टी के सांसद कौशल किशोर यह कहते हुए कि चुनाव से ज्यादा जरूरी लोगों की जान बचाना है चुनाव आयोग से उ.प्र. पंचायत चुनाव टालने की अपील कर चुके थे। कौशल किशोर ने यह भी आरोप लगाया कि लखनऊ के प्रतिष्ठित किंग जार्ज चिकित्सीय विश्वविद्यालय के श्वसन चिकित्सा विभाग में 100 के ऊपर ऑक्सीजन के साथ शैय्या व छह शैय्या आई.सी.यू. में खाली पड़ी हैं और मरीज ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पास के ही बलरामपुर अस्पताल में 20 में से सिर्फ 5 वेंटीलेटर काम में लिए जा रहे हैं क्योंकि वहां वेंटीलेटर संचालन हेतु तकनीकी रूप से प्रशिक्षित कर्मचारी ही नहीं हैं। मरीजों को ऑक्सीजन न मिलने की स्थिति में उन्होंने धरना तक देने की चेतावनी दी। कौशल किशोर के बड़े भाई का आखिर में किंग जार्ज चिकित्सीय विश्वविद्यालय में ऑक्सीजन की कमी के कारण ही निधन हो गया। इन दोनों भाजपा नेताओं ने बोलने की हिम्मत दिखाई क्योंकि शायद वे अन्य राजनीतिक दलों जैसे बहुजन समाज पार्टी या भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की पृष्ठभूमि से आते हैं। यदि वे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आते तो शायद सरकार की छवि की उन्हें ज्यादा चिंता होती।
यदि अस्थमा प्रबंधन सही हो तो सामान्य जीवन संभव है
भय व प्रलोभन की राजनीति
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इण्डिया, जो भारत की दो में से एक कोविड के टीके बनाने वाली कम्पनी है, के मालिक अडार पूनावाला ने एक ट्वीट कर कहा है कि राज्य सरकारों को टीके बेचने की दर रु. 400 प्रति टीके से घटा कर रु. 300 कर वे सरकार के हजारों करोड़ रुपए बचा रहे हैं और अनगिनत लोगों की जानें। सीरम इंस्टीट्यूट को ऑक्सफ़ोर्ड-एसट्राजेनेका द्वारा शोध कर यह टीका बनाने के लिए दिया गया था। ऑक्सफ़ोर्ड-एसट्राजेनेका ने कह दिया था कि वह इस जीवनरक्षक टीके पर कोई मुनाफा नहीं कमाएंगे क्योंकि इस शोध में 97 प्रतिशत पैसा जनता का लगा था। अडार पूनावाला पहले इसे रु. 1000 प्रति टीका बेचना चाहते थे। सरकार ने रु. 250 की ऊपरी सीमा तय की तो सीरम इसे रु. 210 प्रति टीका बेचने को तैयार हुआ। बाद में इसका दाम घटा कर रु. 150 कर दिया। अडार पूनावाला ने माना है कि इस दर पर भी वे मुनाफे में हैं। फिर उन्होंने घोषणा कर दी कि 1 मई 2021 से, जब यह टीका 18 से 44 वर्ष आयु वालों को भी लगने लगेगा, वह केन्द्र सरकार को तो उसी दर पर देंगे लेकिन राज्य सरकारों को रु. 400 पर व निजी अस्पतालों को रु. 600 में। निर्यात की दरें अलग होंगी लेकिन मुख्य बात यह है कि पूरी दुनिया में यह टीेका भारत में ही सबसे महंगा होगा। काफी हंगामा होने के बाद अब उन्होंने राज्य सरकारों के लिए दर घटाई है।
सरकार सभी स्वास्थ्य सेवा का राष्ट्रीयकरण करे, और बीमारी से मुनाफाखोरी बंद करे
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) की मांग है कि जन स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के ऊपर मंडराते खतरे से निबटने के लिए, मोदी सरकार, बिना विलम्ब सभी स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवा का राष्ट्रीयकरण करे. हमारी यह भी मांग है कि 2018 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और न्यायाधीश अजीत कुमार के आदेश का तुरंत अनुपालन किया जाए जिसमें स्पष्ट निर्देश था कि जो लोग सरकार से तनख्वाह पाते हैं वह और उनके परिवार जन, सरकारी स्वास्थ्य सेवा ही इलाज करवाएं. इस आदेश को लागू करने से ही सरकारी स्वास्थ्य सेवा सशक्त होगी और सबका लाभ होगा.
राम राज्य में राम भरोसे
जबकि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का सारा घ्यान पश्चिम बंगाल, असम व उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों में लगा हुआ था अचानक देश कोरोना वायरस के दूसरे प्रकोप का शिकार हो गया। बताते हैं कि यह पिछले साल वाले प्रकोप के वायरस का एक बदला हुआ संस्करण है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि पहले वाले से ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इसमें संक्रमित लोगों की एवं मरने वालों की तादाद पिछले साल से कहीं ज्यादा नजर आ रही है। लोग तो जैसे तैसे निपट रहे हैं लेकिन राजनीतिक नेतृत्व ने तय किया है कि जनता की जान को जोखिम में डालकर भी वह चुनाव तो स्थगित नहीं करेगी जबकि नरेन्द्र मोदी ने खुद हरिद्वार में कुम्भ स्थगित करने का सुझाव दिया। ऐसा सुझाव उन्होंने चुनाव आयोग को क्यों नहीं दिया?
तम्बाकू महामारी के अंत के लिए क्यों है ज़रूरी अवैध तम्बाकू व्यापार पर रोक?
जीवन रक्षक दवाओं पर अनिवार्य-लाइसेंस की मांग जिससे कि जेनेरिक उत्पादन हो सके
भू-अधिकार उसी का है जो खेती-मजदूरी करे
सड़क सुरक्षा के लिए सरकारों का वादा: अधिकतम गति सीमा 30 किमी/घंटा हो
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ़ और लोकतंत्र के लिए जुट रहा वैश्विक समर्थन
[English] दुनिया के अनेक देशों से सैंकड़ों जन संगठनों ने म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट के खिलाफ़ आवाज़ उठाई है और लोकतंत्र स्थापित करने की मांग की है. एक संयुक्त ज्ञापन में 1 फरवरी 2021 को हुए म्यांमार (बर्मा) में सैन्य तख्तापलट की निंदा की गयी और पुन: लोकतान्त्रिक व्यवस्था कायम करने की मांग की गयी है.
बाज़ार-समाधान से हो रही हैं सड़कें असुरक्षित
बगिया के सभी फूल सुन्दर हैं: सतत विकास के लिए लैंगिक समानता ज़रूरी
सरकार को वायु प्रदूषण, रोके जाने वाले रोगों और असमय होने वाली मौतों के लिए बड़े प्रदूषकों को ज़िम्मेदार ठहराना होगा
संदीप पांडे, शोभा शुक्ला, और बॉबी रमाकांत द्वारा लिखित
भारत में 2019 में 16 लाख से अधिक लोग मारे गए वायु प्रदुषणद लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ के अनुसार देश में होने वाली कुल मौतों में से 17 · eight प्रतिशत के लिए लेखांकन। वैश्विक स्तर पर समय से पहले मौत के लिए वायु प्रदूषण चौथा प्रमुख जोखिम कारक था, 2019 में अकेले 6.67 मिलियन से अधिक के साथ सभी मौतों का लगभग 12 प्रतिशत का लेखा-जोखा, ग्लोबल एयर रिपोर्ट 2020 की स्थिति को दर्शाता है। इन मौतों में से प्रत्येक को रोका जा सकता था: और वायु प्रदूषण से होने वाली हर बीमारी को रोका जा सकता था।