सचिन को आदर्श स्वीकार करने की मजबूरी

डॉ संदीप पाण्डेय - सीएनएस 
सचिन तेण्डुलकर का महिमामण्डन सम्पन्न हुआ। सरकार ने बहती गंगा में हाथ धोते हुए उन्हें भारत रत्न भी दे डाला। कोई इस पर सवाल न खड़ा करे इसलिए प्रख्यात वैज्ञानिक सी.एन.आर. राव को भी साथ में यह सम्मान दिया गया। खेल जगत से पहली बार किसी व्यक्ति को यह सम्मान मिला। सवाल यह है कि क्या खेल या मनोरंजन क्षेत्र के लोगों को ये सम्मान देकर या उन्हें संसद में सदस्य नामित कर हम यह संदेष नहीं दे रहे कि समाज में वास्तविक आदर्श व्यक्तित्व का अकाल पड़ गया है।

एचआईवी के साथ जीवित लोगों को सह-संक्रमणों का गम्भीर खतरा

बॉबी रमाकांत - सीएनएस
एचआईवी के साथ जीवित लोगों को सरकार द्वारा नि:शुल्क एंटी-रेट्रोवाइरल दवायेँ तो मुहैया हो रही हैं पर सह-संक्रमणों का खतरा बढ़ रहा है। तपेदिक या टीबी, हेपटाइटस-सी वाइरस, हेपटाइटस-बी वाइरस, मधुमेह, हृदय रोग, पक्षघात, गुर्दे से जुड़ी बीमारियाँ, आदि एचआईवी के साथ जीवित लोगों में घातक रूप ले सकती हैं, कहना है शोभा शुक्ला का जो सीएनएस एवं आशा परिवार के स्वास्थ्य को वोट अभियान से जुड़ी हैं।

गांधी जयंती पर सांप्रदायिक ताकतों को उखाड़ फेकने के लिए संपन्न हुई आमसभा

[फोटो] [English] 2 अक्टूबर को अहिंसा के पुजारी पूज्य महात्मा गांधी जी के जन्मदिवस के अवसर पर अनेक धर्मनिरपेक्ष दलों, बुद्धिजीवियों और आम जनता ने सांप्रदायिक ताकतों को उखाड़ फेकने के लिए, विधान सभा के सामने आयोजित आम सभा में भाग लिया। "ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सनमति दे भगवान" पंक्तियों से सभा का आरंभ हुआ।

महिला एवं बच्चों पर केन्द्रित होगा इस साल का विश्व हृदय दिवस

डा ऋषि सेठी, 
ह्रदय रोग विभाग, केजीएमयू
२९ सितम्बर को मनाये जाने वाले विश्व ह्रदय दिवस की इस बार की थीम कार्डियो वास्कुलर (हृदय-वाहिनी) रोग की रोकथाम और नियंत्रण पर केद्रित है---- विशेषकर महिलाओं और बच्चों के सन्दर्भ में. केजीएमयू के ह्रदय रोग विभाग के असोसिएट प्रोफ़ेसर डा ऋषि सेठी, के अनुसार, "यह एक भ्रान्ति है कि ह्रदय रोग एवं स्ट्रोक केवल अमीर और वृद्ध पुरुषों को ही होते हैं."

अधिक लोगों की हो सकेगी 2 घंटे के अंदर टीबी की पक्की जांच

2 घंटे के अंदर टीबी की पक्की जांच और 'रीफ़ेंपीसीन' दवा प्रतिरोधकता की जांच अब अधिक लोग करा सकेंगे क्योंकि अनेक "जीन एक्सपर्ट" मशीन भारत एवं अन्य देशों में लग रही हैं। 'यूनिटऐड' नमक संस्था ने विश्व में सबसे अधिक संख्या में जीन एक्सपर्ट मशीन लगाने का कदम उठाया है जिससे अनुमान है कि 62,000 जीवन टीबी से बचाए जा सकेंगे।

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण

[English] सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), रिहाई मंच और जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, जैसे ही यह प्रतीत होना शुरू हुआ कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने ८४ कोसी परिक्रमा से निपटने के लिए सराहनीय कदम उठाये हैं और मुसलमानों की नज़रों में उनका कद कुछ ऊँचा हुआ, वैसे ही मुज़फ्फरनगर में दंगे शुरू हो गए. इन दंगों ने सपा सरकार की छवि पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है.

स्वास्थ्य नीति में तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप को रोकने के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला

प्रदेश एवं जिले तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ एवं स्वास्थ्य को वोट अभियान द्वारा जन स्वास्थ्य नीति में तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप के मुद्दे पर बलरामपुर अस्पताल के सभागार में 7 सितंबर को प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की जा रही है।

खून की वह विनाशकारी उल्टी....

[English] यह घटना 1997 की है। उत्तराखंड के रामगढ़ जिले में पुलिस विभाग में ड्राइवर के पद पर नियुक्त, 48 वर्षीय दीपक अपनी पत्नी और 3 बच्चों के साथ एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा था। तभी अचानक एक दिन उसे खून की उल्टी हुई। डॉक्टर ने उसकी छाती के एक्स-रे के  आधार पर उसे बताया कि उसे फेफड़े की टीबी है। मुफ्त टीबी इलाज के सरकारी कार्यक्रम डॉट्स (डाइरेक्ट्ली ओब्सर्वड ट्रीटमंट,शॉर्ट-कोर्स) के अंतर्गत दीपक ने 6 महीने तक अपना टीबी उपचार कराया  जिससे उसकी तबीयत में काफी सुधार आया। इलाज पूरा करने के बाद वह डेढ़ साल तक बिलकुल ठीक रहा। इसी बीच उसका तबादला रामगढ़ से उत्तर काशी हो गया। वहाँ उसकी तबीयत एक बार फिर से ख़राब हो गयी और उसे एक बार फिर खून की उल्टी हुई। उत्तर काशी में उसका टीबी का इलाज एक बार फिर शुरू हुआ। पर इस बार उसने अपने उपचार में बहुत लापरवाही दिखाई। यहाँ तक कि वह अपनी दवाइयों का भी नियमित रूप से सेवन नहीं करता था। इस बीच  उसका तबादला उत्तर काशी से श्रीनगर हो गया।

कवल भारती की गिरफ्तारी लोकतंत्र पर हमला है

लेखक कवल भारती की कल हुई गिरफ्तारी के विरोध में लखनऊ विधान सभा मार्ग स्थित अम्बेडकर भवन में विभिन्न जन संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं, लेखकों, साहित्यकारों, रंगकर्मियों एवं पत्रकारों का जमावड़ा हुआ। पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद के नेतृत्व में कवल भारती की गिरफ्तारी के विरोध में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हुए हमले के विरोध में अम्बेडकर भवन से हजरतगंज स्थित अम्बेडकर प्रतिमा तक सैकड़ों समाजिक कार्यकर्ताओं ने पैदल मार्च किया।

युवाओं ने शांति, परमाणु निशास्त्रिकरण और पुनर्प्राप्य ऊर्जा का दिया संदेश

[ऑनलाइन पोस्टर प्रदर्शनी देखें] [English] ला मार्टिनियर गर्ल्स कॉलेज, लोरेटो कॉन्वेंट इंटर कॉलेज, क्राइस्ट चर्च इंटर कॉलेज, सिटी मोंटेसरी स्कूल, लखनऊ विश्वविद्यालय, राम स्वरुप स्मारक पब्लिक स्कूल, डैबल कॉलेज, डैफोडिल्स कॉन्वेंट इंटर कॉलेज, इरम इंटर कॉलेज, यूनिटी कॉलेज, बाल भारती स्कूल, शेरवुड कॉलेज, अरविन्द अकादेमी, नवयुग पब्लिक स्कूल, स्प्रिंग डेल कॉलेज, अवध विश्वविद्यालय आदि शैक्षिक संस्थानों के छात्रों द्वारा “जापान से सीख” विचार पर बनाए हुए पोस्टर आज हिरोशिमा दिवस के उपलक्ष्य में लखनऊ स्थित डेफोड़िल्स कान्वेंट इंटर कॉलेज में प्रदर्शित किए गए।

दुर्गा शाक्ति नागपाल के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान

श्रीमती दुर्गा शाक्ति नागपाल के समर्थन में तथा खनन माफियाओं को उखाड़ फेकने के लिए चलाये गये एक हस्ताक्षर अभियान में, आम नागरिको ने कहा कि परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी दुर्गा नागपाल, एसडीएम नोएडा, उप्र का निलंबन दबाव में और जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को भी एक पत्र लिखकर मांग किया कि दुर्गा नागपाल का निलंबन तत्काल वापस लिया जाये। ईमानदार महिला अधिकारी की नियति का सम्मान करते हुए कोई निर्णय लिया जाना चाहिए था। एक नवागत अधिकारी के सकारात्मक प्रयास पर निलंबन उसके सम्पूर्ण सेवाकाल पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।

सुरक्षित एवं स्वास्थ्य-वर्धक चूल्हे को चुने

विश्व में 3 अरब से अधिक लोग रोजाना भोजन बनाने के लिए लकड़ी, कोयले या अन्य प्रकार के ठोस ईंधन का प्रयोग करते हैं जिनके कारणवश जानलेवा रोग होने का खतरा अनेक गुना बढ़ता है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डीजीस रिपोर्ट के अनुसार, 40 लाख मृत्यु प्रति-वर्ष सिर्फ भोजन बनाने के लिए ठोस ईंधन के इस्तेमाल से होती हैं। भारत में 10 लाख मृत्यु प्रति वर्ष इसी कारण से होती हैं, जिसके बावजूद भारत सरकार ने सुरक्षित और स्वास्थ्य-वर्धक चूल्हों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। यह केंद्रीय विचार था आज सी-2211 इन्दिरा नगर स्थित प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त केंद्र पर आयोजित मीडिया संवाद का। इसको स्वास्थ्य को वोट अभियान, सीएनएस, आशा परिवार, और जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय ने आयोजित किया था।

राजनीतिक दलों को अनुशासित करने की कोशिशें

इधर तीन ऐसे फैसले आ गए हैं जिन्होंने राजनीतिक दलों की स्वच्छंद कार्यशैली पर कुछ अंकुश लगाने की मंशा व्यक्त की है। इससे तेज बहस छिड़ गई है और राजनीतिक दल किसी भी किस्म के अनुशासन में बंधने को तैयार नहीं दिखते। किन्तु जनता की सोच अलग है।

वास्तविक और आदर्श सेवाओं में अंतर दर्शाते हैं - डबल्यूएचओ के नए एचआईवी दिशानिर्देश

[English] मलेशिया में सम्पन्न हुई एड्स विज्ञान से संबन्धित अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एचआईवी के उपचार और बचाव के लिए नए दिशानिर्देश (गाइडलाइंस) जारी किए। यह डबल्यूएचओ दिशानिर्देश अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यदि इन्हें एड्स कार्यक्रमों में ईमानदारी से लागू किया जाये तो एचआईवी के साथ जीवित लोगों के जीवन में बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है - वें स्वास्थ रह सकते हैं, सामान्य जीवनयापन कर सकते हैं, और संक्रमण की रोकधाम में भी वांछनीय असर पड़ेगा।

जन्म पंजीकरण प्रमाण पत्र है ज़रूरी

भारत सरकार द्वारा  जन्म पंजीकरण प्रमाण पत्र को अनिवार्य बनाये जाने के बाद भी ग्रामीण स्तर पर, जागरूकता के अभाव मे अभी तक सब लोग इसे बनवाने के प्रति जागरूक नहीं है। इस प्रमाण पत्र के बनवाने के बाद सबसे ज्यादा आसानी तो बच्चों को स्कूल मे दाखिला दिलवाते समय होती है।

"कमीशनखोरी की व्यवस्था को बंद करने की गारंटी दें मुख्य मंत्री": संदीप पाण्डेय

लखनऊ में अनेक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि कमीशनखोरी के विरोध में आगे आए। लोक राजनीति मंच के डॉ संदीप पाण्डेय ने बताया कि प्रांतीय प्रशासनिक सेवा के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के 40 वर्षीय अधिकारी चंद्र भूषण पाण्डेय ने लगातार आरोप लगाया है कि उनके उच्च अधिकारी व मंत्री उनसे कमीशन मांगते हैं। इस व्यवस्था से तंग आकर वे अगस्त 2008 में इस्तीफा भी दे चुके हैं और अगस्त 2011 से वेतन लेना भी बंद कर दिया है। किन्तु उ.प्र. सरकार उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं कर रही। वह बार-बार उनपर नौकरी पर वापस आने का दबाव बनाती है। चंद्र भूषण पाण्डेय यह गारंटी चाहते हैं कि विभाग के मंत्री और उच्च अधिकारी उनसे कमीशन नहीं मांगेंगे।

नाभिकीय मुक्त दुनिया की ओर

यह पुस्तक वस्तुतः तीन स्वतंत्र अध्यायों का संकलन है। पहले अध्याय में भारतीय नाभिकीय तंत्र के बारे में तथ्यात्मक जानकरी प्रस्तुत है। यह जानकारी उपलब्ध साहित्य एवं भारत सरकार के नाभिकीय विद्युत कार्पोरेशन की वेबसाइट आदि से संग्रहित की गयी है। इस अध्याय में दी गयी चीजों को समझना किसी गैर-वैज्ञानिक या प्रोद्योगिकीय पृष्ठभूमि के व्यक्ति के लिए कठिन हो सकता है। शायद विद्यालय स्तर के विज्ञान की पुस्तक का सहारा लेना पड़े। किन्तु इस अध्याय को पढे़ बिना भी आगे के दो अध्याय पढे़ जा सकते हैं। दूसरे अध्याय में नाभिकीय विषय से संबन्धित प्रचलित भ्रमों का स्पष्टीकरण दिया गया है। नाभिकीय विषय की समझ बनाने की द्रष्टि से यह अध्याय सबसे महत्वपूर्ण है। तीसरे अध्याय में देश में नाभिकीय विरोधी आन्दोलनों का प्रस्तुतीकरण है।

एनसीसी कैडेट ने तंबाकू का सेवन न करने का वचन दिया

[Photographs] 20वीं यूपी गर्ल्स बटैलियन के 300 से अधिक एनसीसी कैडेट ने वचन दिया कि वें तंबाकू का सेवन नहीं करेंगे, अन्य लोगों को भी तंबाकू से दूर रहने में मदद करेंगे और जो लोग तंबाकू व्यसनी हैं उनकी तंबाकू नशा त्यागने में मदद करेंगे। आर्मी कैंट में हुए और स्वास्थ्य को वोट अभियान एवं 20वीं यूपी गर्ल्स बटैलियन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में वरिष्ठ सर्जन और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार प्राप्त सर्जन प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त विशिष्ट वक्ता थे और 20वीं यूपी गर्ल्स बटैलियन के कमांडिंग ऑफिसर केबी गुरुंग और लेफ्टिनेंट कर्नल पीएस दसौनी ने अध्यक्षता की।

जमीनी स्तर पर लोकतंत्र साकार करने हेतु

भारत की केन्द्रीकृत राजनीतिक व्यवस्था हमारे यहां भ्रष्टाचार एवं अपराधीकरण के लिए दोषी है. संविधान में 73वें व 74वें संषोधन के उपरांत स्थानीय स्वशासन का जो स्वरूप सामने आना चाहिए था, जिसके अंतर्गत जनता की निर्णय प्रक्रिया में सीधी भागीदारी हो सकती थी, उसे हमारे मुख्य धारा के दल और नौकरशाही, जिनका अब केन्द्रीकृत व्यवस्था में निहित स्वार्थ है, साकार नहीं होने दे रहे. स्वामी अग्निवेश के जंतर मंत्र स्थित कार्यालय में सम्पन्न हुई बैठक में इस पर चर्चा हुई जिसमें देश के अनेक प्रगतिशील और सर्वजन-हितैषी व्यक्तियों और दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

सूचना अधिकार अधिनियम सेक्शन 4(1)(बी) और जनता सूचना केंद्र पर संवाद

[English] टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज, मुंबई में पढ़ाई कर रहे शैलेन्द्र कुमार और आशा परिवार के साथ जुड़े कार्यकर्ता मुदित शुक्ला ने सूचना का अधिकार अधिनियम, २००५ की धारा ४ (१)(बी) के उत्तर प्रदेश में अनुपालन की स्थिति और प्रदेश में जनता सूचना केन्द्रों के बारे में लोहिया मजदूर भवन, नरही में एक व्याख्यान दिया और प्रेस वार्ता संबोधित की।

खालिद मुजाहिद की हत्या के लिए हमारी व्यवस्था दोषी

"हमारा मानना है कि 18 मई 2013 को उ.प्र. में कचहरी बम कांड के आरोपी खालिद मुजाहिद को फैजाबाद से लखनऊ लाते समय रास्ते में मौत के लिए हमारी पूरी व्यवस्था दोषी है" - यह कहना है मगसेसे पुरुस्कार से सम्मानित वरिष्ठ सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता डॉ संदीप पाण्डेय का। "सबसे पहले तो हमारी सुरक्षा एजेंसियां। हम प्रदेश सरकार को बधाई देते हैं कि उसने उच्च पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है जो खालिद मजुाहिद की फर्जी गिरफ्तारी के लिए दोषी हैं" कहते हैं डॉ पाण्डेय।

बेहतर अस्थमा प्रबंधन से बच सकती है जान

इंटरनेशनल यूनियन अगेन्स्ट टूबेर्कुलोसिस एंड लंग डिज़ीज़ (द यूनियन) और बाल अस्थमा और एलर्जी  द्वारा प्रकाशित ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2011 के अनुसार अस्थमा विश्व के 23.5 करोड़ लोगों को प्रभावित करता है और पिछले 30 वर्षों से विशेषकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अस्थमा का बोझ लगातार बढ़ रहा है। लखनऊ के वरिष्ठ श्वास-रोग विशेषज्ञ डॉ बीपी सिंह कहते है कि “हमारे क्लीनिक पर आने वाले कुल मरीज़ो मे से 27% अस्थमा के और 26% सीओपीडी के होते हैं जिसके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि यहाँ पर प्रतिदिन 27-28 अस्थमा से पीड़ित  रोगी आते हैं”।

जन स्वास्थ्य के खिलाफ है सिगरेट और सिगार पर टैक्स कटौती

उत्तर प्रदेश सरकार ने जन स्वास्थ्य के विपरीत जाकर सिगरेट और सिगार पर वैट (VAT)  कर को 50% से 25% करने का निर्णय लिया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार तंबाकू कर में वृद्धि तम्बाकू का सेवन रोकने एवं उसका सेवन कर रहे लोगों को छोड़ने में मदद करने का एक प्रभावशाली तरीका था। यह तंबाकू से हो रहे अधिकांश गैर संक्रामक रोग जैसे हृदय रोग और स्ट्रोक, कैंसर, और अन्य तंबाकू जनित बीमारियों के दर को कम करने में मददगार साबित होगा। यह सी- ब्लॉक, इन्दिरा नगर स्थित डेबल कॉलेज में आयोजित ‘स्वस्थ्य को वोट’ कार्यक्रम का केंद्रीय संदेश था। डेबल कॉलेज की प्रधानाचार्या सुश्री बैनर्जी ने स्वास्थ्य को वोट अभियान को समर्थन दिया।

“युवा तम्बाकू सेवन आरम्भ न करें”: प्रो0 डॉ0 रमा कान्त

“अधिकांश तम्बाकू सेवन 18 वर्ष से पहले ही आरम्भ होता है। इसीलिए बच्चों एवं युवाओं को तम्बाकू जनित जानलेवा रोगों एवं व्याधियों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य है जिससे कि वें ज़िन्दगी चुनें, तम्बाकू नहीं” कहा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार प्राप्त वरिष्ठ सर्जन प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने, जो सेक्टर-19, इन्दिरा नगर स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में आयोजित ‘स्वास्थ्य को वोट’ सत्र को संबोधित कर रहे थे। प्रो0 (डॉ) रमा कान्त, केजीएमयू के पूर्व सर्जरी विभागाध्यक्ष और पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रहे हैं और वर्तमान में कैरियर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के प्रिन्सिपल हैं।

चीन से आयात बंद हो: सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) की मांग

भारतीय सीमा में चीन के अनाधिकृत पैठ के संदर्भ में, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने मांग की है कि भारत सरकार तुरंत चीन से सभी प्रकार के आयात बंद करे। हमारे बाज़ारों में चीनी समान भरा हुआ है, जैसे कि बनारसी साड़ियाँ, होली की पिचकारियाँ, गरम कपड़े, मूर्तियाँ, विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रोनिक समान, आदि। हम किसी भी प्रकार के सैन्य प्रतिक्रिया का समर्थन नहीं करते हैं और हमारा मानना है कि यह मुद्दा दो-पक्षीय संवाद से सुलझाया जाये। परंतु हमारा पूरा समर्थन है उन नीतियों को जो लघु और मध्यम वर्गीय उद्योग और अन्य कारीगरों के बाज़ार की रक्षा करे। इस तरह के निर्णय से भारत की अर्थ-व्यवस्था जमीनी स्तर पर मजबूत होगी। चीन से आयात को बंद करके और स्वदेसी लघु और माध्यम वर्गीय उद्योग और कारीगरों के बाज़ार को बढ़ावा दे कर हमारा दोहरा लाभ होगा और चीन पर भी दबाव बनेगा कि वो अंतर्राष्ट्रीय सरहदों को सम्मान दे।

कैंसर-दवा पर पेटेंट के खिलाफ फैसले का सोशलिस्ट पार्टी ने स्वागत किया

सोशलिस्ट पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पुरजोर स्वागत किया है जिसके कारणवश जरूरतमन्द लोगों को कैंसर दवा मिल पाएँगी। सेवा निवृत्त जस्टिस रजिन्दर सच्चर ने भी इस मुद्दे पर सोशलिस्ट पार्टी की भूमिका को पूरा समर्थन दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता और संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य आयुक्त आनंद ग्रोवर के अनुसार, नोवर्टिस दवा कंपनी नवरचना की आड़ में पुरानी दवा में जरा सा परिवर्तन करके नया पेटेंट मांग रही थी जिसको सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। नोवर्टिस की यह कैंसर दवा (जिसका मूल अंश है ‘इमाटिनिब’ और ब्रांड का नाम है ‘ग्लीवेक’) रुपया 1,20,000 की बिकती आई है परंतु सुप्रीम कोर्ट के पेटेंट मना करने के फैसले के पश्चात यही दवा अब रुपया 8,000 तक में बिकेगी, ऐसा विश्वास है।

जन स्वास्थ्य नीति में तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप को रोकें: नयी चित्रमय चेतावनी और गुटखे पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करें

हालांकि 1 अप्रैल 2013 से सभी तंबाकू उत्पादनों पर प्रभावकारी नयी चित्रमय चेतावनी हों इसके लिए भारत सरकार ने 27 सितंबर 2012 को गज़ट नोटिफ़िकेशन जारी कर दिया था, तंबाकू उद्योग 6 माह से अधिक अवधि के बाद भी नयी चित्रमय चेतावनी लागू करने में असफल रहा है। यह सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 का खुला उलंघन है और जन स्वास्थ्य को भी कुप्रभावित करता है। पहले भी हमारी सरकार ने कई बार, तम्बाकू उद्योग के दबाव में आकर नई चेतावनियों को कम असरदार बनाने के साथ साथ उनके लागू करने की तारीख को भी आगे बढ़ाया है. नवम्बर २००८ में स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सूचना आयोग को बताया था कि तम्बाकू उद्योग के निरंतर दबाव के कारण वह  तम्बाकू नियंत्रण स्वास्थ्य नीतियाँ प्रभावकारी ढंग से लागू नहीं कर पा रही है. सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम के अनुसार हर साल नयी चित्रमय चेतावनी आनी चाहिए। परंतु पहली बार चित्रमय चेतावनी 1 जून 2009 से लागू हो पायी, उसके बाद उनको ढाई साल बाद 1 दिसम्बर 2011 को ही बदला जा सका, और अब तीसरी मर्तबा 1 अप्रैल 2013 को डेढ़ साल बाद बदलना था जो अब तक लागू नहीं हो पाया है। जब गज़ट नोटिफ़िकेशन 6 माह पहले आ गया था तब तंबाकू उद्योग ने नयी चित्रमय चेतावनी को 1 अप्रैल 2013 से क्यों नहीं लागू किया है?

फांसी तो हो गई किन्तु यह तो पता चले कि संसद पर हमला किया किसने था?

[English] (नोटः हाल ही में लियाकत शाह के मामले से साफ हो गया है कि किस तरह पुलिस श्रेय लेने के लिए आत्मसमर्पण किए हुए उग्रवादियों को फर्जी मामलों में फंसा कर आतंकवादी के रूप में पेश करती है। यदि जम्मू-कश्मीर पुलिस और मुख्य मंत्री उमर अब्दुल्लाह ने खुल कर लियाकत के पक्ष में भूमिका नहीं ली होती तो सारा देश यही मानता कि लियाकत होली के समय दिल्ली में विस्फोट करने आया था। यह भी सवाल उठता है कि पुरानी दिल्ली में बरामद हथियार-बारूद किसने रखे थे? हमारा मानना है कि अफजल गुरु का मामला लियाकत जैसा ही था। एस.टी.एफ. और दिल्ली पुलिस के विशेष सेल ने उसे बलि का बकरा बना दिया। इस देश में पुलिस अपनी अक्षमता को छिपाने के लिए अन्य मामलों में भी निर्दोष लोगों को फंसाती रही है।)

एमडीआर-टीबी: एक नई महामारी

डॉ सूर्य कान्त
जैसा की हम सभी जानते हैं कि टी0बी0 सदियों से मानव जाति के लिए एक अभिशाप की तरह रही है। जहाँ तक चिकित्सा इतिहास की नजर जाती है वहाँ तक टी0बी0 के प्रमाण मौजूद हैं और शायद टी0बी0 आज तक पता लगी बीमारियों में सबसे पुरानी है। वेदों में भी टी0बी0 के प्रमाण मोजूद हैं जिनमें इसे ‘‘राज्यक्षमा’अर्थात शरीर को गलाने वाला कहा गया है। चरक संहिता में भी इसे ‘‘यक्षमा’कहा गया है। इसे ‘‘कैप्टन आफ मैन आफ डेथ’कहा जाता है। पहले टी0बी0 का कोई कारगर इलाज नही था। उस समय अच्छे खानपान व शुद्ध वातावरण के सहारे इसका इलाज करने का प्रयास किया जाता था । परन्तु जैसे-जैसे अधुनिक दवाईयों का अविष्कार हुआ इसका इलाज सम्भव माना जाने लगा।

भारत के हृदय-रोग विशेषज्ञों को मिला अमरीकी पुरुस्कार

डॉ ऋषि सेठी, हृदय-रोग विशेषज्ञ
डॉ ऋषि सेठी, डॉ शरद चंद्रा: अमेरीकन कॉलेज ऑफ कार्डिओलोजिस्ट द्वारा पुरुस्कृत 
[English] किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के हृदय रोग विभाग के लिए यह अत्यंत गर्व का विषय है कि एक ही वर्ष में इस विभाग के दो हृदय-रोग विशेषज्ञों को अमेरीकन कॉलेज ऑफ कार्डिओलोजिस्ट की प्रतिष्ठित एफ़एसीसी फ़ेलोशिप प्रदान की गयी है। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ ऋषि सेठी एवं डॉ शरद चंद्रा, दोनों को अमरीका के सैन-फ्रांसिसको शहर में 11 मार्च 2013 को आयोजित वार्षिक दीक्षांत समारोह में यह फ़ेलोशिप प्रदान की गयी।

शारदा नदी के कटान को रोकने की मांग को ले कर जल सत्याग्रह

[फोटो] [English] रेउसा ब्लॉक सीतापुर जिला के सैंकड़ों लोगों ने 25-26 फरवरी 2013 को जल सत्याग्रह में भाग लिया। यह लोग शारदा नदी के पानी में इसलिए उतरे क्योंकि हर साल शारदा नदी के 7 किमी तक रास्ता बदलने पर और बढ़ते पानी से अनेक गाँव डूब आए। हजारों की संख्या में लोगों के घर पानी में पूर्णत: समाप्त हो गए। कटान रोको संघर्ष मोर्चा का नेतृत्व कर रहीं ऋचा सिंह ने कहा कि लगभग 800 परिवार तो सड़क पर दोनों ओर अस्थायी तरीके से किसी तरह से जीवित हैं। परंतु सीतापुर जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों ने अभी तक शारदा नदी से इन लोगों को बचाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।

आंध्र प्रदेश के टीबी नियंत्रण में सुधार की मांग

अनेक संगठनों ने आज आंध्र प्रदेश में टीबी नियंत्रण से संबन्धित समस्याओं को चिन्हित किया और अधिकारियों को ज्ञापन दिया गया जिससे कि प्रदेश में टीबी नियंत्रण में व्यापक सुधार हो सकें। पार्टनर्शिप फॉर टीबी केअर एंड कंट्रोल इन इंडिया, लेपरा सोसाइटी, कैथॉलिक हेल्थ असोसियशन ऑफ इंडिया, सीबीसीआई-सीएआरडी, डैमियन फ़ाउंडेशन, डेविड एंड लोइस रीस अस्पताल, शिवानंद पुनर्वास केंद्र, टीबी अलर्ट इंडिया, वासव्य महिला मंडली, वर्ल्ड विज़न इंडिया, सीएएमपी, और रायलसीमा ग्रामीण विकास सोसाइटी आदि संस्थाओं ने अधिकारियों को ज्ञापन दिया।

टीबी वैक्सीन शोध असफल: हमारे लिए क्या मायने हैं?

आखिर क्या वजह है कि टूबेर्कुलोसिस (टीबी) नियंत्रण एक बड़ी चुनौती बना हुआ है? टीबी से बचाव के लिए जो एकमात्र टीका उपलब्ध है उसे बीसीजी कहते हैं। बीसीजी लगभग 100 साल पुराना टीका है, और आज भी विशेषकर कि बच्चों को वीभत्स प्रकार की टीबी से बचाता है। बेहतर और अधिक प्रभावकारी टीबी टीके के शोध अनेक साल से चल रहे हैं और 4 फरवरी 2013 को ऐसे ही एक टीबी वैक्सीन शोध जिसे 'एमवीए85ए' कहते हैं, के नतीजे 'द लैनसेट' में प्रकाशित हुए हैं।

एक-तिहाई कैंसर से बचाव मुमकिन है: प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के अनुसार कम-से-कम एक-तिहाई कैंसर से बचाव मुमकिन है। डबल्यूएचओ अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित और कैरिएर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के प्रिन्सिपल प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त  ने कहा कि “कैंसर से बचाव और कैंसर के खतरे को कम करने वाली जीवनशैली को बढ़ावा देने से ही कैंसर नियंत्रण में सार्थक कदम उठ सकते हैं”। प्रो0 डॉ0 रमा कान्त, जो किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जरी के पूर्व प्रमुख और पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक भी रहे हैं, विश्व कैंसर दिवस पर स्वास्थ्य को वोट अभियान, आशा परिवार, सीएनएस, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय द्वारा आयोजित मीडिया संवाद को संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रपति महिला हिंसा ऑर्डिनेन्स पर हस्ताक्षर न करें: महिला आंदोलन

अनेक महिला अधिकारों के लिए समर्पित सामाजिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यौन हिंसा से संबन्धित मामलों में क्रिमिनल विधि संशोधन के लिए ‘सरकार द्वारा ऑर्डिनेन्स’ लाने के निर्णय का पुरजोर विरोध किया। लखनऊ में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति धुरु ने कहा कि माननीय राष्ट्रपति से हमारी अपील है कि वें इस ‘ऑर्डिनेन्स’ पर हस्ताक्षर न करें। अरुंधति धुरु, जो भोजन अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त आयुक्त की प्रदेश सलाहकार हैं, ने कहा कि मीडिया द्वारा सार्वजनिक हुई जानकारी से यह पता चलता है कि यौन हिंसा कानून में संशोधनों से संबन्धित ऑर्डिनेन्स को कैबिनेट ने कल (1 फरवरी 2013) पारित किया है – अगले संसद सत्र आरंभ होने से 20 दिन पहले। सरकार द्वारा इस ऑर्डिनेन्स को बिना किसी पारदर्शिता के आकस्मिक रूप से पारित करने पर हम सभी अचंभित हैं। इस प्रकार की जल्दबाज़ी से ऑर्डिनेन्स को पारित करने की क्या आवश्यकता और उद्देश्य है जब कि अगला संसद सत्र 20 दिन बाद ही आरंभ होने को है और यह प्रस्तावित ऑर्डिनेन्स दिल्ली समूहिक बलात्कार के मामले मे लागू नहीं होगा।

सूचना का अधिकार अधिनियम और छात्रों के अनुभव

हमने 16 जनवरी, 2013 से एक सर्वेक्षण शुरु किया जिसके द्वारा हम उत्तर प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के कार्यान्वयन की स्थिति आवेदकों के अनुभवों के आधार पर समझना चाहते थे। यह सर्वेक्षण करना हमारे लिये बहुत शिक्षाप्रद अनुभव था क्योंकि इससे हमें सूचना का अधिकार अधिनियम को प्रयोग में लाने से सम्बन्धित कठिनाइयों के बारे में पता चला। हमने न केवल अधिनियम के तहत आवेदन देने का कागज़ी काम किया, बल्कि अन्य आवेदकों की शिकायतों को सुना और उनके सम्भावित समाधानों पर उनसे चर्चा की।

'दक्षिण-एशिया के समाचार पत्रों के प्रथम-पृष्ठ का जेंडर मूल्यांकन' रिपोर्ट जारी

[English] ‘दक्षिण-एशिया के समाचार पत्रों के प्रथम-पृष्ठ का जेंडर मूल्यांकन’ रिपोर्ट को स्वास्थ्य को वोट अभियान, आशा परिवार, और सिटिज़न न्यूज़ सर्विस – सीएनएस ने लखनऊ में जारी किया। यह रिपोर्ट दक्षिण-एशिया के पाँच देशों (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्री लंका) के मुख्य अँग्रेजी समाचार पत्रों के एक माह के अंकों के प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित समाचारों के जेंडर मूल्यांकन पर आधारित है। यह एक प्रारम्भिक रिपोर्ट है और इस विषय पर अधिक व्यापक और गहन अध्ययन की आवश्यकता है।

बाल अधिकार सम्मेलन: नया साल हमारा सवाल

[English] बाल अधिकारों की वर्तमान दशा के बारे में बच्चों के विचारों को जानने हेतु लखनऊ में प्लान इंडिया और सवांद सामाजिक संस्थान की ओर से 'बाल सम्मेलन' आयोजित किया गया। इस बाल सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न शहरों और गांवो से लगभग 200 लड़के-लड़कियों ने भाग लिया एवं विभिन्न प्रतियोगिता में भागीदारी की। इन प्रतियोगिताओं की मुख्य थीम थी: "नया साल हमारा सवाल"।

सोशलिस्ट पार्टी ने उठाई 50% महिला आरक्षण की मांग

यौनिक हिंसा के मामले में विधि-बदलाव के लिए सुझाव देने हेतु, भारत सरकार द्वारा नियुक्त जस्टिस वर्मा कमेटी के लिए सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने लखनऊ में खुली परिचर्चा का आयोजन किया जिसमें अनेक नागरिकों ने भाग लिया। सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय, उत्तर प्रदेश राज्य अध्यक्ष गिरीश कुमार पाण्डेय और ओंकार सिंह भी इस परिचर्चा में शामिल रहे। सोशलिस्ट पार्टी द्वारा आयोजित इस परिचर्चा में आए सुझाव निम्नलिखित हैं: