तम्बाकू एक ज़हर

डा0 सूर्य कान्त, सीएनएस स्तंभकार 
तम्बाकू आज के समय में फैल रही अधिकांश बीमारियों के पीछे एक बड़ा कारण है। इस की लत का प्रसार एक दुर्दम महामारी का रूप ले चुका है। ऐसे हालात में तम्बाकू से निर्मित उत्पादों के सेवन से न केवल  व्यक्तिगत, शारीरिक, एवं बौद्धिक ह्रास हो रहा है, अपितु समाज पर भी इसके दूरगामी, व्यक्तिगत, सामाजिक, एवं आर्थिक दुष्प्रभाव दिखाई देने लगे है। 16 वीं शताब्दी में अकबर के शासन मे पुर्तगाली पहली बार तम्बाकू ले कर भारत आये थे। जहाँगीर के शासनकाल मे इसके उपभोग को नियंत्रित करने के लिए इस पर भारी मात्रा पर कर लगाये गये। परंतु सदियां बीत गयी तम्बाकू व्यापार और उपभोग पर लेश मात्र भी अंकुश न लगा।

अस्थमा (दमा) नियंत्रण में सहायक है योग

सिटिज़न न्यूज सर्विस - सीएनएस
प्रोफेसर सूर्यकांत
लखनऊ विश्वविद्यालय के सहयोग से तथा किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सूर्यकांत के मार्गदर्शन में किए गए एक शोध अध्ययन में पाया गया कि प्रमाणित चिकित्सीय उपचार के साथ प्रतिदिन तीस मिनट के योगाभ्यास के द्वारा अस्थमा रोगियों के एंटीऑक्सीडेंट के स्तर में बढ़ोत्तरी होती है,  फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार आता है, तथा दवा की खुराक कम हो जाती है, जिसके चलते उनके दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है । प्रत्येक वर्ष एक मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। अस्थमा श्वास नली या फेफड़ों के वायुमार्ग की एक दीर्घकालिक बीमारी है। श्वास नली के द्वारा हवा फेफड़ों के अंदर और बाहर आती-जाती है।