संविधान की मौलिक भावना व उसके मूल्यों को खतरा
डॉ संदीप पाण्डेय, सीएनएस स्तंभकार और मग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित कार्यकर्ता ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiggT3j9UXnFTKGKfum1YejG6XPFsgcMaOY4eIz49NztclWgeRiIGH4f3160J4L_hJCP5ylmsktC6Iphs09KwbwSiaQj5ztCuzQTGLc-aEsZJDLUIz4mu1e2Wkcpv9akx_lODq9M0dZ5g9-/s320/Photo+15-03-15+3+41+17+pm.jpg)
वैसे तो हमारा लोकतंत्र धीरे-धीरे संविधान की भावना और उसमें निहित मूल्यों से दूर जा ही रहा था, नरेन्द्र मोदी की सरकार ने उस गति को और तेज कर दिया है। संविधान के पहले वाक्य में ही भारतीय गणराज्य के जो चार आधार स्तंम्भ बताए गए हैं - सम्प्रभुता, समाजवाद, धर्मनिर्पेक्षता व लोकतंत्र - वे ही डगमगाने लगे हैं। सम्प्रभुता का अर्थ है हम अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं या हम स्वायत्त हैं। लेकिन कितने ऐसे आर्थिक नीतियों से सम्बंधित निर्णय हैं जो हम अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों अथवा अमीर देशों जैसे अमरीका के दबाव में लेते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो देशी-विदेशी बड़ी कम्पनियां ही निर्णयों को प्रभावित करती हैं।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiggT3j9UXnFTKGKfum1YejG6XPFsgcMaOY4eIz49NztclWgeRiIGH4f3160J4L_hJCP5ylmsktC6Iphs09KwbwSiaQj5ztCuzQTGLc-aEsZJDLUIz4mu1e2Wkcpv9akx_lODq9M0dZ5g9-/s320/Photo+15-03-15+3+41+17+pm.jpg)
वैसे तो हमारा लोकतंत्र धीरे-धीरे संविधान की भावना और उसमें निहित मूल्यों से दूर जा ही रहा था, नरेन्द्र मोदी की सरकार ने उस गति को और तेज कर दिया है। संविधान के पहले वाक्य में ही भारतीय गणराज्य के जो चार आधार स्तंम्भ बताए गए हैं - सम्प्रभुता, समाजवाद, धर्मनिर्पेक्षता व लोकतंत्र - वे ही डगमगाने लगे हैं। सम्प्रभुता का अर्थ है हम अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं या हम स्वायत्त हैं। लेकिन कितने ऐसे आर्थिक नीतियों से सम्बंधित निर्णय हैं जो हम अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों अथवा अमीर देशों जैसे अमरीका के दबाव में लेते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो देशी-विदेशी बड़ी कम्पनियां ही निर्णयों को प्रभावित करती हैं।
गांधी होने का मतलब
डॉ संदीप पाण्डेय, सीएनएस स्तंभकार और मग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता
इधर खादी व ग्रामोद्योग आयोग के कैलेण्डर पर चरखे के साथ महात्मा गांधी की जगह नरेन्द्र मोदी की तस्वीर छपने से कुछ विवाद खड़ा हुआ है। मोदी समर्थक पूछ रहे हैं कि जब नरेन्द्र मोदी की तस्वीर झाड़ू के साथ छप रही थी तब इतना बवाल क्यों नहीं मचा क्यों कि झाड़ू का प्रतीक भी मोदी ने गांधी से ही लिया है? गांधी का चश्मा स्वच्छ भारत अभियान के प्रतीक चिन्ह के रूप में जगह जगह छप रहा है।
गाँधी प्रिंटिंग प्रेस,दक्षिणअफ्रीका:गांधीजी यहाँ से अखबार निकलते थे |
नए टीबी शोध ने जन-स्वास्थ्य जगत को चेताया: बुनियादी संक्रमण नियंत्रण अत्यंत आवश्यक!
टीबी से बचाव मुमकिन है और यदि टीबी रोग हो जाए तो सफल इलाज भी सरकारी स्वास्थ्य सेवा में नि:शुल्क उपलब्ध है. परन्तु यदि टीबी की दवाओं से प्रतिरोधकता उत्पन्न हो जाए, यानि कि, दवाएं टीबी बैक्टीरिया पर बेअसर हो जाए, तो इलाज कठिन होता जाता है. जैसे-जैसे टीबी दवाओं से प्रतिरोधकता बढ़ती जाती है वैसे वैसे इलाज भी कठिन होता जाता है और गंभीर प्रतिरोधकता के कारण मृत्यु तक हो सकती है.
क्या सरकारें 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं और सम्बंधित मृत्यु दर को 50% कम कर पाएंगी?
हिंदुस्तान टाइम्स (20 जनवरी 2017) में प्रकाशित समाचार के अनुसार सड़क दुर्घटनाएं और इनमें मृत लोगों विशेषकर कि बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. ये एक और उदहारण हैं जब सरकारें वादें कुछ और करती हैं और जमीनी हकीकत ठीक विपरीत होती है. भारत सरकार एवं अन्य १९२ देशों की सरकारों ने वादा किया है कि 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्युदर आधा हो जायेगा परन्तु मृत्यु दर तो बढ़ता जा रहा है!
हॉर्न ध्वनि-तीव्रता कम करना ठीक है पर सोचने की बात है कि हमें हॉर्न बजाने की जरुरत क्यों है?
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हिंदुस्तान टाइम्स (अंग्रेजी दैनिक) |
हाईटि देश में 2010 तक हैजा था ही नहीं: विश्व शांति, सैन्य और स्वास्थ्य नीतियों में तालमेल जरुरी
विभिन्न सरकारी संस्थाएं और वर्ग एकजुट हो समन्वयन करें कि हर प्रकार की लिंग जनित हिंसा समाप्त हो
सिटीजन न्यूज सर्विस - सीएनएस
अनेक सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लखनऊ कार्यालय में युवाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ बेहतर करने के आशय से कैसे अंतर-विभागीय और अंतर-वर्गीय समन्वयन में सुधार हो इस पर चर्चा की. हर प्रकार की लिंग जनित हिंसा को समाप्त करने के लिए फॅमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने राष्ट्रीय स्तर पर पहल ली हुई है. स्वास्थ्य को वोट अभियान और अन्य संस्थाओं ने इस पहल को समर्थन दिया है और सरकार से अपील की कि बिना अंतर-विभागीय समन्वयन में सुधार हुए लिंग जनित हिंसा पर विराम लगाना मुश्किल होगा.
अनेक सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लखनऊ कार्यालय में युवाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ बेहतर करने के आशय से कैसे अंतर-विभागीय और अंतर-वर्गीय समन्वयन में सुधार हो इस पर चर्चा की. हर प्रकार की लिंग जनित हिंसा को समाप्त करने के लिए फॅमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने राष्ट्रीय स्तर पर पहल ली हुई है. स्वास्थ्य को वोट अभियान और अन्य संस्थाओं ने इस पहल को समर्थन दिया है और सरकार से अपील की कि बिना अंतर-विभागीय समन्वयन में सुधार हुए लिंग जनित हिंसा पर विराम लगाना मुश्किल होगा.
पांच साल से कम उम्र के बच्चों को निमोनिया-मृत्यु से बचाने के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ आवश्यक
सिटीजन न्यूज सर्विस - सी एन एस
निमोनिया से बचाव मुमकिन है और इलाज भी संभव है. इसके बावजूद भी निमोनिया 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है. लखनऊ के नेल्सन अस्पताल के निदेशक और बाल-रोग विशेषज्ञ डॉ अजय मिश्र ने वेबिनार में बताया कि "निमोनिया से बचाव और इलाज दोनों संभव है पर इसके बावजूद निमोनिया 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है. 2015 में 760000 बच्चों की मृत्यु निमोनिया से हुई.
निमोनिया से बचाव मुमकिन है और इलाज भी संभव है. इसके बावजूद भी निमोनिया 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है. लखनऊ के नेल्सन अस्पताल के निदेशक और बाल-रोग विशेषज्ञ डॉ अजय मिश्र ने वेबिनार में बताया कि "निमोनिया से बचाव और इलाज दोनों संभव है पर इसके बावजूद निमोनिया 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है. 2015 में 760000 बच्चों की मृत्यु निमोनिया से हुई.
दीपा कर्माकर का सराहनीय फैसला
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बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं और मृत्युदर ने सरकारी वादे पर उठाये सवाल
भारत सरकार समेत दुनिया के अन्य 192 देशों की सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा 2015 में सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals या SDGs) को 2030 तक पूरा करने का वादा किया है. इन सतत विकास लक्ष्यों में से एक है (SDG 3.6) कि 2020 तक, सड़क दुर्घटनाओं और मृत्युदर को आधा करना. पर आंकड़ों को देखें तो ये चिंता की बात है कि सड़क दुर्घटनाओं और मृत्युदर में गिरावट नहीं बढ़ोतरी हो रही है.
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