पर्यावरण मुद्दे पर गरीब बच्चों के लिए चित्रकला कार्यक्रम

पेट्रोलियम कंसर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन - पी0सी0आर0ए0 द्वारा 15 दिन तक पर्यावरण एवं इंधन बचाने के विषय पर अनेकों गतिविधियाॅ हो रही हैं, जिनमें से एक हैः 22-24 जनवरी 2010 तक लखनऊ के झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब बच्चों के लिए इसी विषय पर चित्रकला कार्यक्रम आयोजित करना।

यह चित्रकला कार्यक्रम हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड - एच0पी0सी0एल0 द्वारा प्रायोजित किया गया है जो इस्माइलगंज, गाॅंधी नगर, मड़ियावॅं, दुबग्गा एवं जानकी प्लाज़ा के झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे गरीब बच्चों के लिए समर्पित आशा सामाजिक विद्यालयों में आयोजित किया जाएगा।

उद्घाटन कार्यक्रमः
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समयः 12 बजे दोपहर
स्थानः आशा सामाजिक विद्यालय, इस्माइलगंज झुग्गी-झोपड़ी
- राम मनोहर लोहिया अस्पताल, गोमती नगर
तिथिः शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक रीटेल श्री सिद्धार्थ मिश्रा, पी0सी0आर0ए0 के प्रदेश समन्वयक श्री वेंक्टेश द्विवेदी, और एम0आई0एस0 अधिकारी एच0पी0सी0एल0 श्री अर्विन्द लाल इस तीन-दिवसीय चित्रकला कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे।

मैगसेसे पुरूस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता डाॅ0 संदीप पाण्डेय, नर्मदा बचाव आंदोलन की वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं भोजन के अधिकार पर सुप्रीम र्कोट आयुक्त की प्रदेश सलाहकार अरूंधती धुरू, आशा परिवार कार्यकर्ता चुन्नीलाल, आदि भी उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होंगे।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करेंः
उर्वशी शर्मा 9793366667
चुन्नीलाल 9839422521

रक्त दान शिविर

प्रेस निमंत्रण

सेवा में, संपादक

मान्यवर,
स्वामी विवेकानंद के जन्म-दिवस पर एवं राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष में, जयपुरिया इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लखनऊ और विवेकानंद पॉलीक्लिनिक, एक रक्त दान शिविर का आयोजन कर रहा है.

तिथि: 12 जनवरी 2010
स्थान: जयपुरिया इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, गोमती नगर, लखनऊ
समय: 10:30 बजे सुबह से आरंभ

मुख्य अतिथि लखनऊ के महापौर डॉ दिनेश शर्मा इस कार्यक्रम में, 1 बजे दोपहर में शामिल होंगे.

कृपया अपने संवाददाता दल को भेजने की कृपा करें.
सधन्यवाद

प्रोफ0  र. चटर्जी
अध्यक्ष - स्टूडेंट अफेर्स, जयपुरिया इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लखनऊ

समन्वयक:
वसुशेन मिश्रा (9793762610)
विद्या भूषण सिंह (9450706298)

अफ्रीका में डायबिटीज़

अफ्रीका में डायबिटीज़

(ज़िम्बाबवे निवासी चीफ के मसिम्बा बिरिवासा के लेख का हिन्दी अनुवाद)

अफ्रीका में मधुमेह की बीमारी एक मौन हन्ता के समान हैएड्स ओर मलेरिया के समान इस रोग पर तो मीडिया का ही ध्यान जाता है, ही इससे जूझने के लिए कोई भी एजेंसी इस पर धन व्यय करने को प्रस्तुत होती हैपरन्तु अफ्रीका में मधुमेह के रोगियों के आंकड़े यह बताते हैं कि स्थिति वास्तव में शोचनीय है, तथा जन स्वास्थ्य नीति निर्धारण में डायबिटीज़ पर उचित ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अफ्रीका में लगभग करोड़ व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित हैंविकास शील देशों में यह रोग मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण माना जाता है, तथा २०२५ तक, मधुमेहियों की संख्या करोड़ तक पहुँचने की संभावना है

इंटर नैशनल डायबिटीज़ फेडरेशन (आई.डी.ऍफ़.) का मानना है कि अफ्रीका में यह रोग एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, और यदि समय रहते इसके निवारण हेतु ठोस कदम नहीं उठाये गए तो इसके कुप्रभावों से जूझना और भी कठिन हो जाएगा
आई.डी.ऍफ़. का यह भी कहना है कि यदि वर्त्तमान स्थिति बनी रही तो २०१० के अंत तक इसकी प्रबलता में ९५% की बढ़ोतरी होने की संभावना है

इस महादेश में अनेको वयस्क एवम् बच्चे, इंस्युलिन की कमी के कारण मर रहे हैं, और ऐसा लगता है कि बहुत से रोगी तो इस रोग का निदान होने से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं, उपचार होना तो दूर की बात हैजो बच भी जाते हैं, वे इस रोग से जनित अंधेपन अथवा विकलांगता का शिकार हो जाते हैं

इस महादेश के अधिकाँश नागरिकों को इस रोग के बारे में समुचित जानकारी नहीं हैअत: वे इसकी भयावहता को समझ नहीं पातेफलस्वरूप, इस रोग का समय रहते उपचार नहीं हो पाता, जिसके कारण रोगी को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता हैतिस पर, अधिकाँश क्षेत्रों में, मधुमेह संबंधी औषधियों की आपूर्ति भी अपर्याप्त है

वर्त्तमान परिपेक्ष्य में, डायबिटीज़ के बढ़ते हुए आतंक को देखते हुए, यह आवश्यक है कि सरकार, जन स्वास्थ्य उपक्रम, नीति निर्धारक, निधिकरण अधिकरण एवम् स्थानीय समुदाय डायबिटीज़ की समस्या पर अपना ध्यान शीघ्रता शीघ्र केन्द्रित करें

सरकार को अल्प लागत वाली नीतियों को लागू करके इस रोग के आक्रमण को रोकना होगा. आई.डी.ऍफ़. के अनुसार, आहार में परिवर्तन लाकर, शारीरिक क्रिया कलाप बढ़ा कर, एवम् जीवन शैली में उचित परिवर्तन लाकर, केवल डायबिटीज़ के संघात को कम किया जा सकता है, वरन अन्य रोगों पर भी काबू पाया जा सकता है

वर्त्तमान समय में, सरकारों द्वारा इस दिशा में संतोषजनक कार्य नहीं किया जा रहा है, जिसका दीर्घ कालिक प्रभाव घातक होगाजन स्वास्थ्य इकाइयों में, डायबिटीज़ शुरू होने के पूर्व निदान, निरंतर देखभाल से लेकर उसकी जटिलताओं से जूझने की क्षमता होना आवश्यक हैइसके अलावा, जन साधारण को, इस रोग से सम्बंधित सभी उपचार एवम् औषधियाँ, कम दामों पर सुगमता से उपलब्ध होने चाहिए

इस दिशा में राजनैतिक सूझ बूझ एवम् मीडिया की भूमिका अहम् हैविशेषकर, रेडियो के माध्यम से डायबिटीज़ की रोकथाम, निदान एवम् उपचार से सम्बंधित सन्देश, दूर दराज़ के इलाकों में भी घर घर तक पहुंचाए जा सकते हैं

हम सभी को एकजुट हो कर इस रोग से लड़ना ही होगा, क्योंकि यह हम सभी के स्वास्थ्य का मामला है