स्वास्थ्य नीति में उद्योग के हस्तक्षेप को रोकें केंद्रीय मंत्रालय

Photo credit: CNS Image Library/2013
70 से अधिक जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानून और न्याय, और संसदीय कार्य के केंद्रीय मंत्रालयों के हस्ताक्षर कर अभियान पत्र भेजा है कि जन स्वास्थ्य नीति में उद्योग के हस्तक्षेप को रोकने के लिये सख्त कदम उठाए जाएँ। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी संसदीय समितियों से उन सदस्यों को जिनका स्वास्थ्य-विकास मुद्दे से विरोधाभास है, उनको समिति से हटाने को कहा था।

स्वास्थ्य को वोट अभियान से जुड़े राहुल द्विवेदी ने कहा कि पिछले दो माह में उद्योग के हस्तक्षेप के चंद उदाहरण जनता के समक्ष आए। भारत ने विश्व तंबाकू नियंत्रण संधि (विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन टुबैको कंट्रोल) को पारित किया है जिसका आर्टिक्ल 5.3 के अनुसार, तंबाकू उद्योग और जन स्वास्थ्य नीति में सीधा विरोधाभास है। हमारे देश को भी राष्ट्र-स्तर पर सख्त नीति बनानी चाहिए जिससे कि स्वास्थ्य और विकास नीति में उद्योग का हस्तक्षेप बंद हो। मार्च माह में समाचार के अनुसार तंबाकू नियंत्रण संसदीय समिति के सदस्य ऐसे निकले जो बड़े तंबाकू व्यापार से भी जुड़े थे। हाल ही में तंबाकू उद्योग द्वारा आयोजित एशिया पैसिफिक टैक्स फोरम में सरकारी फ़ाइनेंस मंत्रालय आदि के जुड़े होने की खबर सामने आई."

मगसेसे पुरुस्कार प्राप्त और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय बिना विलंब सख्त आचार-संहिता को पारित करे जो सभी मंत्रालयों पर लागू हो जिससे कि सभी मंत्रालयों में स्वास्थ्य एवं विकास नीति में उद्योग के हस्तक्षेप बंद हो सके। कानून और न्याय मंत्रालय को सख्त कानून-नीति लानी चाहिए जिससे कि पूरी सरकारी व्यवस्था के हर स्तर पर उद्योग का हस्तक्षेप बंद हो। समाचार के अनुसार संसदीय कार्य मंत्रालय को प्रधान मंत्री ने संसदीय समिति से विरोधाभास वाले सदस्यों को हटाने को कहा है - यह पर्याप्त नहीं है। संभवत: वर्तमान में यदि किसी सांसद का संसदीय समिति से विरोधाभास निकलता है तो स्पीकर सिर्फ उसको समिति से हटने को कहते हैं। विरोधाभास न बताने की सज़ा अधिक गंभीर होनी चाहिए।"

डॉ संदीप पाण्डेय जो जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय से भी जुड़े हैं, ने कहा कि "जन स्वास्थ्य और विकास नीति और कार्यक्रम अन्य उद्योग से भी प्रभावित होते हैं जिससे कि उद्योग को मुनाफा हो-हमें यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि जन स्वास्थ्य और विकास नीति और कार्यक्रम हर स्तर पर सभी उद्योग के हस्तक्षेप से सुरक्षित रहे! जैसे कि खाद्य फास्ट-फूड उद्योग, दवा कंपनियाँ, शराब कंपनियाँ आदि।"

यदि सरकार ऐसे सख्त कदम उठाए और असल में संसदीय समिति से और जन स्वास्थ्य और विकास नीति और कार्यक्रम के हर स्तर से उद्योग हस्तक्षेप बंद करने के लिए मजबूत नीति लागू करे तो न केवल सरकारी कार्यक्रमों का लाभ जनता तक पहुंचेगा बल्कि विश्व तंबाकू संधि के आर्टिक्ल 5.3 के प्रति भारत के दायित्व भी पूरे होंगे।

बॉबी रमाकांत, सिटीज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस 
७ मई २०१५