यदि अस्थमा या दमा के साथ जीवित लोग सफलतापूर्वक दमा नियंत्रित रखें तो सामान्य ज़िंदगी जी सकते हैं। इस साल की विश्व दमा दिवस की थीम है: आप दमा नियंत्रित कर सकते हैं। हालांकि दमा का कोई उपचार नहीं है पर सफलतापूर्वक नियंत्रण संभव है। इंटरनेशनल यूनियन अगेन्स्ट टूबेर्कुलोसिस एंड लंग डीजीस (द यूनियन) के विशेषज्ञों ने बताया कि अस्थमा नियंत्रण का सबसे बड़ा बाधक यह है कि अस्थमा संबन्धित दवाएं कम कीमित पर व्यापक रूप से हर देश में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। अस्थमा ड्रग फैसिलिटी ने यह प्रमाणित कर दिया है कि अस्थमा संबन्धित गुणात्मक दवाएं कम कीमत पर देशों में उपलब्ध कराई जा सकती हैं।
केजीएमयू के पलमोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ सूर्य कान्त ने बताया कि अस्थमा संबन्धित जागरूकता का अभी भी अभाव है। कई भ्रांतियाँ है जैसे कि अस्थमा के साथ सामान्य भरपूर ज़िंदगी नहीं जिया जा सकता। परंतु सत्य यह है कि यदि अस्थमा का उचित प्रबंधन हो तो सामान्य ज़िंदगी जी जा सकती है। अनेक प्रमुख खेलकूद या सिनेमा स्टार अस्थमा के साथ सफल ज़िंदगी व्यतीत कर रहे हैं। दूसरी मिथ्या यह है कि लोगों को ‘इन्हेलर’ लेने की लत पड़ जाएगी जबकि सत्य यह है कि नशे और आदत में अंतर है। ‘इन्हेलर’ की आदत पड़ सकती है पर नशा नहीं। ‘इन्हेलर’ का इस्तेमाल करना अन्य स्वस्थ आदतों जैसा है, जैसे कि रोजाना दाँत मंजन करना, नहाना, भोजन करना, आदि। अस्थमा के सफल प्रबंधन और नियंत्रण के लिए ‘इन्हेलर’ अतिआवश्यक है जिसके माध्यम से अत्यंत कम मात्रा में दवा फेफड़े के अंदर सीधी पहुँचती है। यदि किसी की श्वास नाली कमजोर हो तो उसे ‘इन्हेलर’ का इस्तेमाल करना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे कमजोर नज़र के लोग चश्मा पहनते हैं। ‘इन्हेलर’ के दीघ्राकालीन उपयोग से कोई नुकसान नहीं है”।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पूरुस्कृत प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि तंबाकू के धुएँ से दमा के लक्षण अधिक संगीन हो सकते हैं। किसी भी प्रकार का तंबाकू सेवन यूं भी जानलेवा बीमारियों और असमय मृत्यु का खतरा बढ़ाता है। यदि दमा के साथ जीवित व्यक्ति तंबाकू धुएँ से सीधे या परोक्ष रूप से संपर्क में आता है, तो दमा बिगड़ सकता है और दमा नियंत्रण भी अधिक मुश्किल हो सकता है। तंबाकू के सेवन से बचें और दमा नियंत्रण सफलतापूर्वक करें।"
राहुल द्विवेदी, सिटीज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
२ मई २०१५
केजीएमयू के पलमोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ सूर्य कान्त ने बताया कि अस्थमा संबन्धित जागरूकता का अभी भी अभाव है। कई भ्रांतियाँ है जैसे कि अस्थमा के साथ सामान्य भरपूर ज़िंदगी नहीं जिया जा सकता। परंतु सत्य यह है कि यदि अस्थमा का उचित प्रबंधन हो तो सामान्य ज़िंदगी जी जा सकती है। अनेक प्रमुख खेलकूद या सिनेमा स्टार अस्थमा के साथ सफल ज़िंदगी व्यतीत कर रहे हैं। दूसरी मिथ्या यह है कि लोगों को ‘इन्हेलर’ लेने की लत पड़ जाएगी जबकि सत्य यह है कि नशे और आदत में अंतर है। ‘इन्हेलर’ की आदत पड़ सकती है पर नशा नहीं। ‘इन्हेलर’ का इस्तेमाल करना अन्य स्वस्थ आदतों जैसा है, जैसे कि रोजाना दाँत मंजन करना, नहाना, भोजन करना, आदि। अस्थमा के सफल प्रबंधन और नियंत्रण के लिए ‘इन्हेलर’ अतिआवश्यक है जिसके माध्यम से अत्यंत कम मात्रा में दवा फेफड़े के अंदर सीधी पहुँचती है। यदि किसी की श्वास नाली कमजोर हो तो उसे ‘इन्हेलर’ का इस्तेमाल करना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे कमजोर नज़र के लोग चश्मा पहनते हैं। ‘इन्हेलर’ के दीघ्राकालीन उपयोग से कोई नुकसान नहीं है”।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पूरुस्कृत प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि तंबाकू के धुएँ से दमा के लक्षण अधिक संगीन हो सकते हैं। किसी भी प्रकार का तंबाकू सेवन यूं भी जानलेवा बीमारियों और असमय मृत्यु का खतरा बढ़ाता है। यदि दमा के साथ जीवित व्यक्ति तंबाकू धुएँ से सीधे या परोक्ष रूप से संपर्क में आता है, तो दमा बिगड़ सकता है और दमा नियंत्रण भी अधिक मुश्किल हो सकता है। तंबाकू के सेवन से बचें और दमा नियंत्रण सफलतापूर्वक करें।"
राहुल द्विवेदी, सिटीज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
२ मई २०१५