178 देशों के साथ भारत ने तंबाकू कर नीति को पारित किया

178 देशों के साथ भारत ने आज विश्व तंबाकू नियंत्रण संधि की बैठक में विश्व व्यापी मजबूत तंबाकू कर नीति को पारित किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार प्राप्त सर्जन प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने कहा कि "अनेक शोध के अनुसार, तंबाकू कर बढ़ाने से दोहरा लाभ होता है: तंबाकू सेवन, विशेषकर में नए तंबाकू व्यसनी के दर में गिरवाट आती है, और तंबाकू जनित रोगों के उपचार आदि में हो रहे व्यय में भी कमी आती है। सरकार को अधिक राजस्व भी प्राप्त होता है।"

स्वास्थ्य को वोट अभियान के निदेशक राहुल द्विवेदी ने कहा कि "विश्व तंबाकू नियंत्रण संधि के तंबाकू कर नीति को लागू करने से और तंबाकू कर में वृद्धि करने से जन स्वास्थ्य को ठोस लाभ मिलेगा। सभी प्रकार के तंबाकू उत्पाद पर कर बढ़ना चाहिए। बीड़ी, छोटी सिगरेट और कम मात्रा की तंबाकू/ पान मसाला आदि पर कर कम क्यों है? सभी तंबाकू उत्पादनों पर एक्साइज़ में कम-से-कम 3 गुना वृद्धि होनी चाहिए। कच्ची तंबाकू पर भी कर लगे, यह हमारी सरकार से मांग है। प्रभावकारी तंबाकू नियंत्रण से ही जन स्वास्थ्य के लाभ मिलेंगे।"

भारत ने 178 देशों के साथ 'इंटरपोल' को विश्व तंबाकू नियंत्रण संधि में भाग लेने से माना किया क्योंकि इंटरपोल ने तंबाकू उद्योग से आर्थिक सहयोग लिया हुआ था। तंबाकू उद्योग के प्रतिनिधियों को भी बैठक से बाहर किया गया क्योंकि विश्व तंबाकू नियंत्रण संधि के आर्टिक्ल 5.3 के अनुरूप, तंबाकू उद्योग और जन स्वास्थ्य में उल्टा रिश्ता है। कॉर्पोरेट अक्कौंताबिलिटी इंटरनेशनल के जॉन स्टीवर्ट ने कहा कि "तंबाकू उद्योग को संधि की बैठक से बाहर करना एक सरहनीय कदम है। अनेक ऐसे प्रमाण हैं जब तंबाकू उद्योग ने जन स्वास्थ्य नीति में हस्तक्षेप किया है और कोशिश की है। जन स्वास्थ्य नीति को उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।"

इंटरनेशनल यूनियन अगेन्स्ट टीबी एंड लंग डीजीस की 2010 रिपोर्ट के अनुसार भारत में बनने वाली 52-70% बीड़ी पर कोई राजस्व नहीं लगा होता, या तो उद्योग कर नहीं देता या फिर वो संभवत: 20 लाख से कम बीड़ी का उत्पादन करता है। शायद इसीलिए बीड़ी के उत्पादन को घरों में असंगठित मजदूरों से करवाया जाता है। राहुल ने कहा की हमारी मांग है की सरकार सभी प्रकार की तंबाकू पर कर बढ़ाए।

सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
15 अक्टूबर 2014