
राहुल द्विवेदी जो सीएनएस औरआशा परिवार के स्वास्थ्य को वोट अभियान से जुड़े हैं, ने बताया कि "इसके अनुसार, खुली सिगरेट स्टिक बेचते हुए पहली बार पकड़े जाने पर १००० रूपये जुरमाना और १ साल की सजा तय है, दूसरी बार पकड़े जाने पर ३००० का जुरमाना और ३ साल की सजा तय है और यदि कोई खुली सिगरेट स्टिक बनाता पकड़ा गया तो १०,००० रूपये का जुरमाना और ५ साल की सजा तय है".
इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्लोसिस एंड लंग डीजीस के शोध के अनुसार, ७५% बिकने वाली सिगरेट खुली स्टिक के रूप में है जो ३५००० करोड़ के सिगरेट के व्यापर का ३०% है. खुली सिगरेट स्टिक बिकने पर प्रतिबन्ध लगाने से जो बच्चे और युवा आरंभ में प्रयोग करते हैं उसके गिरावट आएगी और जन स्वास्थ्य के रूप में अन्य लाभ भी मिलेंगे.
द्विवेदी ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सिगरेट की तुलना में पुरुष ५ गुना अधिक बीड़ी पीते हैं, और बीड़ी पीना १८ गुना अधिक महिलाओं में प्रचलित है. जाहिर है कि बीड़ी (और सभी तम्बाकू उत्पादों) पर वैट भी बढ़ना चाहिए. हमारी उत्तर प्रदेश सरकार से अपील है कि बीड़ी समेत सभी तम्बाकू उत्पादों पर वैट बढ़ाये.
भारत में प्रति वर्ष १० लाख से अधिक लोग तम्बाकू के कारण मृत होते हैं.
सिटीजन न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
७ अक्टूबर २०१५