क्या "सिम्प्लिसिटीबी" शोध से टीबी उपचार सरल बनेगा?

[English] विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम वैश्विक ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) रिपोर्ट के अनुसार, टीबी दवा प्रतिरोधकता (ड्रग रेजिस्टेंस) अत्यंत चिंताजनक रूप से बढ़ोतरी पर है । यदि किसी दवा से रोगी को प्रतिरोधकता उत्पन्न हो जाए तो वह दवा रोगी के उपचार के लिए निष्फल रहेगी। टीबी के इलाज के लिए प्रभावकारी दवाएँ सीमित हैं। यदि सभी टीबी दवाओं से प्रतिरोधकता उत्पन्न हो जाए तो टीबी लाइलाज तक हो सकती है। हर साल टीबी के 6 लाख नए रोगी टीबी की सबसे प्रभावकारी दवा 'रिफ़ेमपिसिन' से प्रतिरोधक हो जाते हैं और इनमें से 4.9 लाख लोगों को एमडीआर-टीबी होती है (एमडीआर-टीबी यानि कि 'रिफ़ेमपिसिन' और 'आइसोनीयजिड' दोनों दवाओं से प्रतिरोधकता)।

बिना स्वस्थ पर्यावरण के जन-स्वास्थ्य मुमकिन नहीं


[English] पर्यावरण के निरंतर पतन से जन स्वास्थ्य को भी चिंताजनक क्षति पहुँच रही है। डॉ ईश्वर गिलाडा जो पर्यावरण और श्वास-सम्बंधी रोगों पर हो रहे 24वें राष्ट्रीय अधिवेशन (नेसकॉन 2018) के सह-अध्यक्ष हैं ने कहा कि यदि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के लक्ष्य पूरे करने हैं तो पर्यावरण और श्वास सम्बंधी रोगों में अंतर-सम्बंध को समझना ज़रूरी है.

एड्स कार्यक्रम में ढील से ख़तरे में पड़ेंगी अबतक की उपलब्धियाँ

(सीएनएस) नीदरलैड्स में सम्पन्न हुए 22वें अंतरराष्ट्रीय एड्स अधिवेशन (एड्स 2018) के एक सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ ईश्वर गिलाडा ने कहा कि पिछले 15 सालों में एड्स कार्यक्रम ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। भारत सरकार अन्य 194 देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा 2015 में सतत विकास लक्ष्य हासिल करने का वादा भी कर चुकी है जिसमें 2030 तक  एड्स समाप्ति शामिल है (एड्स से मृत्यु दर और नए एचआईवी संक्रमण दर, दोनों शून्य हों; और सब एचआईवी पॉज़िटिव लोगों को एंटीरेट्रोवाइरल (एआरवी) दवा मिले और उनका वाइरल लोड नगण्य रहे)।