पूंजीवाद बनाम नारीवाद: सबके सतत विकास के लिए ज़रूरी है नारीवादी व्यवस्था


[English] एक ओर तो हमारी सरकारें सतत विकास की बात करने से नहीं थकती हैं, परंतु दूसरी ओर, जो वैश्विक व्यवस्था है - उसके तहत - सतत विकास लक्ष्यों के ठीक विपरीत कार्य करती हैं। मौजूदा वैश्विक व्यवस्था में प्राकृतिक संसाधनों के अनियंत्रित दोहन को 'विकास' के नाम पर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, धन और शक्ति अत्यंत कम लोगों के पास केंद्रित करने को 'विकास' से जोड़ा जाता है, सार्वजनिक सरकारी सेवाओं के निजीकरण को 'विकास' का चोला पहनाया जाता है, जिसके फलस्वरूप अधिकांश लोग सेवाओं के अभाव में और हाशिये पर रहने को मजबूर हो गये हैं और अनेक प्रकार के मानवाधिकार हनन और हिंसा के शिकार होते हैं।