तंबाकू नियंत्रण संधि परक्रामण को तंबाकू उद्योग से सबसे बड़ा खतरा

मुश्किलों के बावजूद देशों ने अवैध तंबाकू व्यापार पर विश्व-व्यापी प्रोटोकॉल अपनाया
[English] सियोल, दक्षिण कोरिया: आज विश्व तंबाकू नियंत्रण संधि को अधिक मजबूत करने के लिए एक सप्ताह की अवधि का परक्रामण आरंभ हुआ। विश्व तंबाकू नियंत्रण संधि, जो विश्व की पहली जन स्वास्थ्य और उद्योग की जवाबदेह ठहरने के लिए बनी संधि है उसको तंबाकू उद्योग से निरंतर चुनौती मिलती रही है।

इस संधि को प्रशासनिक रूप से समर्थन देने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, संधि के परक्रामण और उसको लागू करने में सबसे बड़ी एकमात्र चुनौती तंबाकू उद्योग से है।  पर तंबाकू उद्योग के दबाव बनाने के निरंतर प्रयास के बावजूद, इस संधि को पारित करने वाले 176 देशों ने से उम्मीद है कि वें ऐसे ठोस कदम उठाएंगे जिनके कारणवश 200 मिलियन जीवन बच सकें।

जॉन स्टीवार्ट, जो कॉर्पोरेट अकाउंटेबिलिटी इंटरनेशनल के चैलेंज बिग टुबैको अभियान के निदेशक हैं उनके अनुसार “पूर्व संधि परक्रामण के बाद इन दो सालों के समयकाल में इस संधि के खिलाफ तंबाकू उद्योग अपनी लड़ाई को अधिक तीव्रता से आगे ले आया है। डराना, धमकाना, सरकारों के साथ मिली साठगाठ करना, और कानून का उलंघन करना – तंबाकू उद्योग के कुछ प्रचलित तरीके हैं जिनसे वो संधि के खिलाफ कार्य कर रहा है। जिस तरह से ऑस्ट्रेलिया और नॉर्वे देशों ने तंबाकू उद्योग के दबाव का करारा जबाब दिया है, उसी तरह से हमें पूरी उम्मीद है कि सियोल में हो रहे संधि परक्रामण में इस संधि को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से अधिक सुरक्षा मिलेगी”।

आज सोमवार 12 नवम्बर 2012 को संधि परक्रामण में तंबाकू के अवैध व्यापार के खिलाफ प्रोटोकॉल को पारित किया गया। तंबाकू अवैध व्यापार न केवल तंबाकू नियंत्रण को कमजोर करता है बल्कि उसकी वजह से तस्करों और तंबाकू निर्माताओं को अत्यधिक मुनाफा होता है, और सरकारों को राजस्व, कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य संबन्धित सेवाओं में अरबों रुपया का नुकसान उठाना पड़ता है।

फिलीपीन्स की हेल्थ जस्टिस से जुड़ी जन-स्वास्थ्य अधिवक्ता आइरीन रीयस के अनुसार, “लगभग पाँच सालों से तंबाकू उद्योग ने इस संधि के विरोध में अपनी लड़ाई निरंतर जारी रखी है जिसके कारणवश संधि विकास में व्यवधान, जन स्वास्थ्य नीति को चुनौती और तंबाकू उद्योग का स्वयं-अपने आप पर अवैध-व्यापार संबन्धित निगरानी रखना आदि कदम शामिल हैं। तंबाकू अवैध व्यापार के खिलाफ संधि प्रोटोकॉल के पारित होने से यह साफ ज़ाहिर है कि संधि को पारित करने वाले 176 देश जन स्वास्थ्य के समर्थन में और तंबाकू उद्योग के खिलाफ ठोस भूमिका लेने के लिए वचनबद्ध हैं। हालांकि हम लोगों ने संधि परक्रामण को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाने का पूरा प्रयास किया है परंतु अब तंबाकू अवैध व्यापार के खिलाफ संधि प्रोटोकॉल को लागू करने की चुनौती को भी तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना है और उसका सामना करना है”।

तंबाकू अवैध व्यापार प्रोटोकॉल का पारित होना इस संधि परक्रामण के मुख्य नतीजों में से एक है। अन्य मुख्य नतीजे जो इस संधि परक्रामण में हो सकते हैं वें इस प्रकार हैं:

•कर संबन्धित गाइडलाइंस पारित हो: तंबाकू यद्योग कर संबन्धित गाइडलाइंस को पारित करने के प्रयास का भरसक विरोध करता आया है और यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है। विशेषकर युवाओं में तंबाकू नशे को कम करने में तंबाकू उत्पादनों पर कर बढ़ाना सबसे सफल कदमों में से एक रहा है।

•तंबाकू उद्योग की ‘कोर्ट केस से डराने’ की नीति का विरोध: पिछले संधि परक्रामण के बाद से तंबाकू उद्योग ने विश्व में अनेक जगह कोर्ट केस दाखिल कर के तंबाकू नियंत्रण को शिथिल करने का भरसक प्रयास किया है। उसने व्यापार समझौते के बहाने संधि का विरोध किया जब अनेक देश संधि के तंबाकू नियंत्रण प्रावधानों को लागू करने का प्रयास कर रहे थे। पिछले संधि परक्रामण में उरुगुयाय घोषणापत्र जारी किया गया था, उरुगुयाय को तंबाकू उद्योग ने कोर्ट में घसीटा जब उसने तंबाकू उत्पादनों पर सख्त चित्रमय चेतावनी जारी करने का प्रयास किया। हम लोगों का मानना है कि जन स्वास्थ्य को व्यापार से अधिक प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

•तंबाकू उद्योग को जवाबदेह ठेहरना और हरजाना प्राप्त करना: संधि को पारित करने वाले देशों को यह विशेष प्रावधान है कि वें आपस में एक दूसरे की कानूनन और अन्य रूप से मदद करें जिससे कि तंबाकू उद्योग को उसके द्वारा की गयी हानि के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सके और जहां मुमकिन हो उससे हरजाना प्राप्त किया जा सके। जैसे कि अमरीका में मास्टर सेटेलमेंट एग्रीमंट के जरिये से तंबाकू उद्योग पर मुकदमा चलाया गया था और उसके बाद अधिवक्ताओं का हौसला बढ़ा जो उससे पहले तंबाकू उद्योग से सीधे सामने से बच रहे थे, उसी तरह अन्य देशों में भी ऐसे कदम उठने चाहिए। उम्मीद है कि इस सप्ताह संधि परक्रामण में कुछ ऐसे निर्णय होंगे जिससे कि अन्य देशों में भी तंबाकू उद्योग को जिम्मेदार ठहराया जा सके और तंबाकू से होने वाले रोगों के व्यय के लिए और तंबाकू नियंत्रण के लिए आर्थिक मदद प्राप्त की जा सके।

•चेक रिपब्लिक को चुनौती: चेक रिपब्लिक ने हाल ही में (जून 2012) इस संधि को पारित किया है। परंतु उन्होने इसको एक शर्त पर पारित किया है कि वें संधि के विपरीत तंबाकू उद्योग को जन स्वास्थ्य नीति में शामिल करेंगे। यह संधि के सभी प्रावधानों को कमजोर करने का प्रयास है। उम्मीद है कि संधि को पारित करने वाले देश चेक रिपब्लिक के इस शर्त पर संधि पारित करने की कड़ी आलोचना करेंगे।

•तंबाकू उत्पादनों की सामाग्री को सार्वजनिक करना: इस संधि परक्रामण में तंबाकू उत्पादनों की सामाग्री को सार्वजनिक करने के लिए गाइडलाइंस भी पारित हो, ऐसा हम सबका मानना है।

सिटिज़न न्यूज़ सर्विस