[English] ‘दक्षिण-एशिया के समाचार पत्रों के प्रथम-पृष्ठ का जेंडर मूल्यांकन’ रिपोर्ट को स्वास्थ्य को वोट अभियान, आशा परिवार, और सिटिज़न न्यूज़ सर्विस – सीएनएस ने लखनऊ में जारी किया। यह रिपोर्ट दक्षिण-एशिया के पाँच देशों (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्री लंका) के मुख्य अँग्रेजी समाचार पत्रों के एक माह के अंकों के प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित समाचारों के जेंडर मूल्यांकन पर आधारित है। यह एक प्रारम्भिक रिपोर्ट है और इस विषय पर अधिक व्यापक और गहन अध्ययन की आवश्यकता है।
इस अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता, लोरेटो कान्वेंट की पूर्व शिक्षिका और सीएनएस संपादिका शोभा शुक्ला ने बताया कि: “यह अध्ययन पाँच मुख्य बिन्दुओं पर आधारित था। हम लोगों ने कुछ समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठों पर प्रकाशित समाचारों का जेंडर मूल्यांकन पाँच बिन्दुओं पर किया: पुरुषों की तुलना में, कितने समाचार महिला पत्रकार की बाईलाइन के साथ प्रकाशित थे; कितने समाचार-शीर्षक में महिलाओं का नाम था; कितनी महिला विशेषज्ञों को समाचार में स्थान मिला था; समाचारों में कितनी महिलाओं का जिक्र था; और पुरुषों की तुलना में महिलाओं की कितनी तस्वीरें थीं।
शोभा शुक्ला ने बताया कि: “इस अध्ययन से कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आए जिसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं की उपस्थिति नगण्य थी। 25 में से मात्र 5 मामलों को छोड़ कर महिलाओं की उपस्थिति समाचारों में केवल 0% से 20% के बीच थी। श्री लंका में प्रथम पृष्ठ पर महिलाओं की उपस्थिति अन्य देशों के मुक़ाबले सबसे अधिक थी (27%), उसके बाद भारत (19%) और बांग्लादेश (19%), पाकिस्तान (9%) और नेपाल (9%) रहे”।
शोभा शुक्ला ने बताया कि यह प्रारम्भिक अध्ययन है और एक अधिक व्यापक अध्ययन के द्वारा यह देखने की आवश्यकता है कि क्या महिलाओं को मीडिया संस्थानों में प्रमुख पदों पर कार्यभार देने से समाचारों में लिंग-भेदभाव पर वांछनीय प्रभाव पड़ सकता है।
सिटीजन न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
जनवरी 2013
इस अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता, लोरेटो कान्वेंट की पूर्व शिक्षिका और सीएनएस संपादिका शोभा शुक्ला ने बताया कि: “यह अध्ययन पाँच मुख्य बिन्दुओं पर आधारित था। हम लोगों ने कुछ समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठों पर प्रकाशित समाचारों का जेंडर मूल्यांकन पाँच बिन्दुओं पर किया: पुरुषों की तुलना में, कितने समाचार महिला पत्रकार की बाईलाइन के साथ प्रकाशित थे; कितने समाचार-शीर्षक में महिलाओं का नाम था; कितनी महिला विशेषज्ञों को समाचार में स्थान मिला था; समाचारों में कितनी महिलाओं का जिक्र था; और पुरुषों की तुलना में महिलाओं की कितनी तस्वीरें थीं।
शोभा शुक्ला ने बताया कि: “इस अध्ययन से कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आए जिसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं की उपस्थिति नगण्य थी। 25 में से मात्र 5 मामलों को छोड़ कर महिलाओं की उपस्थिति समाचारों में केवल 0% से 20% के बीच थी। श्री लंका में प्रथम पृष्ठ पर महिलाओं की उपस्थिति अन्य देशों के मुक़ाबले सबसे अधिक थी (27%), उसके बाद भारत (19%) और बांग्लादेश (19%), पाकिस्तान (9%) और नेपाल (9%) रहे”।
• पुरुषों की तुलना में, कितने समाचार महिला पत्रकार की बाईलाइन के साथ प्रकाशित थे: भारत (30%), श्री लंका (15%), पाकिस्तान (9.5%), नेपाल (3.5%), बांग्लादेश (0%)
• पुरुषों की तुलना में, कितने समाचार-शीर्षक में महिलाओं का नाम था: बांग्लादेश (22%), भारत (17%), पाकिस्तान (16%), श्री लंका (15%), नेपाल (0%)
• पुरुषों की तुलना में, कितनी महिला विशेषज्ञों को समाचार में स्थान मिला था: श्री लंका (17%), बांग्लादेश (15%), भारत (12.5%), पाकिस्तान (4%), नेपाल (2%)
• पुरुषों की तुलना में, समाचारों में कितनी महिलाओं का जिक्र था: श्री लंका (44%), भारत (20%), बांग्लादेश (20%), पाकिस्तान (10.6%), नेपाल (6%)
• पुरुषों की तुलना में, महिलाओं की कितनी तस्वीरें थीं: श्री लंका (31%), बांग्लादेश (25%), भारत (18%), नेपाल (17.5%), पाकिस्तान (10%)
शोभा शुक्ला ने बताया कि यह प्रारम्भिक अध्ययन है और एक अधिक व्यापक अध्ययन के द्वारा यह देखने की आवश्यकता है कि क्या महिलाओं को मीडिया संस्थानों में प्रमुख पदों पर कार्यभार देने से समाचारों में लिंग-भेदभाव पर वांछनीय प्रभाव पड़ सकता है।
सिटीजन न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
जनवरी 2013