ज़िम्बाबवे में डायबिटीज़ : यह केवल शक्कर का मामला नहीं है
(मसिम्बा बिरिवाषा द्वारा लिखे गए लेख का हिन्दी अनुवाद)
मैं ज़िम्बाबवे में ही पला, बढ़ा हूँ। बचपन से ही मैं बड़े बूढों को हमेशा ही डायबिटीज़ के बारे में बात करते सुनता आया। यहाँ तक कि इस रोग का डर मेरे ऊपर एक विष बेल की तरह फैलता चला गया।
मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को स्थानीय भाषा में ‘आने शुगा’ कहा जाता था, जिसका अर्थ है: “उस को शक्कर है”।वास्तव में इसका मतलब था कि उस व्यक्ति को शक्कर से सम्बंधित बीमारी है।
अपने बाल मन की कल्पना से मैं यह सोचता था कि जिन लोगों को डायबिटीज़ की बीमारी होती है वे बहुत शक्कर खाते हैं। बाद में मैंने जाना कि यह केवल मेरा ही बचपना न था, वरन जन मानस में भी यही धारणा प्रचलित थी।
अधिकतर ज़िम्बाबवे वासी मधुमेह का सीधा सम्बन्ध अधिक शक्कर खाने से जोड़ते हैं, विशेषकर चाय में अधिक शक्कर। बहुत कम लोग ही यह जानते हैं कि अधिक वसा, कार्बो हाईड्रेट और प्रोटीन खाने से भी इस रोग का खतरा बढ़ जाता है।
बड़े होने पर मैंने जाना कि डायबिटीज़ मेलिटस नामक रोग तब होता है जब या तो हमारी पाचक ग्रंथी उचित मात्रा में इंस्युलिन नहीं बना पाती, या फिर जो इंस्युलिन बनता है वह ठीक से काम नहीं करता। इसलिए, रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बहुत बढ़ जाती है।
जानकारों के अनुसार, ज़िम्बाबवे में मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। २००३ में, यहाँ इस बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या ९०,००० थी, जो १९९७ की संख्या से ३००० अधिक थी।
ज़िम्बाबवे के डायबिटीज़ असोसिअशन का अनुमान है कि देश में करीब ४००,००० लोग इस बीमारी का शिकार हैं, परन्तु ५०% लोग अपनी इस दशा से अनभिज्ञ हैं। उन्हें डायबिटीज़ के बारे में कोई जानकारी नहीं है। असोसिअशन के एक अधिकारी का कहना है कि यह वास्तव में बड़े दु:ख की बात है। कई लोग अनजाने में ही इस बीमारी काशिकार होकर, मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं। केवल उनके सम्बन्धियों को ही पोस्ट मॉर्टम की रिपोर्ट के बाद मृत्यु का असली कारण पता चल पाता है।
सारा ध्यान एड्स एवं टी.बी. जैसी बीमारियों पर केंद्रित होने के कारण, डायबिटीज़ के विषय में कोई बात नहीं करी जाती है, जबकि इसकी रोकथाम से सम्बंधित जानकारी का प्रसार करने हेतु पूंजी निवेश करके अनेकों जीवन बचाए जा सकते हैं।
आवश्यकता है उचित खान पान की आदतों का समर्थन करने की। सम्बंधित जानकारी को स्कूलों, अस्पतालों एवं सामुदायिक केन्द्रों के माध्यम से प्रसारित किया जा सकता है। पारंपरिक लोक नेताओं को इस कार्य में शामिल करने से यह संदेश और अधिक ग्राह्य हो सकेगा।
इसके अलावा, माता पिता को अपने बच्चों के खान पान का ध्यान रखने योग्य समुचित जानकारी होना आवश्यक है। विशेषज्ञों का मानना है कि ज़िम्बाबवे के पारंपरिक भोजन को बढ़ावा देकर, इस रोग से लड़ा जा सकता है।जनता को व्यायाम के महत्त्व को भी समझना होगा।
उचित जानकारी देकर, जन मानस में व्याप्त इस ग़लत धारणा को भी तोड़ना होगा कि यह बीमारी चाय में अधिक शक्कर लेने के कारण होती है। इस रोग के बारे में सही, वैज्ञानिक, एवं विश्वसनीय जानकारी, जन साधारण को बताना बहुत आवश्यक है।
डायबिटीज़ के निवारण हेतु प्रयासों को बढ़ावा देकर हम सरकारी, सामुदायिक एवं व्यक्तिगत स्तर पर डायबिटीज़ उपचार पर किए जा रहे खर्चों को काफी कम कर सकते हैं।
ज़िम्बाबवे के निवासियों को यह पता होना अति आवश्यक है कि डायबिटीज़ केवल शक्कर से सम्बंधित बीमारी नहीं है, तथा इसकी रोकथाम करी जा सकती है।
चीफ के. मसिम्बा बिरिवाषा
(बिरिवाषा, ज़िम्बाबवे के एक ख्याति प्राप्त कथाकार, कवि, नाटककार, जन सेवक एवं पत्रकार हैं। वे स्वास्थ्य संबंधी अनेक लेख लिख चुके हैं। इस समय वे फ्रांस में रहते हैं।)