‘‘अधिकांश तम्बाकू सेवन 18 वर्ष से पहले ही आरम्भ होता है। इसीलिए बच्चों एवं युवाओं को तम्बाकू जनित जानलेवा रोगों एवं व्याधियों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य है जिससे कि वें जिन्दगी चुनें, तम्बाकू नहीं’’ कहा छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा0 रमा कान्त ने। प्रो0 डा0 रमा कान्त, लक्ष्मणपुरी, फैज़ाबाद रोड स्थित फारमेटिव डे कालेज के छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे। प्रो0 रमा कान्त भारत के पहले सर्जन हैं जिनको वर्ष 2005 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक का विशेष अंतर्राष्ट्रीय पुरूस्कार मिला है।
फारमेटिव डे कालेज की प्राधानाचार्या सुश्री अर्चना सक्सेना ने कहा कि ‘‘मैं अपने शैक्षिक संस्थान परिसर को तम्बाकू मुक्त रखने का पूरा प्रयास करती हूँ। बच्चों और युवाओं को तम्बाकू से दूर रहना चाहिए’’।
प्रो0 डा0 रमा कान्त ने कहा कि ‘‘बच्चों एवं युवाओं में तम्बाकू नियंत्रण करना व्यापक तम्बाकू नियंत्रण योजना का एक अहम भाग है’’।
प्रो0 डा0 रमा कान्त ने कहा कि ‘‘भारत में तम्बाकू से हर वर्ष 10 लाख से अधिक लोग मृत्यु को प्राप्त होते हैं। बच्चों और युवाओं को तम्बाकू कम्पनियों के प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष भ्रामक प्रचार से दूर रहना चाहिए और उससे प्रभावित नहीं होना चाहिए। उनको तम्बाकू सेवन की असली तस्वीर जो जानलेवा बीमारियों से जुड़ी है उससे परिचित होना चाहिए जिससे कि वें जिन्दगी चुनें, तम्बाकू नहीं’’।
प्रो0 डा0 रमा कान्त जिनको केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का अनुशंसा पुरूस्कार भी 1997 में मिल चुका है उन्होंने कहा कि ‘‘लगभग आधी तम्बाकू जनित मृत्यु 35-69 वर्ष के दौरान होती है। धूम्रपान से अधिकांश मरने वाले लोग अत्याधिक धूमपान नहीं करते थे परन्तु अधिकांश ने तम्बाकू सेवन युवावस्था में आरम्भ किया था। 30-40 साल के लोग जो तम्बाकू सेवन करते हैं, उनको हृदय रोग होने का पांच गुणा अधिक खतरा रहता है। तम्बाकू जनित हृदय रोग एवं कैंसर तम्बाकू व्यसनियों की मौत का सबसे बड़ा कारण है’’।
आज छात्रों के लिए एक वृत्तचित्र ‘तम्बाकू सेवन से होने वाले नुकसान’ भी प्रदर्शित किया गया जिसमें तम्बाकू के जानलेवा रोगों से ग्रसित लोगों का दास्तान है।