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बच्चों में दमा का अनुपात नि:संदेह चिंताजनक है. बच्चों में होने वाली दीर्घकालिक बीमारियों में दमा का अनुपात सबसे अधिक है. इंटरनैशनल यूनियन अगेंस्ट टुबेरकुलोसिस एंड लंग डिसीज़ (द यूनियन) के निदेशक डॉ नील्स बिल्लो का कहना है कि "जब दमा नियंत्रण के लिए उपचार और विधियाँ उपलब्ध हैं तो जरूरतमंद लोगों तक पहुँचने में विलम्ब क्यों हो रही है? यदि दमा का सही विधिवत उपचार न हो या दमा उपचार लोगों की पहुँच के बाहर हो, तो आम लोग कार्यस्थल या विद्यालय आदि नहीं पहुँच पाते हैं, अपने परिवार, समुदाय और समाज के विकास के लिए अपना सहयोग नहीं दे पाते हैं और अक्सर उनको आकस्मक चिकित्सकीय सहायता की जरुरत पड़ती है जो कहीं अधिक महंगी पड़ती है. हर जरूरतमंद दमा ग्रस्त व्यक्ति तक दमा की सेवाएँ पहुंचनी चाहिए."
विश्व में २३५ मिलियन लोगों को दमा है. इन लोगों को जब दमा का दौरा पड़ता है तो सामान्य सांस लेने के लिए अत्यंत संघर्ष करना पड़ता है जिसकी वजह से उनके जीवन की गुणात्मकता कम हो जाती है, विकृत हो जाती है और मृत्यु तक हो सकती है. यदपि दमा उपचार उपलब्ध है परन्तु अधिकाँश लोगों के पहुँच के बाहर है.