फोटो साभार: राजीव यादव |
असंगठित क्षेत्र में न्यूनतम मजदूरी रुपए 440 प्रतिदिन की मांग को लेकर आज 25 दिसम्बर 2012 को तीसरे दिन भी विधान सभा के सामने अनशन जारी रहा। अनशन पर मग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ संदीप पाण्डेय, श्री अनिल मिश्रा व श्री मुन्नालाल शुक्ला बैठे हैं।
मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने हेतु वेजबोर्ड को निर्णय लेना होगा। मंहगाई और गरीब-अमीर के बीच बढ़ती खाई को देखते हुए दैनिक मजदूरी में वृद्धि आवश्यक है। मजदूरी करने का काम एक मजदूर आयोग भी कर सकता है। किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को निर्धारित करने के लिए समाजवादी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में किसान आयोग का वायदा किया गया था। जो किसान की लागत मूल्य से डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करेगा। 6 महीने बीतने के बाद भी किसान आयोग गठित करने की कोई कवायद शुरु नहीं हुई। न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावां एक बड़ा सवाल है कि दलालों के कारण किसानों को नियत मूल्य न मिलना। वसूली और दलाली की व्यवस्था खत्म हुए बिना मजूदर किसान के गरीबी से उबरने की कोई संभावना नहीं है। अनशन के माध्यम से सपा सरकार से यह अपेक्षा है कि राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखाते हुए मजदूर-किसान से वसूली और उनके साथ दलाली की व्यवस्था को पूर्णतया समाप्त करें। इसी तरह गरीबों को मिलने वाली सुविधाओं में भ्रष्टाचार की वजह से भी देश से गरीबी दूर नहीं हो रही है। कल्याणकारी योजनाओं में भी सरकार को दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाते हुए भ्रष्टाचार को शून्य करना चाहिए।
कुशीनगर में खेती की जमीन पर मैत्रेय परियोजना जो एक बार रदद् होने के बाद सरकार उसे वापस ले आई है। किसान विरोधी इस परियोजना के जरिए जिस तरह 273 एकड़ खेती योग्य जमीन को किसानों को जबरदस्ती मुआवजा देकर छीना जा रहा है। अनशनकारियों ने मैत्रेय परियोजना को रद्द करने की मांग उठाई। अनशन के समर्थन में अपनी मांगों के साथ विशेष शिक्षक एवं अभिभावक संघ के सदस्य भी शामिल हो रहे हैं। सरकार के विज्ञापन से जो भ्रम की स्थिति पैदा हुई है उसे दूर करते हुए पहले से कार्यरत विशेष शिक्षकों को नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने की मांग भी अनशन के माध्यम से उठाई जा रही है।
आतंकवाद के आरोप में लखनऊ जेल में बंद पश्चिम बंगाल के जलालुद्दीन के रिश्तेदार जिब्राइल भी धरने में शामिल हुए और मांग की कि आंतकवाद के आरोप में बंद बेगुनहों को तत्काल छोड़ा जाय। लखनऊ विधान सभा के सामने सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय अनिश्चितकालीन अनशन कर यह सवाल उठा रहे हैं कि पांच साल पहले 2007 में 12 दिसंबर को तारिक और 16 दिसंबर को खालिद को गिरफ्तार कर उनको फर्जी तरीके से 22 दिसंबर को बाराबंकी से गिरफ्तार दिखाया गया। आज जब आरडी निमेष रिपोर्ट भी इनकी बेगुनाही का सबूत है तो आखिर सरकार क्यों नहीं रिपोर्ट को सार्वजनकि कर निर्दोषों को छोड़ती। 2007 में तत्कालीन मुख्यंमंत्री को मारने के नाम पर चिनहट लखनऊ में दो कश्मीरी शाल बेचने वाले युवकों की 23 दिसंबर को फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई थी तो वहीं 31 दिसंबर की रात रामपुर सीआरपीएफ कैंप में नए साल के जश्न में शराब के नशे में धुत जवानो ने आपस में गोलीबारी की। जिसको छिपाने के लिए आतंकवादी घटना कहा गया और कुंडा प्रतापगढ़ के कौशर फारुकी, मुरादाबाद से जंगबहादुर, रामपुर से शरीफ, बहेड़ी बरेली से गुलाब, मधुबनी से सबाउद्दीन, मुंबई से फहीम अंसारी समेत अनेकों बेगुनाहों को रामपुर सीआरपीएफ कैंप आतंकवादी घटना के नाम पर कैद कर रखा है। जबकि पिछले दिनों मुंबई हमले के एक मामले में फहीम और सबाउद्दीन को बरी कर दिया गया। सीआरपीएफ कैंप जो आतंकवादी हमला था ही नहीं उसके नाम पर ये बेगुनाह जेलों में सड़ रहे हैं और इनकों छोड़ने के नाम पर सत्ता में आई सपा सरकार वादा खिलाफी कर रही है। बेगुनाहों की रिहाई का आंदोलन सरकार को मजबूर कर देगा कि वो बेगुनाहों को रिहा करे और घटनाओं की जांच करा कर दोषियों को सजा दे।
अनशन में सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय महासचिव ओमकार सिंह, रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब, जौनपुर से एडवोकेट अकील शाहनी, पीयूसीएल दिल्ली से महताब आलम, आजमगढ़ से आरिफ नसीम, संजीव पाण्डे, शाहनवाज आलम, किरन, श्री प्रकाश, अब्दुल नबी, मुन्नालाल, बृजेश दिक्षित, धरामा देवी, सुषमा, राजीव यादव सहित हरदोई-उन्नाव के अन्य ग्रामीण शामिल हुए।
सिटीजन न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
दिसम्बर 2012