विश्व में 3 अरब से अधिक लोग रोजाना भोजन बनाने के लिए लकड़ी, कोयले या अन्य प्रकार के ठोस ईंधन का प्रयोग करते हैं जिनके कारणवश जानलेवा रोग होने का खतरा अनेक गुना बढ़ता है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डीजीस रिपोर्ट के अनुसार, 40 लाख मृत्यु प्रति-वर्ष सिर्फ भोजन बनाने के लिए ठोस ईंधन के इस्तेमाल से होती हैं। भारत में 10 लाख मृत्यु प्रति वर्ष इसी कारण से होती हैं, जिसके बावजूद भारत सरकार ने सुरक्षित और स्वास्थ्य-वर्धक चूल्हों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। यह केंद्रीय विचार था आज सी-2211 इन्दिरा नगर स्थित प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त केंद्र पर आयोजित मीडिया संवाद का। इसको स्वास्थ्य को वोट अभियान, सीएनएस, आशा परिवार, और जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय ने आयोजित किया था।
राजनीतिक दलों को अनुशासित करने की कोशिशें
इधर तीन ऐसे फैसले आ गए हैं जिन्होंने राजनीतिक दलों की स्वच्छंद कार्यशैली पर कुछ अंकुश लगाने की मंशा व्यक्त की है। इससे तेज बहस छिड़ गई है और राजनीतिक दल किसी भी किस्म के अनुशासन में बंधने को तैयार नहीं दिखते। किन्तु जनता की सोच अलग है।
वास्तविक और आदर्श सेवाओं में अंतर दर्शाते हैं - डबल्यूएचओ के नए एचआईवी दिशानिर्देश
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