लेखक कवल भारती की कल हुई गिरफ्तारी के विरोध में लखनऊ विधान सभा मार्ग स्थित अम्बेडकर भवन में विभिन्न जन संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं, लेखकों, साहित्यकारों, रंगकर्मियों एवं पत्रकारों का जमावड़ा हुआ। पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद के नेतृत्व में कवल भारती की गिरफ्तारी के विरोध में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हुए हमले के विरोध में अम्बेडकर भवन से हजरतगंज स्थित अम्बेडकर प्रतिमा तक सैकड़ों समाजिक कार्यकर्ताओं ने पैदल मार्च किया।
इस मार्च में शामिल संगठनों में अम्बेडकर महासभा, पी.यू.सी.एल., शहरी गरीब कामगार संघर्ष मोर्चा, एपवा, रिक्शा मजदूर यनियन, वर्कर काउंसिल, महिला फेडरेशन, राज्य मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति, फ्रैंट्स फार सोशल डेमोक्रेसी, जन संस्कृति मंच, प्रगतिशील लेखक संघ, प्रमुख थे।
अम्बेडकर प्रतिमा पर पहुंच कर यह पैदल यात्रा एक सभा में तब्दील हो गयी। सभा का संचालन करते हुए आशीष अवस्थी ने बताया कि किस तरह से समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश की सरकार ने कल सुबह लेखक कवल भारती को अपना वक्तव्य फेसबुक पर लिखने के अपराध में गिरफ्तार कराया और उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप आज सभी जागरूक साथी यहॉं पर एकत्र होकर अपना विरोध सरकार के समक्ष दर्ज करा रहे हैं।
अम्बेडकर प्रतिमा पर आयोजित सभा को संबोधित करने वाले प्रमुख लोगों में माता प्रसाद, पूर्व राज्यपाल, एच.एल. दुसाध, डी.के. आनन्द, कौशल किसोर, लालजी निर्मल, सिद्धार्थ कलहंस, अम्बरीष कुमार, प्रदीप कपूर, अजय सिंह, भगवान स्वरूप कटियार, सत्येन्द्र, के.के. शुक्ला, पवन उपाध्याय, आशा मिश्रा, सुधांशु, ताहिरा हसन, वन्दना मिश्रा, शकील सिद्दीकी, सुरेश गौतम थे। सभा का समापन अरविन्द विद्रोही ने इस अपील के साथ किया कि सभी उपस्थित लोग इस लड़ाई को फेसबुक के माध्यम से भी आगे बढ़ायें।
उपस्थित वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि कवल भारती की गिरफ्तारी लोकतंत्र पर हमला है। यह मुकदमा सरकार को वापस लेना पड़ेगा। इस घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए, ऐसा काम आपातकाल में हुआ था और अब उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी सरकार ने किया। समाजवाद का नाम लेकर अखिलेश सरकार फांसीवादी तरीका अपनाये हुए है। यह कृत्य आजम खान के इसारे पर पुलिस ने किया है। कवल भारती का गनाह सच्चाई बयान करना व हकीकत को लिखना है। सरकार की इस मनमानी के खिलाफ बड़ा आन्दोलन व सम्मेलन कराये जाने की बात भी वक्ताओं ने करी।
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति के सचिव सिद्धार्थ कलहंस ने कहा कि महाराष्ट्र की शिव सेना और उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में कोई अन्तर नहीं रहा। दोनों, सच लिखने और बयां करने वालों का दमन करने में, पीछे नहीं रहती। सरकार ने कवल भारती का मामला अब क्राइम ब्रांच को सौंपा है आशंका है कि आने वाले समय में अभिव्यक्ति पर पावंदी लगाने के और प्रयास होंगे, खतरा और बढ़ेगा।
ताहिरा हसन ने अपने संबोधन में कहा कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में संविधान और लोकतंत्र का गला घोंट रही है और समाजवादी का ढोंग कर रही है। जब भी पूजीवादी ताकतें ताकतवर होती हैं तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ती है।
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
अगस्त 2013
इस मार्च में शामिल संगठनों में अम्बेडकर महासभा, पी.यू.सी.एल., शहरी गरीब कामगार संघर्ष मोर्चा, एपवा, रिक्शा मजदूर यनियन, वर्कर काउंसिल, महिला फेडरेशन, राज्य मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति, फ्रैंट्स फार सोशल डेमोक्रेसी, जन संस्कृति मंच, प्रगतिशील लेखक संघ, प्रमुख थे।
अम्बेडकर प्रतिमा पर पहुंच कर यह पैदल यात्रा एक सभा में तब्दील हो गयी। सभा का संचालन करते हुए आशीष अवस्थी ने बताया कि किस तरह से समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश की सरकार ने कल सुबह लेखक कवल भारती को अपना वक्तव्य फेसबुक पर लिखने के अपराध में गिरफ्तार कराया और उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप आज सभी जागरूक साथी यहॉं पर एकत्र होकर अपना विरोध सरकार के समक्ष दर्ज करा रहे हैं।
अम्बेडकर प्रतिमा पर आयोजित सभा को संबोधित करने वाले प्रमुख लोगों में माता प्रसाद, पूर्व राज्यपाल, एच.एल. दुसाध, डी.के. आनन्द, कौशल किसोर, लालजी निर्मल, सिद्धार्थ कलहंस, अम्बरीष कुमार, प्रदीप कपूर, अजय सिंह, भगवान स्वरूप कटियार, सत्येन्द्र, के.के. शुक्ला, पवन उपाध्याय, आशा मिश्रा, सुधांशु, ताहिरा हसन, वन्दना मिश्रा, शकील सिद्दीकी, सुरेश गौतम थे। सभा का समापन अरविन्द विद्रोही ने इस अपील के साथ किया कि सभी उपस्थित लोग इस लड़ाई को फेसबुक के माध्यम से भी आगे बढ़ायें।
उपस्थित वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि कवल भारती की गिरफ्तारी लोकतंत्र पर हमला है। यह मुकदमा सरकार को वापस लेना पड़ेगा। इस घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए, ऐसा काम आपातकाल में हुआ था और अब उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी सरकार ने किया। समाजवाद का नाम लेकर अखिलेश सरकार फांसीवादी तरीका अपनाये हुए है। यह कृत्य आजम खान के इसारे पर पुलिस ने किया है। कवल भारती का गनाह सच्चाई बयान करना व हकीकत को लिखना है। सरकार की इस मनमानी के खिलाफ बड़ा आन्दोलन व सम्मेलन कराये जाने की बात भी वक्ताओं ने करी।
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति के सचिव सिद्धार्थ कलहंस ने कहा कि महाराष्ट्र की शिव सेना और उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में कोई अन्तर नहीं रहा। दोनों, सच लिखने और बयां करने वालों का दमन करने में, पीछे नहीं रहती। सरकार ने कवल भारती का मामला अब क्राइम ब्रांच को सौंपा है आशंका है कि आने वाले समय में अभिव्यक्ति पर पावंदी लगाने के और प्रयास होंगे, खतरा और बढ़ेगा।
ताहिरा हसन ने अपने संबोधन में कहा कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में संविधान और लोकतंत्र का गला घोंट रही है और समाजवादी का ढोंग कर रही है। जब भी पूजीवादी ताकतें ताकतवर होती हैं तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ती है।
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
अगस्त 2013