सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का कहना है कि अरविंद केजरीवाल का ताजा आरोप मीडिया पर है। उनका कहना है कि मीडिया पैसे लेकर नरेन्द्र मोदी को ज्यादा दिखा रही है। उन्होंने जब उनकी सरकार बन जाएगी तो जांच करवा कर सबको जेल भेजने का भी ऐलान कर दिया है। सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मेगसेसे पुरुस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय का कहना है कि केजरीवाल को यह याद रखना चाहिए कि उनका आंदोलन भी मीडिया की ही देन है।
डॉ पाण्डेय ने कहा कि देश भर में कितने मुद्दों पर कितने आंदोलन होते हैं। इम्फाल में इरोम शर्मीला को अनशन पर बैठे 13 वर्ष से ऊपर हो गए किंतु देश के लोग ठीक से न तो इरोम शर्मीला को जानते हैं और न ही उसके मुद्दे को समझते हैं। अप्रैल 2011 में अण्णा हजारे जब अनशन पर बैठे तो टी.वी. चैनलों ने 24 घंटों का प्रसारण क्यों शुरु कर दिया यह अभी भी कई लोगों के लिए रहस्य है। संघर्षों में जुझारुपन और विचारधारा की प्रतिबद्धता की दृष्टि से मेधा पाटकर का दर्जा देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं में सबसे ऊंचा है। किंतु उनके किसी अनशन को इस तरह मीडिया ने जगह नहीं दी जैसी कि अण्णा हजारे के आंदोलन या अरविंद की पार्टी को। मेधा पाटकर ने जो दर्जा अपने काम और मेहनत से प्राप्त किया वह अरविंद केजरीवाल ने मीडिया की मदद से प्राप्त कर लिया और विडम्बना यह है कि जिस मीडिया को वे कोस रहे हैं वह अब उन्हें मेधा पाटकर से ज्यादा बड़ा दिखा रही है। अरविंद को शिकायत करने का तो कोई अधिकार ही नहीं।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के उत्तर प्रदेश राज्य अध्यक्ष गिरीश कुमार पांडे का कहना है कि केजरीवाल की कार्यशैली अधिनायकवादी है जो उनके दर्शन स्वाराज्य के विपरीत है। असल में स्वाराज्य पर कोई जमीनी काम करने के बजाए वे उस दर्शन को मीडिया के माध्यम से ही भुनाना चाहते हैं। बिना मेहनत किए कोई जमीनी आधार खड़ा करने के बजाए वे मीडिया के सहारे एक लहर पैदा कर चुनाव जीतना चाहते हैं। जब इस खेल में भाजपा से वे पीछे हो रहे हैं तो झल्ला रहे हैं। यानी जब तक मीडिया ने उनका साथ दिया और जरुरत से ज्यादा जगह दी जब तक तो ठीक थी लेकिन जब मीडिया ने साथ देना बंद कर दिया तो वह गलत हो गई।
गिरीश पांडे ने बताया कि जहां तक जेल भेजने की बाद है तो दिल्ली सरकार में रहते हुए तो मौका था कि शीला दीक्षित आदि को जेल भेज सकते थे जैसा उन्होंने वायदा किया था। किंतु जेल तो कोई गया नहीं, उनकी सरकार जरुर चली गई।
सोशलिस्ट पार्टी का मानना है कि मीडिया पैसा लेकर खबरें छापती है यह तो गलत है और उसके खिलाफ कार्यवाही होनी ही चाहिए। किंतु जिस होशियारी से अरविंद केजरीवाल ने सनसनीखेज बयानबाजी और कार्यवाहियों से मीडिया का इस्तेमाल किया क्या वह नैतिक रुप से सही है?
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
मार्च 2014
डॉ पाण्डेय ने कहा कि देश भर में कितने मुद्दों पर कितने आंदोलन होते हैं। इम्फाल में इरोम शर्मीला को अनशन पर बैठे 13 वर्ष से ऊपर हो गए किंतु देश के लोग ठीक से न तो इरोम शर्मीला को जानते हैं और न ही उसके मुद्दे को समझते हैं। अप्रैल 2011 में अण्णा हजारे जब अनशन पर बैठे तो टी.वी. चैनलों ने 24 घंटों का प्रसारण क्यों शुरु कर दिया यह अभी भी कई लोगों के लिए रहस्य है। संघर्षों में जुझारुपन और विचारधारा की प्रतिबद्धता की दृष्टि से मेधा पाटकर का दर्जा देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं में सबसे ऊंचा है। किंतु उनके किसी अनशन को इस तरह मीडिया ने जगह नहीं दी जैसी कि अण्णा हजारे के आंदोलन या अरविंद की पार्टी को। मेधा पाटकर ने जो दर्जा अपने काम और मेहनत से प्राप्त किया वह अरविंद केजरीवाल ने मीडिया की मदद से प्राप्त कर लिया और विडम्बना यह है कि जिस मीडिया को वे कोस रहे हैं वह अब उन्हें मेधा पाटकर से ज्यादा बड़ा दिखा रही है। अरविंद को शिकायत करने का तो कोई अधिकार ही नहीं।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के उत्तर प्रदेश राज्य अध्यक्ष गिरीश कुमार पांडे का कहना है कि केजरीवाल की कार्यशैली अधिनायकवादी है जो उनके दर्शन स्वाराज्य के विपरीत है। असल में स्वाराज्य पर कोई जमीनी काम करने के बजाए वे उस दर्शन को मीडिया के माध्यम से ही भुनाना चाहते हैं। बिना मेहनत किए कोई जमीनी आधार खड़ा करने के बजाए वे मीडिया के सहारे एक लहर पैदा कर चुनाव जीतना चाहते हैं। जब इस खेल में भाजपा से वे पीछे हो रहे हैं तो झल्ला रहे हैं। यानी जब तक मीडिया ने उनका साथ दिया और जरुरत से ज्यादा जगह दी जब तक तो ठीक थी लेकिन जब मीडिया ने साथ देना बंद कर दिया तो वह गलत हो गई।
गिरीश पांडे ने बताया कि जहां तक जेल भेजने की बाद है तो दिल्ली सरकार में रहते हुए तो मौका था कि शीला दीक्षित आदि को जेल भेज सकते थे जैसा उन्होंने वायदा किया था। किंतु जेल तो कोई गया नहीं, उनकी सरकार जरुर चली गई।
सोशलिस्ट पार्टी का मानना है कि मीडिया पैसा लेकर खबरें छापती है यह तो गलत है और उसके खिलाफ कार्यवाही होनी ही चाहिए। किंतु जिस होशियारी से अरविंद केजरीवाल ने सनसनीखेज बयानबाजी और कार्यवाहियों से मीडिया का इस्तेमाल किया क्या वह नैतिक रुप से सही है?
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
मार्च 2014