बाबी रमाकांत, सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
भारत सरकार ने २ माह पहले दुनिया की अन्य सरकारों के साथ, संयुक्त राष्ट्र की ७०वीं महासभा में वैश्विक सतत विकास लक्ष्य २०३० को पारित तो कर दिया, पर क्या हम इन लक्ष्यों की ओर तेज़ी से प्रगति कर रहे हैं या पीछे जा रहे हैं? उदहारण के तौर पर, आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में मातृत्व मृत्यु दर ९२ प्रति १००,००० जीवित-शिशु जन्म है. वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ३.१ के अनुसार २०३० तक मातृत्व मृत्यु दर ७० प्रति १००,००० जीवित शिशु जन्म से कम होना है।
प्रदेश में नवजात शिशु मृत्यु दर ३९ प्रति १००० जीवित-जन्म है, और ५ साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर ४१ प्रति १००० जन्म है. वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ३.२ के अनुसार, २०३० तक जिन कारणों से बचाव मुमकिन है, उनसे ५ साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर २५ प्रति १००० जन्म से कम हो जाना चाहिए, और नवजात शिशु मृत्यु दर १२ प्रति १००० जीवित जन्म से कम हो जाना चाहिए।
वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ३.७ के अनुसार “२०३० तक, सभी लोगों को प्रजनन और यौन स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त होनी चाहिए, जिनमें परिवार नियोजन, जानकारी और शिक्षा, और राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों में प्रजनन और यौन स्वास्थ्य शामिल होना चाहिए. वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ३.८ के अनुसार, २०३० तक सभी लोगों को वे स्वास्थ्य सेवाएँ मिले जिनकी उन्हें जरुरत है, और दवाएं और वैक्सीन आदि सुरक्षित, गुणात्मक और सभी लोगों के पहुँच के भीतर हों।
फॅमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (हैदराबाद इकाई) की डॉ रेनू कपूर ने सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस) से कहा कि वैश्विक सतत विकास लक्ष्य २०३० जिन ३ स्तंभों के संतुलन पर आधारित हैं – आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण – उनमें – प्रजनन और यौन स्वास्थ्य एवं अधिकार निहित हैं। गरीबी और भुखमरी समापन के लिए, स्वास्थ्य स्तर में सुधर करने के लिए, किशोरी और महिलाएं तक गुणात्मक शिक्षा पहुचाने के लिए, लिंग जनित असमानता समाप्त करने के लिए, महिलाएं और किशोरी को सशक्त करने के लिए - यह जरुरी है कि २०३० वैश्विक सतत विकास लक्ष्य को हम एकीकरण स्वरुप में और व्यापकता से देखें और लिंग जनित असमानता की चुनौती को नज़रंदाज़ न करें।
वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ५ का भी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, और अन्य भारतीय प्रदेशों के लिए भी, बड़ा महत्त्व है। लक्ष्य ५.१ के अनुसार, “महिलाओं और किशोरियों के प्रति हर जगह हर किस्म का भेदभाव और शोषण समाप्त होना चाहिए। लक्ष्य ५.२ के अनुसार, महिलाओं और किशोरियों के प्रति सार्वजनिक और निजी स्थानों पर हर किस्म की हिंसा का अंत हो, जिसमें देह व्यापार और यौनिक हिंसा एवं अन्य प्रकार का शोषण शामिल है। लक्ष्य ५.३ के अनुसार, बाल विवाह, कम उम्र में विवाह, जबरन विवाह, आदि भी समाप्त होने चाहिए।
वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ८.५ के अनुसार, २०३० तक, सभी महिलाओं और पुरुषों को पूर्णकालिक और उपयुक्त रोज़गार मिलना चाहिए, जिसमें युवा वर्ग और वे लोग जो शारीरिक अक्षमता के साथ जीवित हैं, वे भी शामिल हैं। उम्मीद है कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारें वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों पर खरी उतरेंगी।
बाबी रमाकांत, सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
३ दिसम्बर २०१५
भारत सरकार ने २ माह पहले दुनिया की अन्य सरकारों के साथ, संयुक्त राष्ट्र की ७०वीं महासभा में वैश्विक सतत विकास लक्ष्य २०३० को पारित तो कर दिया, पर क्या हम इन लक्ष्यों की ओर तेज़ी से प्रगति कर रहे हैं या पीछे जा रहे हैं? उदहारण के तौर पर, आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में मातृत्व मृत्यु दर ९२ प्रति १००,००० जीवित-शिशु जन्म है. वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ३.१ के अनुसार २०३० तक मातृत्व मृत्यु दर ७० प्रति १००,००० जीवित शिशु जन्म से कम होना है।
प्रदेश में नवजात शिशु मृत्यु दर ३९ प्रति १००० जीवित-जन्म है, और ५ साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर ४१ प्रति १००० जन्म है. वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ३.२ के अनुसार, २०३० तक जिन कारणों से बचाव मुमकिन है, उनसे ५ साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर २५ प्रति १००० जन्म से कम हो जाना चाहिए, और नवजात शिशु मृत्यु दर १२ प्रति १००० जीवित जन्म से कम हो जाना चाहिए।
वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ३.७ के अनुसार “२०३० तक, सभी लोगों को प्रजनन और यौन स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त होनी चाहिए, जिनमें परिवार नियोजन, जानकारी और शिक्षा, और राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों में प्रजनन और यौन स्वास्थ्य शामिल होना चाहिए. वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ३.८ के अनुसार, २०३० तक सभी लोगों को वे स्वास्थ्य सेवाएँ मिले जिनकी उन्हें जरुरत है, और दवाएं और वैक्सीन आदि सुरक्षित, गुणात्मक और सभी लोगों के पहुँच के भीतर हों।
फॅमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (हैदराबाद इकाई) की डॉ रेनू कपूर ने सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस) से कहा कि वैश्विक सतत विकास लक्ष्य २०३० जिन ३ स्तंभों के संतुलन पर आधारित हैं – आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण – उनमें – प्रजनन और यौन स्वास्थ्य एवं अधिकार निहित हैं। गरीबी और भुखमरी समापन के लिए, स्वास्थ्य स्तर में सुधर करने के लिए, किशोरी और महिलाएं तक गुणात्मक शिक्षा पहुचाने के लिए, लिंग जनित असमानता समाप्त करने के लिए, महिलाएं और किशोरी को सशक्त करने के लिए - यह जरुरी है कि २०३० वैश्विक सतत विकास लक्ष्य को हम एकीकरण स्वरुप में और व्यापकता से देखें और लिंग जनित असमानता की चुनौती को नज़रंदाज़ न करें।
वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ५ का भी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, और अन्य भारतीय प्रदेशों के लिए भी, बड़ा महत्त्व है। लक्ष्य ५.१ के अनुसार, “महिलाओं और किशोरियों के प्रति हर जगह हर किस्म का भेदभाव और शोषण समाप्त होना चाहिए। लक्ष्य ५.२ के अनुसार, महिलाओं और किशोरियों के प्रति सार्वजनिक और निजी स्थानों पर हर किस्म की हिंसा का अंत हो, जिसमें देह व्यापार और यौनिक हिंसा एवं अन्य प्रकार का शोषण शामिल है। लक्ष्य ५.३ के अनुसार, बाल विवाह, कम उम्र में विवाह, जबरन विवाह, आदि भी समाप्त होने चाहिए।
वैश्विक सतत विकास लक्ष्य ८.५ के अनुसार, २०३० तक, सभी महिलाओं और पुरुषों को पूर्णकालिक और उपयुक्त रोज़गार मिलना चाहिए, जिसमें युवा वर्ग और वे लोग जो शारीरिक अक्षमता के साथ जीवित हैं, वे भी शामिल हैं। उम्मीद है कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारें वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों पर खरी उतरेंगी।
बाबी रमाकांत, सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
३ दिसम्बर २०१५