बाबी रमाकांत, सिटीजन न्यूज सर्विस (सीएनएस)
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना प्रदेशों में देश केअन्य सभी प्रदेशों की तुलना में, सबसे अधिक एचआईवीके साथ जीवित लोग हैं, १.७ लाख. भारत में कुल नए एचआईवी संक्रमण में से आधे ४ प्रदेशों में होते हैं: आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तामिल नाडू और कर्नाटक।
२०१५ विश्व एड्स दिवस के उपलक्ष्य में हम यह विवेचना करें कि भारत सरकार के लिए हुए वादे को (कि २०३० तक एड्स समाप्त हो जायेगा) हम आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कैसे पूरा करेंगे. ज्ञात हो कि भारत सरकार ने २ माह पहले दुनिया की अन्य सरकारों के साथ, संयुक्त राष्ट्र की ७०वीं महासभा में वैश्विक सतत विकास लक्ष्य २०३० को पारित तो कर दिया, पर क्या हम इन लक्ष्यों की ओर तेज़ी से प्रगति कर रहे हैं या पीछे जा रहे हैं? इनमें से ही एक लक्ष्य है (नंबर ३.३) जिसके अनुसार, २०३० तक, भारत समेत सभी देश एड्स, टीबी, मलेरिया, अन्य काला अजार जैसी बीमारियाँ, आदि को समाप्त कर देंगे।
आंकड़ोंको देखें तो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पुरुष कंडोम के उपयोग का दर ०.५% है. इतने प्रयासों के बाद भी इतना कम पुरुष कंडोम दर - न केवल एचआईवी कार्यक्रम और प्रजनन और यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए चेतावनी दे रहा है, बल्कि यह भी दर्शा रहा है कि महिला-पुरुष असमानता प्रदेश में अभी भी चिंताजनक स्तर तक व्याप्त है।
अब नसबंदी दर को ही देख लें. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में महिला नसबंदी का दर है ६२.९% परन्तु पुरुष नसबंदी का दर मात्र २.९% है. नि:संदेह लिंग-जनित असमानता अभी भी एक बड़ी चुनौती है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अपूरित परिवार नियोजन आवश्यकताएं 16% हैं, जो अत्यंत गंभीर विषय है. फॅमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की हैदराबाद इकाई की प्रबंधक डॉ रेनू कपूर ने सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस) को बताया कि “यदि हम सही मायने में प्रजनन और यौन स्वास्थ्य के प्रति समर्पित हैं तो बिना प्रजनन और यौन स्वास्थ्य की जरूरतों को पूरा करें यह लक्ष्य कैसे पूरा होंगे?”
महिला कंडोम की जानकारी का दर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की महिलाओं में ६.९% है और पुरुषों में 17.१% है। महिला कंडोम अमरीकी ऍफ़डीए ने १९९२ में पारित कर दिया था, पर २३ साल बाद भी इसका जन-स्वास्थ्य लाभ हमारी महिलाओं को (और पुरुषों को) नहीं मिल पा रहा है। जब जानकारी ही नहीं है तो उपयोग कैसे होगा?
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ३५% महिलाएं ऐसी है जिनतक आधुनिक परिवार नियोजन के तरीके नहीं पहुँच रहे हैं. गर्भ-निरोधक गोली सेवन का दर सिर्फ ०.३% है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के स्वास्थ्य कार्यक्रमों को, वैश्विक सतत विकास लक्ष्य २०३० के मद्देनज़र अपने सभी कार्यक्रमों के मध्य समन्वयन में सुधार के साथ-साथ, अंतर-विभागीय समन्वयन भी बेहतर करना होगा जिससे कि दोनों प्रदेश २०३० लक्ष्यों की ओर तेज़ी से अग्रसर हों।
बाबी रमाकांत, सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
५ दिसम्बर, २०१५
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना प्रदेशों में देश केअन्य सभी प्रदेशों की तुलना में, सबसे अधिक एचआईवीके साथ जीवित लोग हैं, १.७ लाख. भारत में कुल नए एचआईवी संक्रमण में से आधे ४ प्रदेशों में होते हैं: आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तामिल नाडू और कर्नाटक।
२०१५ विश्व एड्स दिवस के उपलक्ष्य में हम यह विवेचना करें कि भारत सरकार के लिए हुए वादे को (कि २०३० तक एड्स समाप्त हो जायेगा) हम आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कैसे पूरा करेंगे. ज्ञात हो कि भारत सरकार ने २ माह पहले दुनिया की अन्य सरकारों के साथ, संयुक्त राष्ट्र की ७०वीं महासभा में वैश्विक सतत विकास लक्ष्य २०३० को पारित तो कर दिया, पर क्या हम इन लक्ष्यों की ओर तेज़ी से प्रगति कर रहे हैं या पीछे जा रहे हैं? इनमें से ही एक लक्ष्य है (नंबर ३.३) जिसके अनुसार, २०३० तक, भारत समेत सभी देश एड्स, टीबी, मलेरिया, अन्य काला अजार जैसी बीमारियाँ, आदि को समाप्त कर देंगे।
आंकड़ोंको देखें तो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पुरुष कंडोम के उपयोग का दर ०.५% है. इतने प्रयासों के बाद भी इतना कम पुरुष कंडोम दर - न केवल एचआईवी कार्यक्रम और प्रजनन और यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए चेतावनी दे रहा है, बल्कि यह भी दर्शा रहा है कि महिला-पुरुष असमानता प्रदेश में अभी भी चिंताजनक स्तर तक व्याप्त है।
अब नसबंदी दर को ही देख लें. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में महिला नसबंदी का दर है ६२.९% परन्तु पुरुष नसबंदी का दर मात्र २.९% है. नि:संदेह लिंग-जनित असमानता अभी भी एक बड़ी चुनौती है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अपूरित परिवार नियोजन आवश्यकताएं 16% हैं, जो अत्यंत गंभीर विषय है. फॅमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की हैदराबाद इकाई की प्रबंधक डॉ रेनू कपूर ने सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस) को बताया कि “यदि हम सही मायने में प्रजनन और यौन स्वास्थ्य के प्रति समर्पित हैं तो बिना प्रजनन और यौन स्वास्थ्य की जरूरतों को पूरा करें यह लक्ष्य कैसे पूरा होंगे?”
महिला कंडोम की जानकारी का दर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की महिलाओं में ६.९% है और पुरुषों में 17.१% है। महिला कंडोम अमरीकी ऍफ़डीए ने १९९२ में पारित कर दिया था, पर २३ साल बाद भी इसका जन-स्वास्थ्य लाभ हमारी महिलाओं को (और पुरुषों को) नहीं मिल पा रहा है। जब जानकारी ही नहीं है तो उपयोग कैसे होगा?
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ३५% महिलाएं ऐसी है जिनतक आधुनिक परिवार नियोजन के तरीके नहीं पहुँच रहे हैं. गर्भ-निरोधक गोली सेवन का दर सिर्फ ०.३% है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के स्वास्थ्य कार्यक्रमों को, वैश्विक सतत विकास लक्ष्य २०३० के मद्देनज़र अपने सभी कार्यक्रमों के मध्य समन्वयन में सुधार के साथ-साथ, अंतर-विभागीय समन्वयन भी बेहतर करना होगा जिससे कि दोनों प्रदेश २०३० लक्ष्यों की ओर तेज़ी से अग्रसर हों।
बाबी रमाकांत, सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
५ दिसम्बर, २०१५