श्री लंका मलेरिया मुक्त घोषित हुआ: पर चौकन्ना रहे!

श्री लंका के मलेरिया-उन्मूलन कार्यक्रम की निरंतरता और दृढ़ता को आज वैश्विक प्रशंसा प्राप्त हो रही है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ६ सितम्बर २०16 को श्री लंका को मलेरिया मुक्त देश का दर्जा दिया है. श्री लंका को मलेरिया मुक्त होने की सफलता दशकों चली मलेरिया नियंत्रण की एक लम्बी लड़ाई के बाद मिली है.

पिछले दशकों में श्री लंका को सिर्फ सफलता ही हाथ नहीं लगी बल्कि कुछ बार तो करारी निराशा भी पल्ली पड़ी. परन्तु श्री लंका के मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम की दृढ़ता ही है जो बाधाओं के बावजूद डटा रहा और मलेरिया उन्मूलन का सपना साकार हुआ. श्री लंका का आधिकारिक रूप से मलेरिया मुक्त घोषित होना एशिया पैसिफिक क्षेत्र के देशों को भी हिम्मत देता है कि मलेरिया मुक्त होना संभव है.


हाल ही में, एशिया पसिफ़िक क्षेत्र के देशों के प्रधानमंत्रियों/ राष्ट्रपतियों ने २०३० तक मलेरिया मुक्त होने का वादा किया था और पिछले ईस्ट-एशिया-समिट में भारत समेत अनेक देशों ने एशिया पसिफ़िक लीडर्स मलेरिया अलायन्स (APLMA) के रोडमैप को भी पारित किया था जो पूरे क्षेत्र को मलेरिया मुक्त बनाने में कारगर होगा.

विश्व स्वास्थय संगठन मलेरिया-मुक्त होने का प्रमाणपत्र तभी देता है जब एक देश यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध करे कि कम-से-कम ३ साल से देश-भर में मलेरिया के स्थानिक संक्रमण फैलने की कड़ी टूट गयी है. श्री लंका में आखरी स्थानिक मलेरिया संक्रमण की रिपोर्ट २०१२ में आई थी.

एशिया पसिफ़िक लीडर्स मलेरिया अलायन्स (APLMA) के बोर्ड अध्यक्ष और इंडोनेशिया की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ नफीसा म्बोई ने कहा कि यह श्री लंका के दशकों के अथक प्रयासों का नतीजा है कि आज वो मलेरिया मुक्त हो पाया है. श्री लंका का मलेरिया मुक्त होना क्षेत्र के अनेक देशों को भी उम्मीद देता है कि पूरा क्षेत्र भी २०३० या उससे पहले मलेरिया मुक्त हो सकेगा.

श्री लंका ने मलेरिया नियंत्रण का प्रयास 1911 में आरंभ किया पर शीघ्र ही १९३४-१९३५ में उससे निराशा हाथ लगी जब मलेरिया फिर से महामारी के रूप में उभर कर आ गयी. श्री लंका मलेरिया नियंत्रण के लिए प्रयासरत रहा और डटा रहा पर १९६० के दशक में एक बार फिर गंभीर असफलता हाथ लगी जब मलेरिया के हजारों रोगी देश भर में उभर आये. श्री लंका में ३० साल चले अलगाववादी आन्दोलन ने देश के स्वास्थय प्रणाली को ध्वस्त किया, पर श्री लंका ने मलेरिया को दशक भर में ही सफलतापूर्वक नियंत्रित किया. १९९९ में श्री लंका में २५०,००० मलेरिया रोगी सालाना थे और २०११ में मात्र १२४. श्री लंका में २०१२ में एक भी मलेरिया का रोगी रिपोर्ट नहीं हुआ और २००७ से एक भी मलेरिया सम्बंधित मृत्यु नहीं रिपोर्ट हुई है.

अब चुनौती यह है कि श्री लंका में मलेरिया दुबारा से नहीं पनप पाए जिसको रोकने के लिए हर स्तर पर प्रयास होते रहना चाहिए. वैज्ञानिक रूप से सशक्त निगरानी रखनी होगी कि बरसों के निवेश और अथक प्रयास पर पानी न फिरे.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के ग्लोबल हेल्थ ग्रुप के निदेशक सर रिचर्ड फीचम ने कहा कि श्री लंका का मलेरिया मुक्त होना नि:संदेह एक प्रशंसनीय उपलब्धि है परन्तु चौकन्ना रहना आवश्यक है. यदि सभी देश मिलजुल कर सहयोग के साथ मलेरिया उन्मूलन के लिए संघर्षरत रहें तो दक्षिण एशिया क्षेत्र का मलेरिया मुक्त होने का सपना साकार हो सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताज़े आंकड़ों के अनुसार २००० की तुलना में एशिया पैसिफिक देशों में मलेरिया केस की संख्या में ४५% की गिरावट आई है. प्रभावकारी मलेरिया नियंत्रण के कारण स्वास्थ्य पर होने वाले लाखों का खर्च बच रहा है. परन्तु सभी देशों को अभी मलेरिया उन्मूलन के लिए अधिक दृढ़ता और बेहतर समन्वयन के साथ प्रयासरत रहना है जिससे कि २०३० या उससे पहले सम्पूर्ण क्षेत्र ही मलेरिया मुक्त हो सके.

बाबी रमाकांत, सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस)
६ सितम्बर २०१६ 

Published In
Citizen News Service, India 
Ham Samvet
Sehat