भारत में फेफड़े सम्बंधित रोगों के बढ़ते हुए दर ने जन-स्वास्थ्य के समक्ष एक गंभीर चुनौती उत्पन्न कर दी है. यदि मजबूत, पर्याप्त और समोचित कदम नहीं उठाये गए तो स्वच्छ हवा और स्वस्थ फेफड़े हम लोगों के लिए दुर्लभ हो जायेंगे. 18वें फेफड़े रोगों पर राष्ट्रीय अधिवेशन (नेपकॉन 2016) के आयोजक अध्यक्ष, डायरेक्टर प्रोफेसर (डॉ) केसी मोहंती ने बताया, कि “हाल ही में उत्तर-केन्द्रीय भारत में, ‘स्मोग’ ने आम जन-जीवन कुंठित कर दिया था और उसका अत्याधिक आर्थिक व्यय भी सबको उठाना पड़ा था. यह जन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जरुरी है कि आकस्मिक ठोस कदम लिए जाएँ जिससे कि सभी जन मानस स्वच्छ हवा में स्वस्थ फेफड़े से सांस ले और पूर्ण रूप से देश निर्माण में सहयोग कर सके.”
गंभीर जन स्वास्थ्य चुनौती हैं फेफड़े सम्बंधित रोग
भारत में फेफड़े सम्बंधित रोगों के बढ़ते हुए दर ने जन-स्वास्थ्य के समक्ष एक गंभीर चुनौती उत्पन्न कर दी है. यदि मजबूत, पर्याप्त और समोचित कदम नहीं उठाये गए तो स्वच्छ हवा और स्वस्थ फेफड़े हम लोगों के लिए दुर्लभ हो जायेंगे. 18वें फेफड़े रोगों पर राष्ट्रीय अधिवेशन (नेपकॉन 2016) के आयोजक अध्यक्ष, डायरेक्टर प्रोफेसर (डॉ) केसी मोहंती ने बताया, कि “हाल ही में उत्तर-केन्द्रीय भारत में, ‘स्मोग’ ने आम जन-जीवन कुंठित कर दिया था और उसका अत्याधिक आर्थिक व्यय भी सबको उठाना पड़ा था. यह जन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जरुरी है कि आकस्मिक ठोस कदम लिए जाएँ जिससे कि सभी जन मानस स्वच्छ हवा में स्वस्थ फेफड़े से सांस ले और पूर्ण रूप से देश निर्माण में सहयोग कर सके.”
संधि-वार्ता में तम्बाकू उद्योग हस्तक्षेप को रोकने के लिए सरकारें प्रतिबद्ध
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