संधि-वार्ता में तम्बाकू उद्योग हस्तक्षेप को रोकने के लिए सरकारें प्रतिबद्ध

विश्व स्वास्थ्य संगठन तम्बाकू संधि वार्ता के उद्घाटन सत्र में सरकारों ने उद्योग के हस्तक्षेप को रोकने की मांग की: आज 18 देशों की सरकारों ने, जो 5.7 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जन स्वास्थ्य निति में तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप को मजबूती से रोकने की मांग की. इन देशों की अपील एक खुले पत्र के रूप में आज विश्व स्वास्थ्य संगठन की अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण संधि वार्ता के पहले दिन जारी की गयी. 18 देशों की सरकारों के इस पत्र के साथ ही 115 गैर-सरकारी संगठनों ने भी विश्व स्वास्थ्य संगठन अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण संधि से तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप पर पूर्ण: रोक लगाने की मांग करते हुए पत्र को पिछले सप्ताह जारी किया था.

ग्रेटर नॉएडा, इंडिया, में हो रहे इस संधि वार्ता में 180 देशों और यूरोपियन यूनियन की सरकारें भाग ले रही हैं. इस संधि का औपचारिक नाम है the seventh session of the Conference of the Parties to the Framework Convention on Tobacco Control (FCTC).

आशा है कि इस संधि वार्ता में सरकारें मजबूत जन-स्वास्थ्य नीतियों को लागू करने की दिशा में आगे बढेंगी जैसे कि तम्बाकू उत्पाद की 'प्लेन पैकेजिंग', अधिक प्रभावकारी चित्रमय चेतावनी आदि. पिछली ऐसी बैठकों में तम्बाकू उद्योग ने तम्बाकू नियंत्रण नीतियों को कमजोर ही किया है और उनके लागू करने में अवरोध ही पैदा किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की संधि रिपोर्ट ने इस हस्तक्षेप को चिन्हित करते हुए कहा कि "तम्बाकू उद्योग इस संधि को लागू करने में सबसे बड़ी रुकावट है".

यूगांडा की स्वास्थ्य मंत्रालय से डॉ शीला न्द्यानाबानगी ने कहा कि दुनिया भर में जन स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती तम्बाकू उद्योग ही है. वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि के सरकारी प्रतिनिधित्व के रूप में हम सब का दायित्व है कि हम बिना विलम्ब आकास्मक और कठोर कदम उठाये जिससे कि जन-स्वास्थ्य नीतियाँ बनने की प्रक्रिया से तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप पर पूर्ण: रूप से रोक लग सके".

तम्बाकू नियंत्रण संधि के आर्टिकल 5.3 के अनुसार, जन स्वास्थ्य निति और तम्बाकू उद्योग में मूल विरोधाभास है. तम्बाकू उद्योग के अपने ही दस्तावेजों के अनुसार (जो अब सार्वजनिक हैं) जन-स्वास्थ्य नीतियों में उद्योग हस्तक्षेप करता रहा है और उनको निष्क्रिय करने के लिए प्रयासरत रहा है. तमाम प्रयासों के बावजूद भी तम्बाकू उद्योग इस संधि में हस्तक्षेप जारी रखे है जैसे कि घूस दे कर, सरकारी प्रतिनिधि मंडल में शामिल हो कर या 'पब्लिक' के रूप में संधि वार्ता में अन्दर आ कर.

जैसा कि बीबीसी ने नवम्बर 2015 में उजागर किया था, ब्रिटिश अमेरिकन तंबाकू ने बुरुंडी के एक स्वास्थ्य मंत्रालय और संधि प्रतिनिधि को घूस दी जिससे कि उद्योग के हित सुरक्षित रहे और तम्बाकू नियंत्रण निष्फल हो. विश्व स्वास्थ्य संगठन की संधि वार्ता में तम्बाकू उद्योग का हस्तक्षेप इतना अधिक रहा है कि पिछले दो वार्ताओं में उद्योग को वार्ता से बाहर निकाला गया है.

कॉर्पोरेट एकाउंटेबिलिटी इंटरनेशनल के उप-निदेशक जॉन स्टीवर्ट ने कहा कि उरुग्वे और ऑस्ट्रेलिया देशों को कानूनी रूप से उद्योग ने धमकाने की कोशिश की जो जन-स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है. क्योंकि उद्योग बेहिचक झूठ बोलता रहा है, भ्रामक करता रहा है, इसीलिए सरकारें ठोस और मजबूत कदम उठाने के लिए विवश हैं.

हर साल तम्बाकू से ६० लाख लोग मृत होते हैं जिनमें से भारत में ही १० लाख मृत्यु होती हैं. तम्बाकू से पड़ने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आर्थिक भार 104500 करोड़ आँका गया है. तम्बाकू असमय मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है जिससे बचाव मुमकिन है. तम्बाकू महामारी के लिए ऐसे उद्योग पूर्णत: जिम्मेदार हैं जिनका आर्थिक आंकलन अनेक देशों के जीडीपी से अधिक है!

बाबी रमाकांत, सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस)