डॉ चैन ने यह बात इस आशय से कही थी कि तम्बाकू उद्योग को तम्बाकू नियंत्रण संधि में हस्तक्षेप न करने दें. इसीलिए 2008 में सरकारों ने वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि बैठक में आर्टिकल 5.3 पारित किया जिसकी प्रस्तावना में ही लिखा है कि तम्बाकू उद्योग और जन स्वास्थ्य में सीधा और कट्टर विरोधाभास है इसीलिए तम्बाकू उद्योग को जन स्वास्थ्य नीति में हस्तक्षेप न करने दिया जाए.
इसीलिए वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि के आर्टिकल 5.3 के अनुरूप तम्बाकू उद्योग को हर तम्बाकू नियंत्रण बैठक से बाहर निकाला जाता है. उद्योग के दस्तावेजों के अनुसार, “पब्लिक बैज” की आड़ में बैठक में घुस कर उद्योग ने सरकारी दलों से तम्बाकू नियंत्रण को असफल करने की वकालत की है. अनेक पैंतरों से उद्योग यह असफल प्रयास करता आया है कि तम्बाकू नियंत्रण सफल न हो और उसका व्यापार और मुनाफा बढ़ता जाये.
अगले सप्ताह जिनीवा स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में, वैश्विक तम्बाकू नियन्त्रण सन्धि की बैठक में 181 देशों की सरकारें भाग लेंगी जिसका औपचारिक नाम “फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टुबैको कण्ट्रोल (ऍफ़सीटीसी) है।
कॉर्पोरेट एकाउंटेबिलिटी के सह-अभियान निदेशक मिचेल लीजेंद्रे ने कहा कि वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि को लागू करने में सबसे बड़ी बाधा उद्योग का हस्तक्षेप है. मिचेल ने आशा व्यक्त की कि अगले सप्ताह जीनीवा में होने वाली वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि बैठक में, 181 देशों की सरकारें उद्योग को बैठक से बाहर निकालेंगी और हस्तक्षेप पर अंकुश लगाएंगी जिससे कि जीवन-रक्षक तम्बाकू नियंत्रण संधि इमानदारी से लागू हो सके.
स्वास्थ्य को वोट अभियान के निदेशक राहुल द्विवेदी ने कहा कि पिछले हफ्ते ही 73वें संयुक्त राष्ट्र महासभा और गैर-संक्रामक रोगों के नियंत्रण के लिए विशेष उच्च स्तरीय बैठक में 193 देशों के प्रमुख मिले और गैर-संक्रामक रोगों के दर और मृत्यु दर को 2025 तक 25% कम करने का वादा किया. हृदय रोग, पक्षाघात, कैंसर, श्वास सम्बन्धी दीर्घकालिक रोग आदि सभी का खतरा तम्बाकू सेवन से बढ़ता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप को संधि लागू करने में सबसे बड़ी अड़चन माना है. यदि सरकारों को गैर-संक्रामक रोगों के दर और मृत्यु दर में 2025 तक 25% गिरावट लानी है तो तम्बाकू नियंत्रण को प्रभावकारी ढंग से लागू करना अनिवार्य है. वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि के आर्टिकल 19 के अनुसार, उद्योग को कानूनी रूप से जिम्मेदार और जवाबदेह ठहराना चाहिए और मुआवजा उसूलना चाहिए.
अन्तरराष्ट्रीय हृदय दिवस के उपलक्ष्य पर वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर (डॉ) ऋषि सेठी ने कहा कि "विश्व में सबसे बड़ा मृत्यु का कारण है हृदय रोग। तम्बाकू सेवन से हृदय रोग होने का खतरा अनेक गुना बढ़ जाता है। हर तम्बाकू जनित रोग से बचाव मुमकिन है। यदि हमारी सरकारों को सतत विकास लक्ष्य पर खरा उतरना है तो यह ज़रुरी है कि तम्बाकू पर पूर्णत: अंकुश लगे।" प्रो० ऋषि सेठी वर्तमान में एशिया पेसिफिक हृदय रोग परिषद और अखिल भारतीय हृदय रोग संगठन के मुख्य समिति से जुड़े हैं। प्रो० ऋषि सेठी की अध्यक्षता में दिल के दौरे के चिकित्सकीय प्रबंधन के लिए भारत की सर्वप्रथम मार्गनिर्देशिका जारी की गयी थी.
हर साल तम्बाकू महामारी के कारण अमरीकी डालर 1004 अरब का आर्थिक नुक्सान होता है और 70 लाख से अधिक लोग मृत होते हैं। प्रो० ऋषि सेठी ने सरकारों से अपील की कि आगामी वैश्विक तम्बाकू नियन्त्रण सन्धि बैठक में मज़बूत जन स्वास्थ्य नीतियाँ बनें और जमीनी स्तर पर उनका क्रियान्वन सख्ती से हो.
वैश्विक तम्बाकू नियन्त्रण सन्धि बैठक में 181 देशों की सरकारें महत्वपूर्ण कदम उठा सकती हैं जिससे कि तम्बाकू उद्योग "पब्लिक बैज" की आड़ में सन्धि बैठक में घुस कर जन स्वास्थ्य नीति प्रक्रिया में हस्तक्षेप न कर सके। वैश्विक तम्बकू नियन्त्रण सन्धि की पिछली बैठकों में उद्योग ने भान्ति प्रकार से असफल प्रयास किया था कि किसी भी तरह से तम्बाकू नियन्त्रण प्रक्रिया में उसकी भागेदारी हो। उदाहरण के लिये ई-सिगरेट को बढावा देना, या तम्बाकू नियन्त्रण प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के आशय से अमरीकी डालर 1 अरब से पोषित संस्था बनाना.
यदि सतत विकास लक्ष्य के वादे पूरे करने हैं तो नि:संदेह तम्बाकू उन्मूलन अनिवार्य है क्योंकि हर तम्बाकू जनित रोग और मृत्यु से बचाव मुमकिन है. देखना यह है कि सरकारें आगामी वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि में जन स्वास्थ्य का पक्ष कितनी मजबूती से लेती हैं!
बॉबी रमाकांत,सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
29 सितम्बर 2018
प्रकाशित:
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