जब एक-तिहाई कैंसर से बचाव मुमकिन है तो यह जन-स्वास्थ्य प्राथमिकता क्यों नहीं?

[English] [वेबिनार रिकॉर्डिंग] [पॉडकास्ट] भारत सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 का लक्ष्य है कि गैर-संक्रामक रोग जैसे कि कैंसर का दर और असामयिक मृत्यु दर में 2025 तक 25% गिरावट आये. पर अनेक कैंसर दर और मृत्यु दर बढ़ोतरी पर है! "यदि सरकार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के लक्ष्य पूरे करने हैं तो यह सुनिश्चित करना होगा कि कैंसर दरों में बढ़ोतरी न हो बल्कि तेज़ी से गिरावट आये. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक तिहाई कैंसर से बचाव मुमकिन है. तम्बाकू और शराब सेवन में तेज़ी से गिरावट, शारीरिक व्यायाम और गतिविधियों में वृद्धि होना, पौष्टिक आहार, आदि से न सिर्फ कैंसर नियंत्रण बल्कि जन स्वास्थ्य पर भी व्यापक रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा" शोभा शुक्ला ने वर्ल्ड कैंसर डे वेबिनार को संचालित करते हुए कहा. शोभा शुक्ला, लोरेटो कान्वेंट कॉलेज से सेवानिवृत्त वरिष्ठ शिक्षिका हैं जो आशा परिवार और सीएनएस से जुड़ीं हैं.

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर (डॉ) सूर्य कान्त ने वर्ल्ड कैंसर डे वेबिनार में बताया कि हृदय रोग और पक्षाघात के बाद, दुनिया का सबसे बड़ा मृत्यु का कारण कैंसर है. वैश्विक स्तर पर 2018 में 96 लाख लोग कैंसर से मृत हुए. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2018 में सबसे अधिक होने वाले कैंसर में फेफड़े और स्तन के कैंसर रहे (20.9 लाख फेफड़े कैंसर और 20.9 लाख स्तन कैंसर). वर्ल्ड कैंसर डे 2019 वेबिनार, स्वर्गीय डॉ वीणा शर्मा को समर्पित रहा. डॉ वीणा शर्मा लखनऊ स्थित सीडीआरआई में शोध और अनेक स्कूल, कॉलेज और डिग्री कॉलेज में शिक्षिका और प्रधानाचार्य रहीं.

डॉ सूर्य कान्त ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक-तिहाई कैंसर इस बचाव मुमकिन है यदि तम्बाकू और शराब बंदी हो, पौष्टिक आहार, सही वजन, और शारीरिक व्यायाम या गतिविधियाँ पर्याप्त हों. 22% कैंसर मृत्यु का कारण तो तम्बाकू सेवन ही है.

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की वरिष्ठ स्तन कैंसर विशेषज्ञ और एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पूजा रमाकांत ने वर्ल्ड कैंसर डे वेबिनार में बताया कि यदि जल्दी सही जांच और इलाज मुहैया हो तो स्तन कैंसर से अधिक जान बच सकती हैं, गुणात्मक रूप से जीवन बेहतर होगा और इलाज का व्यय और जटिलता भी कम होगी.

वर्ल्ड कैंसर डे वैश्विक अभियान की संयोजक यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कण्ट्रोल की थू-खुक-बिलोन ने वर्ल्ड कैंसर डे वेबिनार में कहा कि कैंसर पर हर साल अमरीकी डालर 1600 अरब का व्यय होता है जिससे बचा जा सकता है यदि कैंसर नियंत्रण सशक्त हो और कैंसर होने का खतरा पैदा करने वाले तम्बाकू, शराब आदि पर अधिक ध्यान दिया जाए. प्रोफेसर (डॉ) सूर्य कान्त ने कहा कि हर साल तम्बाकू की वजह से वैश्विक अर्थ-व्यवस्था को अमरीकी डालर 1400 अरब का नुक्सान होता है और तम्बाकू से प्राप्त राजस्व इसका एक छोटा अंश मात्र है, इसिलिये तम्बाकू सेवन समाप्त करना न सिर्फ जन स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहतर रहेगा.

विश्व में सबसे घातक कैंसर है फेफड़े का कैंसर

वर्ल्ड कैंसर डे वेबिनार में वियतनाम के नेशनल लंग हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ न्गुयेन विएत न्हुंग ने कहा कि फेफड़े का कैंसर सबसे घातक कैंसर है. 71% फेफड़े के कैंसर सिर्फ तम्बाकू सेवन के कारण होते हैं. यदि फेफड़े के कैंसर के दर और मृत्यु दर में गिरावट लानी है तो तम्बाकू नियंत्रण अत्यंत ज़रूरी है. डॉ न्हुंग ने कहा कि यह भी ज़रूरी है कि सभी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ हर ज़रूरतमंद तक पहुँच रही हों जिससे कि लोग स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जागरूकता बढ़ें, रोग जल्दी पकड़ में आ सकें और सही इलाज भी लोगों को मिल सके.

महिलाओं में सबसे घातक कैंसर है स्तन कैंसर

इंडियन जर्नल ऑफ़ सर्जरी की एसोसिएट एडिटर और किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्तन कैंसर सर्जन डॉ पूजा रमाकांत ने कहा कि यह चिंताजनक तथ्य है कि भारत में स्तन कैंसर होने की औसत उम्र में गिरावट आ रही है और अधिकांश स्तन कैंसर अब 30-40-50 की उम्र में हो रहा है जबकि विकसित देशों में 50-60 औसत उम्र में स्तन कैंसर होने का खतरा सबसे अधिक रहता है. भारत में 50-70% स्तन कैंसर की जांच अत्यधिक विलम्ब से होती है जब रोग बहुत बढ़ चुका होता है और कैंसर के फैलने की सम्भावना भी बढ़ जाती है. यदि स्तन कैंसर से असामयिक मृत्यु को कम करना है तो यह अत्यंत ज़रूरी है कि स्तन कैंसर की जांच प्रारंभिक स्थिति में जल्दी और सही हो, और सही इलाज मिले.

डॉ पूजा रमाकांत ने कहा कि स्तन कैंसर जागरूकता, स्तन का स्वयं परीक्षण, और यदि कोई बदलाव दिखे तो चिकित्सकीय जांच करवाना आवश्यक जन स्वास्थ्य कदम हैं जो कैंसर नियंत्रण में कारगर होंगे. स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ाने वाले अधिकाँश कारण वो हैं जिनको बदला जा सकता है जैसे कि, मुटापा, अस्वस्थ्य आहार, शारीरिक व्यायाम या गतिविधियाँ में कमी, तम्बाकू, शराब, आदि. स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ाने वाले कारण जिनमें बदलाव मुमकिन नहीं हैं वो सिर्फ 5-10% ही हैं जैसे कि जेनेटिक कारण, रजोनिवृत्ति, आदि. इसीलिए जब स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ाने वाले अधिकाँश कारण में बदलाव मुमकिन है तो हमें एकजुट हो कर कैंसर नियंत्रण को सशक्त करना चाहिए.

स्तन कैंसर अधिकाँश महिलाओं में होता है पर पुरुषों और ट्रांसजेंडर लोगों में भी होता है हालाँकि महिलाओं की तुलना में दर बहुत कम है.

कैंसर का सबसे बड़ा कारण जिससे पूर्ण बचाव मुमकिन: तम्बाकू!

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की तम्बाकू नशा उन्मूलन क्लिनिक के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) सूर्य कान्त ने कहा कि 71% फेफड़े कैंसर और 22% कैंसर मृत्यु का जनक है तम्बाकू. यदि तम्बाकू नियंत्रण अधिक प्रभावकारी हो और तम्बाकू सेवन में अधिक गिरावट आएगी तो निश्चित तौर पर न सिर्फ कैंसर, बल्कि तम्बाकू जनित सभी जानलेवा रोगों में भी गिरावट आयेगी. तम्बाकू से 15 कैंसर होने का खतरा बढ़ता है जैसे कि मुंह के कैंसर, फेफड़े, लीवर, पेंट, ओवरी, रक्त कैंसर, आदि. तम्बाकू सेवन छोड़ने से स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. पर्यावरण प्रढूशन जिसमें घर के भीतर और बाहर वायु प्रदूषण भी शामिल है, उनसे भी कैंसर और अनेक रोग होने का खतरा बढ़ रहा है.

अब नहीं तो कब?

2030 तक सतत विकास लक्ष्य (SDGs) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के वादे के साथ-साथ, अब कैंसर नियंत्रण के लिए अर्थव्यवस्था भी दांव पर है क्योंकि  सालाना अमरीकी डालर 1600 अरब का नुक्सान कैंसर पहुंचा रहा है. जब विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक-तिहाई कैंसर इस बचाव मुमकिन है, तो कैंसर अनुपात बढ़ोतरी पर कैसे है? कैंसर होने का खतरा बढ़ाने वाले अधिकाँश कारण भी ज्ञात हैं जैसे कि तम्बाकू, शराब, मुटापा, अस्वस्थ आहार आदि. यदि सतत विकास का सपना साकार करना है तो स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देनी ही होगी.

बॉबी रमाकांत, सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)

3 फरवरी 2019 

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