कोविड-19 महामारी पर विराम लगाने के लिए स्थानीय नेतृत्व ज़रूरी

कोविड-19 महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक हर व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा नहीं होगी तब तक कोई भी संक्रमण-मुक्त नहीं हो सकता, भले ही वह सबसे अमीर या बड़े ओहदे पर आसीन व्यक्ति ही क्यों न हो. इस बात में भी कोई संशय नहीं रह गया कि मज़बूत अर्थव्यवस्था के लिए मज़बूत स्वास्थ्य सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है. 11 महीने पहले कोरोना वायरस का पहला संक्रमण वुहान में रिपोर्ट हुआ था। आज विश्व भर में 7.2 करोड़ व्यक्ति इससे संक्रमित हो चुके हैं.

कोविड-19 महामारी ने एक और बड़ी सीख यह दी है कि वैश्विक विज्ञान और स्वास्थ्य नीति जितनी ज़रूरी हैं, उतना ही अहम् है स्थानीय नेतृत्व जो वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नीतियों को प्रभावकारी कार्यक्रम में परिवर्तित कर सके और जन स्वास्थ्य परिणामों में बदल सके. जिन देशों और भारत के जिन प्रदेशों में स्थानीय नेतृत्व मज़बूत था और जहाँ जन स्वास्थ्य प्रणाली एवं सामाजिक सुरक्षा का ढांचा बेहतर था वहां संक्रमण नियंत्रण भी बेहतर रहा - चाहे वो केरल राज्य हो या फिर न्यूज़ीलैण्ड या थाईलैंड जैसे देश। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहाँ स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा बेहतर होने के परिणाम स्वरुप संक्रमण नियंत्रण भी कुशल रहा.

डॉ तारा सिंह बाम, जो इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्लोसिस एंड लंग डिजीज के एशिया पैसिफ़िक क्षेत्र के उप-निदेशक हैं, ने बताया कि इसी उद्देश्य से एशिया पैसिफ़िक क्षेत्र के देशों के अनेक शहरों के महापौर समूह ने पांच साल पहले "एपी-कैट (एशिया पैसिफ़िक सिटीज़ अलायन्स फॉर टुबैको कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन ऑफ़ एनसीडीज़)" फोरम बनाया ताकि स्थानीय नेतृत्व शक्तिशाली हो सके और असामयिक मृत्यु दर में गिरावट आये. हम सभी जानते हैं कि विश्व में 70% से अधिक मृत्यु गैर-संक्रामक रोगों के कारण होती हैं और तम्बाकू सेवन ऐसे रोगों के लिए एक बड़ा खतरा है। इसीलिए इस फोरम ने तम्बाकू नियंत्रण और गैर-संक्रामक रोगों की रोकथाम को प्राथमिकता दी है . 

डॉ तारा सिंह बाम ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तम्बाकू और शराब दोनों से कोरोना वायरस रोग होने पर गंभीर परिणाम होने का खतरा बढ़ता है और मृत्यु तक हो सकती है. कोरोना वायरस रोग से जूझ रहे अनेक देशों के शोध यह दर्शाते हैं कि गैर-संक्रामक रोग होने पर कोरोना वायरस रोग की गंभीरता बढ़ जाती है, और मृत्यु होने का खतरा भी अनेक गुणा बढ़ता है. गैर-संक्रामक रोग (जैसे कि हृदय रोग, पक्षाघात, कैंसर, डायबिटीज, दीर्घकालिक श्वास रोग, आदि) का खतरा तम्बाकू और शराब दोनों के सेवन से बढ़ता है. तम्बाकू सेवन से हमारे फेफड़े रोग-ग्रस्त होते हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. तम्बाकू और टीबी रोग में भी सीधा और घातक सम्बंध है, और टीबी होने पर भी कोरोना वायरस रोग के गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

डॉ तारा सिंह बाम, एपी-कैट के पांचवें समिट में अनेक देशों से ऑनलाइन-भाग ले रहे स्थानीय नेताओं, जैसे कि, महापौर, सांसद, राज्यपाल, उप-महापौर, उप-राज्यपाल, अन्य स्थानीय सरकारी अधिकारी, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ, आदि, को संबोधित कर रहे थे.

"एपी-कैट" के सह-अध्यक्ष और इंडोनेशिया के बोगोर शहर के महापौर डॉ बीमा आर्या ने कहा कि स्थानीय और ज़मीनी लोगों के एकजुट होने पर ही बदलाव आएगा क्योंकि स्वास्थ्य एवं विकास नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने में उनकी केन्द्रीय भूमिका है. सरकारी सेवाएँ यदि सुचारू रूप से प्रदान की जाएँ और जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता मिले तो निश्चित रूप से स्थिति सुधरेगी. महामारी नियंत्रण में भी स्थानीय नेतृत्व का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा. डॉ बीमा आर्य स्वयं कोविड-19 से जूझ चुके हैं और सफलतापूर्वक स्वस्थ हो पुन: जन हित के लिए सक्रीय हैं.

डॉ तारा सिंह बाम ने कहा कि हम कितने स्वस्थ हैं यह अंतत: राजनीति से तय होता है। राजनीतिक निर्णयों का सीधा असर इस बात पर पड़ता है कि आम जनता कितनी स्वस्थ रहे। यही बात 'लैन्सेट' (विश्व-विख्यात चिकित्सकीय शोध पत्रिका) के मुख्य सम्पादक, डॉ रिचर्ड होर्टन, ने मार्च 2018 में कही थी। डॉ तारा सिंह बाम ने सिटिज़न न्यूज़ सर्विस (सीएनएस) से कहा कि तम्बाकू सेवन से हर साल 80 लाख से अधिक लोग मृत होते हैं. तम्बाकू से गैर संक्रामक रोग एवं कोविड-19 जैसे संक्रामक रोग के गंभीर परिणाम होने का खतरा भी बढ़ता है. तम्बाकू नियंत्रण और संक्रामक और गैर-संक्रामक रोग से होने वाली असामयिक मृत्यु पर अंकुश लगाना न सिर्फ जन स्वास्थ्य के लिए बल्कि राजनैतिक रूप से भी प्राथमिकता होनी चाहिए. 

एपी-कैट घोषणापत्र से मिलती है जन स्वास्थ्य को आशा

जो घोषणापत्र एशिया पैसिफ़िक क्षेत्र के अनेक देशों से आये महापौर और स्थानीय सरकारी अधिकारियों ने एपी-कैट में पारित किया वह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उसमें जन स्वास्थ्य के लिए जो कदम उठाने का वायदा है वह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित और अनुशंसित नीतियों पर आधारित हैं. लोरेटो कान्वेंट की पूर्व वरिष्ठ शिक्षिका और सीएनएस संस्थापिका-संपादिका शोभा शुक्ला जो इस एपी-कैट समिट का संचालन कर रही थीं, ने बताया कि इस घोषणापत्र में स्थानीय नेताओं ने वायदा किया कि संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों में समन्वयन बेहतर किया जायेगा, एवं तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रमों को अधिक प्रभावकारी बनाया जायेगा. इससे तम्बाकू सेवन में गिरावट आएगी; शराब सेवन में गिरावट आएगी; स्वास्थ्य के लिए हानिकारक असंतुलित आहार के सेवन में गिरावट आएगी; शारीरिक श्रम और गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी; हृदय रोग और डायबिटीज के प्रबंधन में सुधार होगा; कैंसर प्रबंधन में सुधार होगा; और दीर्घकालिक श्वास सम्बंधित रोगों के प्रबंधन में भी सुधार लाया जा सकेगा. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इससे कोविड-19 महामारी के नियंत्रण में भी सुधार आएगा. 

तम्बाकू उद्योग का जन-स्वास्थ्य में हस्तक्षेप है एक बड़ा अभिशाप

जन स्वास्थ्य नीतियों को लागू करने में सबसे बड़ी अड़चन और रोड़ा है तम्बाकू उद्योग. तम्बाकू उद्योग विभिन्न प्रकार से जन स्वास्थ्य नीतियों में हस्तक्षेप करता रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनेक बार यह दोहराया है कि वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि को लागू करने के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है तम्बाकू उद्योग का हस्तक्षेप. इस एपी-कैट घोषणापत्र में स्थानीय नेताओं ने जन स्वास्थ्य में उद्योग के हस्तक्षेप पर अंकुश लगाने के वायदे को दोहराया है. फिलीपींस के बालंगा शहर के महापौर और एपी-कैट के सह-अध्यक्ष फ्रांसिस ऐन्थॉनी एस गार्सिया ने कहा कि सभी स्थानीय नेता और अधिकारी एकजुट हो कर तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप पर अंकुश लगायेंगे जिससे कि जीवन रक्षक जन स्वास्थ्य नीतियां प्रभावकारी ढंग से लागू हो सकें.

बॉबी रमाकांत - सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)

दैनिक गुरुज्योति पत्रिका, रानीवाड़ा, जालौर, राजस्थान (17 दिसम्बर 2020)

 

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