विकलांगता न्याय और जेंडर समानता के बिना कैसे सुरक्षित रहेंगे सबके मानवाधिकार
विकलांग लड़कियां और महिलायें अन्य महिलाओं की अपेक्षा कई गुना अधिक सामाजिक और आर्थिक असमानता झेलती हैं। महिला हिंसा का खतरा भी विकलांग महिला के लिए 4 गुना अधिक है, परंतु हिंसा उपरांत न्यायिक सहायता और सहयोग मिलने की संभावना अत्यंत संकीर्ण।
महिला हिंसा समाप्ति पर मंडरा रहा अधिकार-विरोधी ताकतों का खतरा
25 नवंबर: महिला हिंसा को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस
25 साल पहले सभी देशों ने 25 नवंबर को महिलाओं के विरुद्ध हो रही सभी प्रकार की हिंसा को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने का निर्णय लिया। परंतु अधिकार-विरोधी ताकतों के बढ़ते खतरे के चलते, जेंडर हिंसा और ग़ैर-बराबरी की ओर प्रगति ख़तरे में पड़ रही है।
बिना दवाओं के दुरुपयोग को बंद किए कैसे होगी स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा?
"रोगाणुरोधी प्रतिरोध तो अदृश्य हो सकता है, पर मैं अदृश्य नहीं हूँ" कहना है फ़ेलिक्स का जिन्होंने इसके कारण अपने 3 माह के बेटे को खो दिया। रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस) का मूल कारण है दवाओं का दुरुपयोग। दवाओं का दुरुपयोग सिर्फ मानव स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है बल्कि पशुपालन और पशु स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण तक में है।
दवा प्रतिरोधकता रोकने के लिए पारित राजनीतिक घोषणापत्र क्या जमीनी हकीकत बनेगा?
इस सप्ताह स्वास्थ्य-संबंधी बड़ा समाचार यह है कि ७९वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में दुनिया के सभी देशों ने, बढ़ती दवा प्रतिरोधकता को रोकने के आशय से, सर्व-सम्मति से एक मजबूत राजनीतिक घोषणापत्र जारी किया। देखना यह है कि क्या सरकारें इस राजनीतिक घोषणापत्र को जमीनी हकीकत में परिवर्तित करेंगी? आख़िर दवाओं का दुरुपयोग तो बंद होना ही चाहिए पर फ़िलहाल हकीकत ठीक इसके विपरीत है। वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा पर मंडराती दस सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है दवा प्रतिरोधकता।
पूंजीवाद बनाम नारीवाद: सबके सतत विकास के लिए ज़रूरी है नारीवादी व्यवस्था
[English] एक ओर तो हमारी सरकारें सतत विकास की बात करने से नहीं थकती हैं, परंतु दूसरी ओर, जो वैश्विक व्यवस्था है - उसके तहत - सतत विकास लक्ष्यों के ठीक विपरीत कार्य करती हैं। मौजूदा वैश्विक व्यवस्था में प्राकृतिक संसाधनों के अनियंत्रित दोहन को 'विकास' के नाम पर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, धन और शक्ति अत्यंत कम लोगों के पास केंद्रित करने को 'विकास' से जोड़ा जाता है, सार्वजनिक सरकारी सेवाओं के निजीकरण को 'विकास' का चोला पहनाया जाता है, जिसके फलस्वरूप अधिकांश लोग सेवाओं के अभाव में और हाशिये पर रहने को मजबूर हो गये हैं और अनेक प्रकार के मानवाधिकार हनन और हिंसा के शिकार होते हैं।
कैंडी स्वाद के जानलेवा फंदे में फँसती युवा पीढ़ी
[English] विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस का मानना है कि "इतिहास खुद को दोहरा रहा है, क्योंकि तम्बाकू उद्योग हमारे बच्चों को एक ही निकोटीन को अलग-अलग पैकेजिंग में बेचने की कोशिश कर रहा है। ये उद्योग सक्रिय रूप से स्कूलों, बच्चों और युवाओं को नए उत्पादों के साथ लक्षित कर रहे हैं जो अनिवार्य रूप से कैंडी-स्वाद वाले जाल हैं। जब वे बच्चों को इन खतरनाक, अत्यधिक नशे की लत वाले उत्पादों का विपणन कर रहे हैं, तो वे नुकसान कम करने की बात कैसे कर सकते हैं?” तम्बाकू किसी भी रूप में हो, घातक है।
अधिकांश महिलाओं के लिए हर दिन एक अवैतनिक श्रम दिवस क्यों है?
[English] प्रति वर्ष 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस श्रमिकों और श्रमिक वर्ग के संघर्षों और समाज में योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। ताकि सभी को "सामाजिक न्याय और उचित कार्य” मिल सके। लेकिन महिलाओं के लिए यह सामाजिक न्याय कहां है? उनमें से अधिकांश के लिए, हर दिन एक अवैतनिक श्रम दिवस है।
इस पुरुष प्रधान समाज में आप वह महिला बनें जो आप बनना चाहती हैं
[English] "एक जज का बेटा वकील है, और इस वकील का पिता एक इंस्पेक्टर है। फिर जज कौन है?" एक प्रशिक्षण कार्यशाला में जब यह सवाल पूछा गया तो कई प्रतिभागी जवाब देने में असमर्थ रहे। हमारे पित्रात्मक समाज में गहरी जड़ें जमा चुके जेंडर आधारित पूर्वाग्रह और रूढ़िवादिता के चलते शायद बहुतों ने यह सोचा तक नहीं कि एक महिला माँ के साथ-साथ जज भी हो सकती है!
तम्बाकू उद्योग को ज़िम्मेदार ठहरा कर हरजाना वसूलने का निर्णय ले सकती हैं सरकारें
पेरू में हो रही वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि की अंतर-देशीय बैठक में, तम्बाकू उद्योग को मानव जीवन, मानव स्वास्थ्य, और पर्यावरण को क्षति पहुँचाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराने और हरजाना वसूलने का महत्वपूर्ण मुद्दा केंद्र में है। हर साल, तम्बाकू के कारण 80 लाख से अधिक लोग मृत और लाखों लोग जानलेवा बीमारियों से ग्रसित होते हैं। हृदय रोग, कैंसर, दीर्घकालिक श्वास संबंधी रोग, मधुमेह, टीबी, आदि अनेक ऐसे रोग हैं जिनका ख़तरा तम्बाकू सेवन के कारण अत्यधिक बढ़ता है। तम्बाकू उद्योग द्वारा पर्यावरण को क्षति पहुँचाने के लिए भी ज़िम्मेदार ठहराने की माँग, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अनेक देश की सरकारें कर रही हैं।
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