दलित हितैषी सरकार ने दलितों-गरीबों को बेघर किया

दलित हितैषी सरकार ने दलितों-गरीबों को बेघर किया

नदवा झोपड़-पट्टी को प्रशासन के बुलडोज़रों ने तोड़ गिराया

आज बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा के इशारे पर स्थानीय प्रशासन ने लखनऊ के डालीगंज छेत्र में नदवा झोपड़-पट्टी को बुलडोज़रों से तोड़ गिराया। २५० से भी अधिक लोग बेघर हो गए। यह घटना प्रदेश की मुख्य मंत्री मायावती के दावे पर सवाल खड़े कर देती है जो मायावती ने अपने जन्मदिन पर किया था - कि उत्तर प्रदेश के हर गरीब को घर मिलेगा।

जब वरिष्ट सामाजिक कार्यकर्ता एवं रामों मग्सय्सय पुरुस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय नदवा झोपड़-पट्टी की और जा रहे थे तब पुलिस ने उनको जबरन हिरासत में ले लिए और नदवा जाने से रोका, और हसनगंज पुलिस थाने में रोक कर रखा।

'बेसिक सर्विसेस फॉर उर्बन पुअर' या BSUP के तहत जो मकान गरीबों को मिलने वाले थे, उनको पाने के लिए इस झोपड़-पट्टी में रहने वाले लोग पैसा इकठ्ठा कर रहे थे। इससे पहले कि BSUP वाले घर बन कर तैयार हों, प्रशासन ने इनको बर्बरतापूर्वक बेघर कर दिया। इस नदवा झोपड़-पट्टी में अधिकाँश लोग जो रहते हैं वोह दलित हैं।

जब दोपहर में डॉ संदीप पाण्डेय को हसनगंज पुलिस थाने से बहार जाने की अनुमति मिली, तब तक नदवा झोपड़-पट्टी को बुलडोज़रों ने पूरी तरह से तोड़ दिया था। जो २५० लोग बेघर हुए थे उन्होंने विधान सभा के सामने धरना देने के लिए प्रस्थान कर दिया कि उनको वैकल्पिक रहने की जगह मिले जबतक BSUP वाले मकान बन कर तैयार नहीं हो जाते।

परन्तु रास्ते में ही इन विस्थापित लोगों में से एक महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। अपर जिला मजिस्ट्रेट ओ.पी.पाठक जी ने समय से एंबुलेंस बुला कर इस महिला को जिला अस्पताल में भिजवाया जिससे इसको उपयुक्त चिकित्सकिये सहायता मिल सके।

लखनऊ के नागरिक, तमाम सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने और जो २५० से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, उन्होंने प्रदेश सरकार से वैकल्पिक रहने के स्थान के लिए मांग की है, और जल्द-से-जल्द BSUP वाले मकानों को पूरा बनाने के लिए और इन लोगों को आवंटित करने के लिए भी मांग की है।


डॉ संदीप पाण्डेय, एस.आर दारापुरी, चुन्नी लाल, चंद्र भूषण एवं जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) एवं आशा परिवार के अन्य लोग