२००८ में ४४०,००० लोगों को दवा-प्रतिरोधक टी.बी, उनमें से एक तिहाई मृत

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रपट के अनुसार, विश्व में कुछ ऐसे स्थान हैं जहां चार में से एक ऐसे व्यक्ति जो टी.बी रोग से ग्रसित होते हैं, वो ऐसे टी.बी से रोग-ग्रस्त हैं, जिनका उपचार संभव ही नहीं है


उदाहरण के लिये २००८ रपट के अनुसार उत्तर-पश्चिम रूस में, २८ प्रतिशत जिन नए लोगों में टी.बी रोग होता है, उनको दवा-प्रतिरोधक टी.बी होती है. ये विश्व में सबसे अधिक अब तक का रपट किया हुआ दवा-प्रतिरोधक टी.बी का स्तर है. इससे पहले सबसे अधिक दवा-प्रतिरोधक टी.बी अज़रबाईजान के बाकू शहर में पायी गयी थी (२००७ में) जिसका दर २२ प्रतिशत था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की हुई नयी रपट, WHO's Multidrug andExtensively Drug-Resistant Tuberculosis: 2010 Global Report onSurveillance and Response key अनुसार २००८ में ४४०००० को दवा-प्रतिरोधक टी.बी हुई थी जिनमें से एक-तिहाई लोग मृत हुए. यदि आंकड़ों को देखें, तो एशिया पर सबसे अधिक कु-प्रभाव पड़ा. भारत और चाइना में लगभग ५० प्रतिशत दवा-प्रतिरोधक टी.बी पाई गयी. अफ्रीका में ६९००० दवा-प्रतिरोधक टी.बी के नए रोगी थे जिनमें से अधिकाँश की जांच तक नहीं हो पायी.

दवा-प्रतिरोधक टी.बी के दर को कम करने में टी.बी रोकधाम एवं उपचार कार्यक्रमों का बहुमूल्य योगदान है.

विश्व स्तर पर जिन लोगों को टी.बी का उपचार प्राप्त हो रहा है उनमें से ६० प्रतिशत टी.बी से सफलतापूर्वक ठीक हो जाते हैं. हालाँकि सिर्फ प्रतिशत दवा-प्रतिरोधक टी.बी के रोगियों को ही जांच तक नसीब होती है, उपचार तो बाद की बात है. साफ़ ज़ाहिर है कि दवा-प्रतिरोधक टी.बी की जांच करने की व्यवस्था को अति-शीघ्र सुधरने की जरुरत है.