२४ मार्च को विश्व तपेदिक (टी.बी) दिवस है. भारत में सर्वाधिक तपेदिक (टी.बी) से ग्रसित लोग हैं और आंकड़ों के अनुसार भारत की एक-तिहाई जनता को लेटेंट टी.बी हो सकती है. भारत में लगभग २५ प्रतिशत ड्रग-रेसिस्तंत टी.बी के भी रोगी हैं.
स्टॉप टीबी पार्टनरशिप ने इस साल विश्व टी.बी दिवस पर मुख्य-रूप से वेबसाइट बनायीं है जिसका लिंक यह है:
http://www.stoptb.org/events/world_tb_day/2010/
स्टॉप टीबी पार्टनरशिप का 'टी.बी को रोकने के लिये तस्वीरें' पुरुस्कार २००९ से सम्मानित छायाकार दविड़ रोच्किंद इस समय भारत में हैं और टी.बी से सम्बंधित तस्वीरों को वो इस वेबसाइट पर प्रकाशित करते रहेंगे.
लखनऊ के छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा vishwavidyalaya के सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफेस्सर डॉ रमा कान्त का कहना है कि "टी.बी की रोकधाम सिर्फ चिकित्सा से संभव नहीं है. इसके लिये टी.बी का उपचार सफलता पूर्वक समाप्त किया हुए लोगों को टी.बी रोकधाम कार्यक्रम में शामिल करना चाहिए और उन कारणों को संबोधित करना चाहिए जिनकी वजह से टी.बी से ग्रसित लोगों तक टी.बी से बचाव एवं उपचार की सेवाएँ समय रहते नहीं पहुच पाती." प्रोफ रमा कान्त द्वारा लिखित पुस्तक 'मानवता का अभिशाप - तपेदिक' को उत्तर प्रदेश के हिंदी संसथान द्वारा 'बीरबल सहनी पुरुस्कार २०००' से सम्मानित किया गया था.
टी.बी एक संक्रामक रोग है, जो mycobacterium tuberculosis namak बक्टेरिया से होता है. इससे बचाव मुमकिन है, और टी.बी से सफलतापूर्वक उपचार भी मुमकिन है यदि दवा समय पर पूर्वी उपचार अवधि में ली जाये.