[English] बाल अधिकारों की वर्तमान दशा के बारे में बच्चों के विचारों को जानने हेतु लखनऊ में प्लान इंडिया और सवांद सामाजिक संस्थान की ओर से 'बाल सम्मेलन' आयोजित किया गया। इस बाल सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न शहरों और गांवो से लगभग 200 लड़के-लड़कियों ने भाग लिया एवं विभिन्न प्रतियोगिता में भागीदारी की। इन प्रतियोगिताओं की मुख्य थीम थी: "नया साल हमारा सवाल"।
बच्चों ने ग्रीटिंग कार्ड और वादविवाद प्रतियोगिता के द्वारा बाल अधिकारों की वर्तमान दशा पर सवाल उठाये। इन सवालों में बच्चों की अपने अधिकारों को सम्पूर्णता में नही पाने की चिन्ता स्पष्ट दिखाई देती थी। सहस्राव्दी लक्ष्यों (MDG) तक पहुँचने पाने से अभी हम बहुत दूर हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन तथा बाल यौन शोषण पर बिल पारित होने वाले वर्ष 2013 में बच्चों की यह पुरजोर मांग थी कि सरकार ओैर समाज उनके सब अधिकार उन्हे देने में ढिलाई न बरते।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि डॉ दिनेश शर्मा, महापौर लखनऊ, ने बच्चों द्वारा सृजनात्मक तरीके से अपनी आवाज उठाने की सराहना की। उन्होने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली में काफी असमानतायेँ हैं जिन्हें हमें शीघ्र दूर करना होगा। नैतिक शिक्षा पर जोर देते हुए उसे शिक्षा में अनिवार्य विषय बनाने की पेशकश की। प्लान इडिया उत्तर प्रदेश के अमित चौधरी ने कहा कि हमें बच्चों की आवाज को सुनना चाहिए। अहसास संस्था के एक बालक सत्यम मिश्रा ने महापौर को बच्चों द्वारा बनाये गये एक 'फ्रेम ग्रीटिंग' को उपहार स्वरूप भेंट दिया जिसमें बच्चों द्वारा उनके अधिकार पर सवाल लिखे हुए थे। लल्लन मिश्रा, अघ्यक्ष, प्रातीन्य प्राथमिक शिक्षक संघ, ने बच्चों से आगे बढ़कर अपने अधिकारों को साहसपूर्वक लेने का आहवाहन किया।
पूर्व उत्तर प्रदेश पुलिस अधिक्षक केएल गुप्ता ने अभिभावको से अपने बच्चों की मासूमियत बचाये रखने की अपील की और बच्चों से कहा कि वो अनुकूल परिस्थितिया न होने पर भी खुद को आगे बढ़ाने का प्रयास करते रहे।
कुलसुम मुस्तफा, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
जनवरी 2013
बच्चों ने ग्रीटिंग कार्ड और वादविवाद प्रतियोगिता के द्वारा बाल अधिकारों की वर्तमान दशा पर सवाल उठाये। इन सवालों में बच्चों की अपने अधिकारों को सम्पूर्णता में नही पाने की चिन्ता स्पष्ट दिखाई देती थी। सहस्राव्दी लक्ष्यों (MDG) तक पहुँचने पाने से अभी हम बहुत दूर हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन तथा बाल यौन शोषण पर बिल पारित होने वाले वर्ष 2013 में बच्चों की यह पुरजोर मांग थी कि सरकार ओैर समाज उनके सब अधिकार उन्हे देने में ढिलाई न बरते।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि डॉ दिनेश शर्मा, महापौर लखनऊ, ने बच्चों द्वारा सृजनात्मक तरीके से अपनी आवाज उठाने की सराहना की। उन्होने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली में काफी असमानतायेँ हैं जिन्हें हमें शीघ्र दूर करना होगा। नैतिक शिक्षा पर जोर देते हुए उसे शिक्षा में अनिवार्य विषय बनाने की पेशकश की। प्लान इडिया उत्तर प्रदेश के अमित चौधरी ने कहा कि हमें बच्चों की आवाज को सुनना चाहिए। अहसास संस्था के एक बालक सत्यम मिश्रा ने महापौर को बच्चों द्वारा बनाये गये एक 'फ्रेम ग्रीटिंग' को उपहार स्वरूप भेंट दिया जिसमें बच्चों द्वारा उनके अधिकार पर सवाल लिखे हुए थे। लल्लन मिश्रा, अघ्यक्ष, प्रातीन्य प्राथमिक शिक्षक संघ, ने बच्चों से आगे बढ़कर अपने अधिकारों को साहसपूर्वक लेने का आहवाहन किया।
पूर्व उत्तर प्रदेश पुलिस अधिक्षक केएल गुप्ता ने अभिभावको से अपने बच्चों की मासूमियत बचाये रखने की अपील की और बच्चों से कहा कि वो अनुकूल परिस्थितिया न होने पर भी खुद को आगे बढ़ाने का प्रयास करते रहे।
कुलसुम मुस्तफा, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
जनवरी 2013