[English] इस साल विश्व तपेदिक (टीबी) दिवस का मुख्य ज़ोर है कि कैसे 30 लाख टीबी रोगियों तक पहुंचा जाये जिनतक टीबी सेवाएँ नहीं पहुँच पा रही हैं। ये वो 30 लाख टीबी रोगी हैं जिनकी या तो टीबी जांच तक नहीं हो पाती है, या जिन तक इलाज नहीं पहुँच पाता है। डॉ मारिया मोंटेस डे ओका जो “फॉरम फॉर इंटरनेशनल रेस्पिरेटरी सोसाइटीज़” (एफ़आईआरएस) की अध्यक्ष हैं, उनका कहना है कि “एफ़आईआरएस 70,000 श्वास संबंधी संस्थाओं का संगठन है और वे प्रतिबद्ध हैं कि कैसे मदद करें और 30 लाख ऐसे टीबी रोगियों को खोजे और सेवाएँ पहुंचाए जो इनसे वंचित हैं”। डॉ ओका का कहना है कि हर टीबी रोगी को मानक के अनुसार टीबी जांच और इलाज प्राप्त होना चाहिए तभी टीबी नियंत्रण संभव है।
2012 में विश्व स्तर पर अनुमानित 86 लाख नए टीबी रोगी हुए जिनमें से 13 लाख की मृत्यु हो गयी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 95% टीबी मृत्यु लघु और मध्य आय वाले देशों में होती हैं। 4.5 लाख लोगों को दवा प्रतिरोधक टीबी हो गयी जो बेहद चिंतनीय है क्योंकि इनमें से 4 में से केवल 1 को ही मानक के अनुसार जांच नसीब हुई। जिनको जांच नसीब हुई उनमें से सबको मानक के अनुसार उपचार नहीं मिला। पिछले सालों में टीबी नियंत्रण में बहुत तरक्की हुई है पर अभी काफी काम बाकी है।
एफ़आईआरएस अध्यक्ष डॉ ओका का कहना है कि 30 लाख ऐसे टीबी रोगियों तक पहुँचने के लिय जिन तक सेवा नहीं पहुँच रही है, इन निम्न-लिखित चुनौतियों से निबटना होगा:
1॰ हमें सुनिश्चित करना होगा कि टीबी रोगी किसी भी प्रकार का सोशण न झेलें, उन्हे मानक के अनुसार उपचार मिले, और जिन लोगों को टीबी जैसे प्रारम्भिक लक्षण हो वे बिना डर और संकोच टीबी सेवाओं का लाभ उठा सकें।
२. स्वास्थ्य प्रणाली सशक्त हो जिससे कि न केवल टीबी का इलाज बल्कि अन्य बीमारियों का भी समयोचित उपचार प्राप्त हो जैसे कि एचआईवी, मधुमेह आदि।
३॰ अनेक दवा प्रतिरोधक टीबी के रोगी को जांच तक नहीं प्राप्त होती। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर दवा प्रतिरोधक टीबी के रोगी को मानक के अनुसार जांच एवं इलाज मिले और सभी स्वास्थ्य-सेवा कर्मी प्रशिक्षित हों।
४॰ हमें गरीब और ऐसे समुदाय जिनको टीबी का खतरा अधिक है उनपर अधिक ध्यान देना होगा।
५. एफ़आईआरएस निरंतर काम करेगा जिससे कि सरकारें और दाता-संस्थाएं जैसे कि ग्लोबल फंड स्वास्थ्य प्रणाली सशक्तिकरण में निवेश करें जिससे कि टीबी कर्मी मानक के अनुसार टीबी सेवाएँ सभी लोगों तक पहुंचा सकें।
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस – सीएनएस
मार्च २०१४
2012 में विश्व स्तर पर अनुमानित 86 लाख नए टीबी रोगी हुए जिनमें से 13 लाख की मृत्यु हो गयी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 95% टीबी मृत्यु लघु और मध्य आय वाले देशों में होती हैं। 4.5 लाख लोगों को दवा प्रतिरोधक टीबी हो गयी जो बेहद चिंतनीय है क्योंकि इनमें से 4 में से केवल 1 को ही मानक के अनुसार जांच नसीब हुई। जिनको जांच नसीब हुई उनमें से सबको मानक के अनुसार उपचार नहीं मिला। पिछले सालों में टीबी नियंत्रण में बहुत तरक्की हुई है पर अभी काफी काम बाकी है।
एफ़आईआरएस अध्यक्ष डॉ ओका का कहना है कि 30 लाख ऐसे टीबी रोगियों तक पहुँचने के लिय जिन तक सेवा नहीं पहुँच रही है, इन निम्न-लिखित चुनौतियों से निबटना होगा:
1॰ हमें सुनिश्चित करना होगा कि टीबी रोगी किसी भी प्रकार का सोशण न झेलें, उन्हे मानक के अनुसार उपचार मिले, और जिन लोगों को टीबी जैसे प्रारम्भिक लक्षण हो वे बिना डर और संकोच टीबी सेवाओं का लाभ उठा सकें।
२. स्वास्थ्य प्रणाली सशक्त हो जिससे कि न केवल टीबी का इलाज बल्कि अन्य बीमारियों का भी समयोचित उपचार प्राप्त हो जैसे कि एचआईवी, मधुमेह आदि।
३॰ अनेक दवा प्रतिरोधक टीबी के रोगी को जांच तक नहीं प्राप्त होती। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर दवा प्रतिरोधक टीबी के रोगी को मानक के अनुसार जांच एवं इलाज मिले और सभी स्वास्थ्य-सेवा कर्मी प्रशिक्षित हों।
४॰ हमें गरीब और ऐसे समुदाय जिनको टीबी का खतरा अधिक है उनपर अधिक ध्यान देना होगा।
५. एफ़आईआरएस निरंतर काम करेगा जिससे कि सरकारें और दाता-संस्थाएं जैसे कि ग्लोबल फंड स्वास्थ्य प्रणाली सशक्तिकरण में निवेश करें जिससे कि टीबी कर्मी मानक के अनुसार टीबी सेवाएँ सभी लोगों तक पहुंचा सकें।
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस – सीएनएस
मार्च २०१४