भरावन, हरदोई में डी.ए.पी. खाद की कमी पर 25 नवम्बर को धरना प्रदर्शन
हाल ही में हमने देखा कि किस तरह गन्ना किसानों ने नई दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन किया। इसनें कोई दो राय नहीं कि उनका मुद्दा एकदम जायज है। नई आर्थिक नीति के दौर में जबकि प्रकृति से मुफ्त में मिलने वाले पानी को बोतल में बंद कर कम्पनियां मनमाने दाम पर बेचती हैं तो किसानों को तो अपनी मेहनत कर मूल्य तय करने का अधिकार होना ही चाहिए।
किन्तु कोई भी इस बात को मानेगा कि गन्ना से महत्वपूर्ण गेहुं है। गन्ना तो बड़े किसान बोते हैं जबकि गेहुं तो हर कोई बोता है जिसमें बड़ी संख्या में गरीब शामिल हैं। इस समय गेहुं की बुवाई के समय प्रयुक्त की जाने वाली डी.ए.पी. खाद की भारी कमी चल रही है। किसान के यहां त्राहि-त्राहि मची है। जैसा किसी भी सीमित मात्रा में उपलब्ध चीज के साथ होता है बड़े व प्रभावशाली लोग जो डी.ए.पी. खाद आई थी उसे ले गए। गरीब किसानों को एक बोरी भी न मिली। यह खाद आयात की जाती है। काण्डला बंदरगाह पर उतार कर रेलगाड़ी के माध्यम से लाई जाती है। खाद की कमी, माल रेल गाड़ियों का समय से उपलब्ध न हो पाना किसानों के लिए परेशानी का कारण बना है। खाद वितरण में अनियमितताओं के अलावा बड़े पैमाने पर कालाबाजारी भी होती है। कुछ खाद तो नेपाल पहुंच जाती है। सब्सिडी के बाद हमारे यहां यह खाद रू. 472 प्रति पचास किलो की बोरी मिलने का प्रावधान है। नेपाल में सब्सिडी न होने के कारण यही बोरी वहां रू. 200-300 अधिक में बिकती है। भारत के अंदर भी काले बाजार में यह बोरी रू. 700 में मिलती है।
25 नवम्बर, 2009, को हरदोई जिले स्थित भरावन विकास खण्ड के खाद वितरण केन्द्र पर किसानों का भारी प्रदर्शन होगा। किसान खाद के अलावा बीज की कमी भी झेल रहे हैं। नहरों में बिना पानी दिए राजस्व विभा्रग के कर्मचारी सिंचाई की जबरदस्ती वसूली करते हैं। इन सभी मुद्दों को लेकर किसान जुटेंगे।
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