26 वर्षों बाद आये भोपाल गैस काण्ड के फैसले ने देश के न्यायप्रिय नागरिकों के विकास को हिलाकर रख दिया। चारों ओर देश भर में सन्नाटा छाया रहा किसी भी मुख्य धारा के राजनीतिक दल ने इस फैसले पर कोई कठोर प्रतिक्रिया नही की, न ही कोई विरोध कार्यक्रम किया थोड़ी-बहुत चर्चा मीडिया ने फैसले के हल्के पन को लेकर शुरू की फिर कांग्रेस की अंदल्नी राजनीति ने वारेन एड़रसन को देश से भागने में मदद पहुंचाने के मुददों को उछाला न कि फैसले को उसमें भी राजीव गांधी का नाम जुड़ते ही सब कुछ शांत हो गया।
अन्यायपूर्ण फैसले के खिलाफ मऊ शहर में जन संगठनों की तरफ से एक प्रतिरोध मार्च 10 जून 2010 को 11 बजे दिन में स्थानीय डी० सी० एस० के० पी० जीव० कॉलेज से शुरू हुआ जो रोडवेज, आजमगढ़ तिराहा, गाजीपुर तिराहा होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचा प्रदर्शनकारी हाथों में तख्ती लिये नारे लगाते 26 वर्षों बाद यह कैसा इंसाफ, प्रधान मंत्री जवाब दो, वारेन एड़रसन को गिरफ्तार कर भारत लाओ, भोपाल से तुम सीख लो, मत विकास की भीख लों, परमाणु दायित्व विधेयक वापस लो, चल रहे थे जिनकी संख्या 70-80 के आस-पास थी पूरे शहर नारों को सुनकर लोग आश्चर्यचकित होकर देख रहे थे कि इस कड़कती धूप में कौन लोग है जो सड़क पर उतर आयें हैं। मार्च के कलेक्ट्रेट पहुंचने पर वहां एक सभा हुई।
चूंकि वहां पहले से समाज कल्याण विभाग से अनुदान प्राप्त अम्बेडकर प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों का अपनी मांगों को लेकर धरना चल रहा था। वही पर हमारे पहुंचने पर सभा शुरू हुई सभा को सम्बोधित करते हुए पी० यू० एच० आर० के जोनक्त सचिव वंसत राजभर ने कहा कि 26 वर्षों बाद आये इस फैसले ने न्यायपालिका के ऊपर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है कि न्यायपालिका भी गरीब विरोधी है। और इस फैसले के खिलाफ किसी भी मुख्य धारा के राजनीतिक दल ने विरोध करके यह साबित कर दिया कि सबकी विकास की विनाशकारी नीतिया एक हैं सभा को सच्ची-मुच्ची के सम्पादक अरविंदमूर्ति ने सम्बोधित करते हुए कहा कि 3 दिसम्बर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड के संयन्त्र से जो गैस रिसाव हुआ उसकी पूरी जानकारी संयन्त्र के प्रबन्धक वारेन एडंरसन को थी उसने जान-बुझकर लागत बचाने के भोपाल के कारखाने से सुरक्षा प्रणाली को हटा लिया था यहां तक कि किसी भी घटना के समय कारखानों में सामान्तया: बजने वाला अर्लाम भी उस समय नहीं बजा था। जब कि उसी कम्पनी की अमेरिका स्थित इकाई में सुरक्षा मानक के जो 30 बिन्दू थे उसका कड़ाई से पालन होता था। भोपाल में अपरीक्षित तकनीक को मंजूरी दिया जाना इस तबाही के लिये सीधे तौर पर जिम्मेदार चीजें थी। इस लिये वारेन एड़सरन के ऊपर इस गैस रिसाव से हुई प्रत्येक व्यक्ति मौत (हत्या) का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यह देश की सम्प्रभुत्ता के खिलाफ है कि दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक नरसंहार का दोषी व्यक्ति देश से आसानी से बल्कि तत्कालीन सरकार की मदद से भाग गया और आज तक पकड़ से बाहर हैं। और हम उसकों सजा नहीं दे पाये जो लोग अफजल की फांसी के लिये इतने उतावले और चिंतित रहते है। उन्हें क्या यह बात कभी नही खटकती की 15 हजार भारतीयों को कीड़े-मकोड़ों की तरह मार डालने वाला और पीढ़ियों को बर्बाद करने वाले हत्यारे को सजा क्यों नहीं मिली, हमें यह याद रखना चाहिए कि यूनियन कार्बाइड कीड़े मारने वाली कीटनाशक दवाईयां बनाती थी और उसने भारत के इन्सानों को ही कीड़ा-मकोड़ा बना कर मार डाला उन्होंने भोपाल पर उसी दौर में लिखी राजेन्द्र राजन की कविता को सुनाया ‘‘यह कैसा विकास है, जहरीला आकाश है। साँप की फुँफकार की चल रही बतास है, आदमी की क्या बात पेड़ तक उदास है, आह सुन, कराह सुन, राह उनकी छोड़ तू। विकास की मत भीख ले, भोपाल से तू सीख ले, भोपाल एक सवाल है, सवाल का जवाब दो सभा को डिस्ट्रिक बार के महामंत्री एडोवोकेट सत्य प्रकाश सिंह जी ने भी सम्बोधित किया मार्च में एन० ए० पी० एम० मूवेमेंट फार राइटस, पी० यू० एच० आर० जनसेवाआश्रम, इनौस के कार्यकर्ता शामिल रहे।
प्रस्तति गुडडूराम सदस्य क्षेत्रपंचायत रतनपुरा-मऊ ।