[English] [फोटो] सेक्टर-२५ इंदिरा नगर स्थित शेरवुड एकेडेमी में कार्यशाला का विषय था "सूचना अधिकार अधिनियम के जरिये लागू करें तम्बाकू नियंत्रण." मग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ संदीप पाण्डेय कार्यक्रम में मुख्य अथिति थे जिन्होंने छात्रों एवं शिक्षकों को सूचना अधिकार अधिनियम, २००५ से भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को सशक्त करने पर बात की. उन्होंने छात्रों को सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आवेदन पत्र लिखना सिखाया और उनसे अनुरोध किया कि वें न तो कभी घूस लें, न कभी दें.
डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि वो अपने स्कूल का प्रोजेक्ट करते समय सूचना अधिकार के अंतर्गत आवेदन पत्र लिख कर सूचना पा सकते हैं. डॉ संदीप पाण्डेय ने भ्रष्टाचार विरोधी जन अभियान में सूचना अधिकार अधिनियम पर भी अपने विचार रखे. डॉ संदीप पाण्डेय ने बताया कि "आवेदन पत्र जिस विभाग से आप जानकारी मांग रहे हैं, उसके जन-सूचना अधिकारी को संबोधित किया जाता है. सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगते हुए आवेदन पत्र में यह बात स्पष्ट लिखे कि जानकारी सूचना अधिकार अधिनियम, २००५, के अंतर्गत मांगी जा रही है. १० रूपए का नोट या 'मनी-आर्डर' संग्लग्न करें और नोट का नंबर भी आवेदन पत्र में लिख दें. इस आवेदन पत्र को पंजीकृत डाक द्वारा भी भेजा जा सकता है."
डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि "यह जाहिर बात है कि अधिकांश भ्रष्टाचार पढ़े-लिखे लोग ही करते हैं. इसीलिए यह और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि छात्र भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में सक्रीय हों और भविष्य में भी न तो कभी घूस लें और न ही दें."
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरराष्ट्रीय पुरुस्कार २००८ प्राप्त बाबी रमाकांत ने कहा कि "तम्बाकू घातक है. चूँकि अधिकांश तम्बाकू नशा १८ साल से पहले ही आरंभ होता है, यह बहुत जरुरी है कि युवा छात्र तम्बाकू के असली घातक चेहरे से परिचित हों, तम्बाकू जनित जानलेवा रोगों को जान लें जिससे कि वें विवेकपूर्ण निर्णय ले सके और स्वस्थ जीवन चुने, न कि तम्बाकू."
बाबी रमाकांत ने कहा कि "सूचना अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन पत्र लिख कर यह पूछना चाहिए कि सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ को क्यों लागू नहीं किया गया है? क्यों शक्षिक संस्थानों के १०० यार्ड के अन्दर तम्बाकू विक्रय दुकानें हैं? क्यों सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान हो रहा है? क्यों फिल्मों में तम्बाकू सेवन को प्रदर्शित किया जा रहा है? यदि आप देखें कि किसी तम्बाकू उत्पाद पर ४०% चित्रमय चेतावनी नहीं लगी है तो इसकि रपट करनी भी जरुरी है."
डी-ब्लाक इंदिरा नगर के युवा निवासी राहुल कुमार द्विवेदी ने स्वास्थ्य विभाग के सूचना अधिकारी के नाम सूचना अधिकार अधिनियम २००५ के तहत पंजीकृत डाक से आवेदन पात्र भेजा है. राहुल जानना चाहते हैं कि लखनऊ में और समत उत्तर प्रदेश में सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ के उलंघन में क्यों शक्षिक संस्थानों के १०० यार्ड के भीतर तम्बाकू विक्रय केंद्र हैं, कौन इनको हटाने के लिए जिम्मेदार है, उसके विरोध में क्या करवाई की गयी है, और कबतक सभी शैक्षिक संस्थानों के १०० यार्ड के भीतर तम्बाकू दुकानें हटा दी जाएँगी?
सी.एन.एस.