जीवित रहने के लिए सांस लेना अहम है और सांस लेने के लिए स्वस्थ फेफड़े का होना बहुत आवश्यक है। परन्तु विश्व भर में सैकड़ों लाखों लोग प्रतिवर्ष फेफड़े संबंधी रोग जैसे टीबी, अस्थमा, निमोनिया, इन्फ़्लुएन्ज़ा, फेफड़े का कैंसर और फेफड़े सम्बन्धी अन्य दीर्घ प्रतिरोधी विकारों से पीड़ित होते हैं और लगभग 1 करोड़ व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होते हैं। फेफड़ों के रोग हर देश व सामाजिक समूह के लोगों को प्रभावित करते हैं, लेकिन गरीब, बूढ़े, युवा और कमजोर व्यक्ति पर जल्दी असर डालते हैं. फेफड़ों में फैलने वाले इन संक्रमणों के बारे में लोगों के बीच जानकारी का अभाव है। प्रदूषित वातावरण, घर के भीतर का प्रदूषण (जैसे: लकड़ी, कंडे या कोयले को जला कर खाना पकाना), धूम्रपान, तम्बाकू आदि कई कारणों से फेफड़े संबंधी रोगियों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। परन्तु यदि उचित जीवन शैली और धूम्रपान मुक्त वातावरण बनाया जाये तो फेफड़े सम्बन्धी संक्रमणों को कम किया जा सकता है।
तंबाकू नियंत्रण संधि परक्रामण को तंबाकू उद्योग से सबसे बड़ा खतरा
[English] सियोल, दक्षिण कोरिया: आज विश्व तंबाकू नियंत्रण संधि को अधिक मजबूत करने के लिए एक सप्ताह की अवधि का परक्रामण आरंभ हुआ। विश्व तंबाकू नियंत्रण संधि, जो विश्व की पहली जन स्वास्थ्य और उद्योग की जवाबदेह ठहरने के लिए बनी संधि है उसको तंबाकू उद्योग से निरंतर चुनौती मिलती रही है।
निमोनिया पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मौत का प्रमुख कारण
निमोनिया वायरस, बैक्टिरिया, फॅंगस और पैरासाइट से फेफड़ों में होने वाला एक संक्रामक रोग है। लेकिन इसका उपचार समय रहते एंटीबायोटिक के उपयोग के साथ आसानी से किया जा सकता है और जिसमें खर्च 55 रुपये अथवा $1 से भी कम होता है, फिर भी पूरे विश्व में प्रतिवर्ष पाँच साल से कम उम्र के 14 लाख बच्चे निमोनिया के कारण मृत होते हैं जो कि एड्स, मलेरिया और टीबी से होने वाले कुल मौतों से भी अधिक है। परंतु यदि सही विधि से नवजात शिशुओं को जन्म के पहले छः माह तक सिर्फ स्तनपान और उसके बाद उचित पोषण दें तो निमोनिया से होने वाले इन मौतों को कम किया जा सकता है।
सुनियोजित एवं समन्वयित मलेरिया कार्यक्रम आवश्यक
[English] विश्व स्वास्थ्य संगठन की नयी 2012 मलेरिया रिपोर्ट जारी करते हुए रोल बैक मलेरिया संगठन ने मलेरिया का विकास और स्वास्थ्य प्रणाली से संबंध पर प्रकाश डाला। मलेरिया से मृत्यु तक हो सकती है यदि समोचित इलाज न मिले। हर साल सिर्फ भारत समेत एशिया में 2 अरब लोग मलेरिया इस प्रभावित होते हैं। इस 2012 मलेरिया रिपोर्ट पर मीडिया संवाद में चर्चा आयोजित हुई थी। इस मीडिया संवाद को स्वास्थ्य को वोट अभियान, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस (सीएनएस), हेल्थ राइटर्स, आशा परिवार, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय ने संयुक्त रूप से आयोजित किया था। आरबीएम की फिल्म का भी चित्रण किया गया।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)