विश्व
पाइल्स (बवासीर) दिवस २० नवम्बर २०१५ के उपलक्ष्य में, इंदिरा नगर के सी-ब्लाक चौराहा स्थित पाईल्स तो स्माइल्स केंद्र में प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने नि:शुल्क कैंप लगाया जहाँ अनेक मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श
मिला, और कुछ दवाएं भी वितरित की गयीं. किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय
के सर्जरी विभाग के पुर्व प्रमुख प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने कहा कि
“पाइल्स/ बवासीर और अन्य ऐसे रोग जैसे कि फिस्टुला आदि लोग शर्म के कारण
सही इलाज देरी से कराते हैं जब तक समस्या गंभीर रूप ले लेती है और अन्य
सम्बंधित-रोग भी हो सकते हैं. इसीलिए जरुरी है कि जागरूकता बढ़े और लोग पहले
लक्षण में ही सही जांच और सही इलाज करवाएं.”
आज
शाम को लखनऊ के सरकारी और निजी चिकित्सकों के बीच प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त
विश्व बवासीर दिवस व्याख्यान देंगे जिससे कि बवासीर की जांच बिना विलम्ब
समय से हो सके और उपयुक्त इलाज के बारे में भी स्वास्थ्यकर्मियों में
जानकारी बढ़े.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि शोध के अनुसार, लगभग ५० साल की उम्र तक के लोगों को कम-से-कम एक बार पाइल्स की समस्या हो चुकी होती है. ७० वर्ष के ऊपर तो पाइल्स दर ८५% के ऊपर है जो चिंताजनक है. सभी चिकित्सकों को पाइल्स की जांच और इलाज के लिए चिकित्सकीय मानक अपनाने चाहिए.
प्रो० रमा कान्त ने बताया कि बवासीर दोनों पुरुषों और महिलाओं में आम है. चिरकालिक कब्ज़, बार-बार होने वाले दस्त, मोटापा, व्यायाम या शारीरिक परिश्रम न करना, शौच के दौरान जोर लगाना और लम्बे समय तक बैठे रहना, आदि कुछ कारण हैं जिसके वजह से पाईल्स या बवासीर होने की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है.
प्रो० रमा कान्त ने कहा कि "बवासीर के नवीन विधि डीजीएचएएल और आरएआर द्वारा उपचार में रोगी कुछ ही घंटे अस्पताल में रह कर, दूसरे दिन से ही सामान्य रूप से कार्य कर सकता है।" बगैर चीरा लगाए, एक अत्याधुनिक विधि के द्वारा बवासीर का इलाज करने में सिद्धहस्त, प्रो० (डॉ) रमा कान्त कई सालों से नवीन विधियों ‘डी0जी0एच0ए0एल0 और आर0ए0आर0 से बवासीर या पाइल्स का उपचार कर रहे हैं। वें आस्ट्रिया एवं तुर्की के विश्व-विख्यात बवासीर उपचार एवं शोध केन्द्रों में प्रशिक्षित भी हैं।
बवासीर के नवीन विधि डीजीएचएएल और आरएआर से प्रो० रमा कान्त ३५०० से अधिक रोगियों का उपचार कर चुके हैं. इन मरीजों के आंकड़ें देखें तो इलाज उपरान्त २.८ दिन में यह अपने कार्य पर वापस जा पाए थे. बवासीर के नवीन विधि डीजीएचएएल और आरएआर द्वारा न केवल रोगी को पाईल्स से आराम मिलता है बल्कि अधिक संगीन बीमारियों के होने का खतरा भी टलता है.
अधिक जानकारी के लिये प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त से संपर्क करें: ९४१५००७२९९
सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
२० नवम्बर २०१५
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया कि शोध के अनुसार, लगभग ५० साल की उम्र तक के लोगों को कम-से-कम एक बार पाइल्स की समस्या हो चुकी होती है. ७० वर्ष के ऊपर तो पाइल्स दर ८५% के ऊपर है जो चिंताजनक है. सभी चिकित्सकों को पाइल्स की जांच और इलाज के लिए चिकित्सकीय मानक अपनाने चाहिए.
प्रो० रमा कान्त ने बताया कि बवासीर दोनों पुरुषों और महिलाओं में आम है. चिरकालिक कब्ज़, बार-बार होने वाले दस्त, मोटापा, व्यायाम या शारीरिक परिश्रम न करना, शौच के दौरान जोर लगाना और लम्बे समय तक बैठे रहना, आदि कुछ कारण हैं जिसके वजह से पाईल्स या बवासीर होने की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है.
प्रो० रमा कान्त ने कहा कि "बवासीर के नवीन विधि डीजीएचएएल और आरएआर द्वारा उपचार में रोगी कुछ ही घंटे अस्पताल में रह कर, दूसरे दिन से ही सामान्य रूप से कार्य कर सकता है।" बगैर चीरा लगाए, एक अत्याधुनिक विधि के द्वारा बवासीर का इलाज करने में सिद्धहस्त, प्रो० (डॉ) रमा कान्त कई सालों से नवीन विधियों ‘डी0जी0एच0ए0एल0 और आर0ए0आर0 से बवासीर या पाइल्स का उपचार कर रहे हैं। वें आस्ट्रिया एवं तुर्की के विश्व-विख्यात बवासीर उपचार एवं शोध केन्द्रों में प्रशिक्षित भी हैं।
बवासीर के नवीन विधि डीजीएचएएल और आरएआर से प्रो० रमा कान्त ३५०० से अधिक रोगियों का उपचार कर चुके हैं. इन मरीजों के आंकड़ें देखें तो इलाज उपरान्त २.८ दिन में यह अपने कार्य पर वापस जा पाए थे. बवासीर के नवीन विधि डीजीएचएएल और आरएआर द्वारा न केवल रोगी को पाईल्स से आराम मिलता है बल्कि अधिक संगीन बीमारियों के होने का खतरा भी टलता है.
अधिक जानकारी के लिये प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त से संपर्क करें: ९४१५००७२९९
सिटीजन न्यूज़ सर्विस (सीएनएस)
२० नवम्बर २०१५